प्रधानमंत्री मोदी ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर 6 प्रेरक महिलाओं को अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स संभालने की जिम्मेदारी दी। इन महिलाओं ने विभिन्न क्षेत्रों जैसे शतरंज, विज्ञान, ग्रामीण उद्यमिता, और समावेशी गतिशीलता में योगदान दिया है।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सोशल मीडिया महिला अकाउंट्स को संभालने की जिम्मेदारी 6 प्रेरक महिलाओं को दी गई है। इसके जरिए प्रधानमंत्री मोदी ने महिला सशक्तिकरण के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करने की कोशिश की है। इस अनूठे कदम ने इन असाधारण महिलाओं को अपने शानदार सफर, उपलब्धियों और चुनौतियों को राष्ट्र के साथ साझा करने का अनूठा अवसर दिया है।
ये महिलाएं देश के अलग-अलग कोनों से हैं, जिनमें दक्षिण, उत्तर, पूर्व, पश्चिम और मध्य भारत शामिल हैं।
वैशाली रमेशबाबू- शतरंज की प्रतिभाशाली खिलाड़ी वैशाली 6 साल की उम्र से ही उच्चतम स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर रही हैं। खेल के प्रति उनके समर्पण का ही नतीजा है कि 2023 में उन्होंने शतरंज के ग्रैंडमास्टर का प्रतिष्ठित खिताब हासिल किया। उन्होंने महिला विश्व ब्लिट्ज़ शतरंज चैंपियनशिप 2024 में कांस्य पदक जीता। वह अपनी रणनीतिक प्रतिभा और दृढ़ता के साथ वैश्विक मंच पर भारत को गौरवान्वित करती रहती हैं।

अनीता देवी- गरीबी और प्रतिकूल परिस्थितियों की बाधाओं को पार करते हुए, ‘बिहार की मशरूम लेडी’ के नाम से मशहूर अनीता देवी ने 2016 में माधोपुर फार्मर्स प्रोड्यूसर्स कंपनी की स्थापना करके आत्मनिर्भरता की ओर एक साहसिक कदम उठाया। मशरूम की खेती के माध्यम से उन्होंने न केवल सैकड़ों ग्रामीण महिलाओं के उत्थान किया है, बल्कि उनके लिए रोजगार के अवसर भी पैदा किए हैं, जिससे वित्तीय स्वतंत्रता और आर्थिक सशक्तिकरण का मार्ग प्रशस्त हुआ है।

एलिना मिश्रा और शिल्पी सोनी- एलिना मिश्रा और शिल्पी सोनी प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों में शुमार हैं। ये दोनों वैज्ञानिक अत्याधुनिक शोध और प्रौद्योगिकी में भारतीय महिलाओं के योगदान का उदाहरण हैं। एलिना मिश्रा मुंबई में स्थित भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) में एक परमाणु वैज्ञानिक हैं, जबकि शिल्पी सोनी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में एक प्रतिष्ठित अंतरिक्ष वैज्ञानिक हैं।

अजयता शाह- फ्रंटियर मार्केट्स की संस्थापक और सीईओ के रूप में, अजयता डिजिटल रूप से सक्षम 35,000 से अधिक महिला उद्यमियों को सशक्त बनाकर ग्रामीण उद्यमिता को बदल रही हैं। उनकी पहल इन महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और जरूरी सेवाओं एवं उत्पादों की आपूर्ति करने में मदद करती है, जिससे ग्रामीण बाजारों और आर्थिक विकास के बीच की खाई को पाटा जा सके।

डॉ. अंजलि अग्रवाल- डॉ. अंजलि अग्रवाल सामर्थ्यम सेंटर फॉर यूनिवर्सल एक्सेसिबिलिटी की संस्थापक हैं। तीन दशकों के करियर के साथ, उन्होंने अपना जीवन समावेशी गतिशीलता और बाधा-मुक्त बुनियादी ढांचे को सुनिश्चित करने के लिए समर्पित कर दिया है। उनके प्रयासों ने भारत भर में स्कूलों और सार्वजनिक स्थानों को विकलांग लोगों के लिए अधिक सुलभ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

इनमें से प्रत्येक असाधारण महिला नारी शक्ति की भावना को मूर्त रूप देती है, यह दर्शाती है कि महिलाएँ केवल भागीदार नहीं हैं, बल्कि विकसित भारत को आकार देने में अग्रणी हैं। जिससे यह सिद्ध होता है की भारतीय महिलाएं बाधाओं को तोड़ रही हैं, उत्कृष्टता प्राप्त कर रही हैं और देश के भविष्य को आकार दे रही हैं।