कानपुरः उत्तर प्रदेश के कानपुर आईआईटी में एक शोध छात्र के आत्महत्या करने का मामला सामने आया है। जानकारी के मुताबिक, केमिस्ट्री के रिसर्च स्कॉलर अंकित यादव ने हॉस्टल के अपने कमरे में आत्महत्या कर ली। आईआईटी प्रशासन ने बताया कि छात्र ने आत्मतहत्या क्यों की, इसकी जानकारी नहीं हो पाई हैं। मृत छात्र उत्तर प्रदेश के नोएडा का रहने वाला था और कानपुर आईआईटी के रसायन विज्ञान विभाग में शोध छात्र था। उन्होंने हॉस्टल के कमरे में फांसी लगाकर जान दे दी। पुलिस और फरेंसिक टीम मामले की जांच कर रही है, लेकिन आत्महत्या के कारणों का खुलासा नहीं हुआ है।
पुलिस ने बताया कि नोएडा सेक्टर 71 में जागृति अपार्टमेंट में रहने वाले रामसूरत यादव के बेटे अंकित यादव कानपुर आईआईटी में पीएचडी प्रथम वर्ष के छात्र थे। वह यूजीसी फेलोशिप के जरिए आईआईटी में दाखिल हुए थे। आईआईटी के हॉस्टल के कमरा नंबर 103 में वह रहते थे। सोमवार की शाम को पांच बजे 24 साल के अंकित ने अपने हॉस्टल के कमरे में फांसी लगा ली। उन्हें तत्काल कैंपस स्थित हेल्थ सेंटर लाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इसके बाद छात्र के परिजन को इसकी सूचना दी गई। पुलिस के अधिकारी भी मौके पर पहुंचे और जांच शुरू कर दी। फरेंसिक टीम को भी सबूत जुटाने के लिए बुलाया गया। मामले की सभी ऐंगल से जांच की जा रही है।

आईआईटी कानपुर में इससे पहले भी कई छात्र आत्महत्या कर चुके हैं:
- झारखंड के दुमका की रहने वाली प्रियंका जायसवाल ने 29 दिसंबर को आत्महत्या कर ली थी. वह केमिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी कर रही थीं.2. आईआईटी कानपुर में उड़ीसा निवासी फैकल्टी सदस्य पल्लवी चिल्का ने भी आत्महत्या कर ली थी.3. जनवरी 2024 में पीएचडी छात्र विकास मीणा ने भी फांसी लगाकर जान दे दी थी.4. 2022 में वाराणसी निवासी पीएचडी छात्र प्रशांत सिंह ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी.5. 2021 में संस्थान में असिस्टेंट रजिस्ट्रार सुरजीत दास ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी.6. 2020 में आईआईटी के कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर प्रमोद सुब्रमण्यन ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी.7. 2019 में सिक्योरिटी गार्ड आलोक श्रीवास्तव ने फांसी लगाकर जान दे दी थी.8. 2018 में फिरोजाबाद निवासी पीएचडी छात्र भीम सिंह ने फांसी लगाकर जान दे दी थी |
डिप्रेशन अहम वजह
जानकार बताते हैं कि आईआईटी जैसी संस्थानों में जो छात्र एडमिशन लेते हैं वह काफी मेधावी होते हैं. ऐसे में उनके द्वारा आत्महत्या जैसा कदम उठाना काफी आश्चर्य करने वाला है. लेकिन हो सकता है कि पढ़ाई का दबाव या फिर समय से प्रोजेक्ट पूरा न होने पर डिप्रेशन में चले जाना इसकी वजह हो सकती है. हालांकि, कानपुर आईआईटी के छात्रों का मानना है कि कैंपस का माहौल उतना ठीक नहीं है जितना बताया जाता है. कॉउंसलिंग सेल भी मददगार साबित नहीं हो रहा है. ऐसे में घर से दूर छात्र दबाव और डिप्रेशन की वजह से यह कदम उठा रहे हैं.