आर्किटेक्ट इंजीनियर से कैसे बना भारत का बेहतरीन गेंदबाज

भारतीय क्रिकेट टीम के स्पिनर Varun Chakravarthy ने ICC चैंपियंस ट्रॉफी 2025 में भारत और न्यूजीलैंड के बीच खेले गए ग्रुप स्टेज के आखिरी मुकाबले में शानदार प्रदर्शन किया। अपनी घातक गेंदबाजी से उन्होंने 10 ओवर में 5 विकेट चटकाए और भारत की सेमीफाइनल में जगह पक्की कर दी। उनकी इस जबरदस्त परफॉर्मेंस के बाद हर जगह उनकी चर्चा हो रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि क्रिकेटर बनने से पहले वरुण चक्रवर्ती का सफर कितना रोचक रहा है? आइए, जानते हैं उनके करियर और निजी जीवन से जुड़ी अहम बातें।

वो चालीस बार से ज्यादा सलेक्शन में गया। एक भी जगह सलेक्ट नहीं हुआ। कभी गेंदबाजी में फेल होकर बल्लेबाज बनने की सोचा, तो कभी हारकर विकेटकीपर बन गया। ज़िंदगी उसे क्या बनाना चाहती थी, समझ नहीं आ रहा था। आख़िरकार एक दिन सपनों की पिच पर बोल्ड होने के बाद उसने तय कर लिया कि अब हमेशा के लिए क्रिकेट छोड़ देगा और पढ़ाई करेगा। फिर पांच साल उसने आर्टिटेक्ट की पढ़ाई की और पढ़ाई के बाद तीन साल की नौकरी।

लेकिन नौकरी से भी मन ऊब गया…तो पिता को फोन किया कि पापा ये नौकरी हमसे नहीं हो रहा। बस एक बार और ट्राई करने दो, इस बार नहीं हुआ तो पक्क़ा क्रिकेट छोड़ दूंगा। पिता ने इजाज़त दे दी तो उसने नौकरी छोड़कर भारत का सबसे फ़ास्ट बॉलर बनने का सपना देख लिया औऱ हमेशा की तरह उसमें भी फेल हो गया। इतने फेलियर के बाद तो बस अंतिम प्रण ही बाकी था। अंतिम बार तय किया कि अबकी स्पिन बॉलिंग करूँगा और अगर इस बार कुछ न हुआ तो पक्का क्रिकेट छोड़ दूंगा।

वरुण का स्पिन गेंदबाज बनाने का फैसला सही साबित हुआ. जिसके बाद उनको तमिलनाडू प्रीमियर लीग में खेलने का मौका मिला. जहां वरुण ने अपनी गेंदबाजी से सबको हैरान कर दिया. उनके प्रदर्शन को देखते हुए पंजाब किंग्स की टीम ने वरुण पर 8.4 करोड़ रुपये खर्च कर दिए. मगर वो कुछ खास कमाल नहीं दिखा सके. जिसके बाद पंजाब ने उनको अगले सीजन ही छोड़ दिया और केकेआर की टीम ने ऑक्शन में वरुण पर दांव लगाया. वहां वरुण ने गेंदबाजी से शानदार प्रदर्शन किया. जिसका फल उनको बड़ी जल्द ही मिल गई. वरुण को टी20 विश्व कप 2021 की स्कॉड में जगह मिल गई. लेकिन वो बुरी तरह से फेल हो गई. उनको भारतीय टीम से बाहर होने पड़ा. मगर वरुण ने हार नहीं मानी और फिर से अपनी गेंदबाजी में मेहनत शुरु कर दी. जिसका परिणाम आईपीएल 2024 में देखने को मिला. उन्होंने तीसरी बार केकेआर को चैंपियंन बनाने में मदद कर दी. जिसकी बदौलत भारतीय टीम में वरुण की वापसी हो गई.

बार-बार वरुण चक्रवर्ती के बारे में सोचता हूँ तो लगता है कि क्या वरुण की कहानी उन तमाम मिडिल क्लॉस लड़कों की कहानी नही है, जो थक-हारकर सपने और नौकरी की लड़ाई में एक दिन नौकरी के हाथों क्लीन बोल्ड हो जाते हैं और वहीं सेम पिच पर जीवन भर घीसते रहतें हैं।

वरुण आज नौकरी कर रहे होते तो न जाने कहाँ होते। लेकिन आज अपने उस एक फैसले से हम सबके सामने हैं..गर्व का विषय बनकर।

क्रिकेट में हार-जीत तो लगा रहेगा…

लेकिन जिस देश का सबसे गरीब बच्चा भी बाल और बैट का जुगाड़ कर लेता है। डंडे से स्टम्प बना लेता है..उस देश में वरुण चक्रवर्ती जैसे खिलाड़ियों का आते रहना ज़रूरी है।

ये कहानियां फेल होने के बाद भी सपने देखना और उसे हर हाल मे पूरा करना सिखाती हैं।