राघव चड्ढा का संसद मे बड़ा बयान :जन्म से पहले मौत के बाद आम आदमी टैक्स …

आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने गुरुवार को भारत में कराधान प्रणाली को लेकर बढ़ती चिंताओं पर बात…

राज्यसभा में गुरुवार को आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद राघव चड्ढा ने भारत की टैक्स प्रणाली का मुद्दा उठाया। राघव चड्ढा ने देश में टैक्स के बढ़ते बोझ का मुद्दा संसद में उठाया. उन्होंने कहा कि भारतीय नागरिक जन्म से पहले और मृत्यु के बाद तक सिर्फ टैक्स चुकाने के लिए मजबूर है. राघव चड्ढा ने कहा कि टैक्स का बोझ इंसान के जन्म से पहले ही शुरू हो जाता है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि बच्चा पैदा होने पर अगर कोई मिठाई बांटे तो उस पर 28% GST लगता है. बच्चे का बचपन भी टैक्स से घिरा है – टॉयज पर 12% GST, स्कूल बैग, जूते, किताबें, पेंसिल – हर चीज़ पर टैक्स !

राघव चड्ढा का संसद मे बड़ा बयान :जन्म से पहले मौत के बाद आम आदमी टैक्स …
राघव चड्ढा का संसद मे बड़ा बयान :जन्म से पहले मौत के बाद आम आदमी टैक्स …

इस दौरान उन्होंने व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु तक की आठ स्टेज का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि किस तरह से जन्म से लेकर जीवन के अंतिम समय तक वह टैक्स के जंजाल में फंसा रहता है। आप सांसद ने संसद में केंद्र सरकार से आम जनता पर से टैक्स का बोझ कम करने की अपील की।

अपने भाषण की शुरुआत में आप सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि वित्त मंत्री जी हर बार मेरे सवालों का जवाब निजी तंज से देती हैं, कभी कहती हैं कि मैं चार्टर्ड अकाउंटेंट नहीं हूं, कभी मेरी डिग्री पर सवाल उठाती हैं। मैं उनका सम्मान करता हूं, वे अनुभव, ओहदे और उम्र में मुझसे बड़ी हैं। लेकिन आज मैं उस डिग्री को किनारे रखकर, एक आम आदमी की तरह यह दिखाना चाहता हूं कि जन्म से मृत्यु तक सरकार हर कदम पर टैक्स वसूलती है, बिना यह सोचे कि आम आदमी को बदले में क्या सुविधा मिल रही है। सांसद राघव चड्ढा ने सवाल उठाया कि इस टैक्स के बदले देशवासियों को क्या मिल रहा है? उन्होंने पूछा- ”क्या सरकार हमें मुफ्त या क्वॉलिटी वाली स्वास्थ्य सेवाएं देती है? क्या हमारे पास बेहतर सड़कें, किफायती शिक्षा या सुरक्षित पब्लिक ट्रांसपोर्ट है?”

उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “हम भारत में विकसित देशों की तरह टैक्स भरते हैं, लेकिन सुविधाएं अविकसित देशों की तरह हैं।”

राघव चड्ढा ने अपने भाषण में जिंदगी के हर पड़ाव पर टैक्स की मार को विस्तार से समझाया। उन्होंने कहा, “जिस पल एक बच्चा जन्म लेता है, उसी पल से सरकार टैक्स वसूलने के लिए तैयार खड़ी होती है और जब तक एक परिवार उसकी मृत्यु पर शोक मना रहा होता है, तब भी सरकार टैक्स वसूलने में पीछे नहीं हटती।”

उन्होंने बताया कि हमारी मेहनत की कमाई का एक बड़ा हिस्सा टैक्स चुकाने में चला जाता है। सवाल यह है कि जनता को टैक्स के बदले क्या मिल रहा है?” राघव चड्ढा ने देश की मौजूदा टैक्स व्यवस्था को ‘लाइफ साइकिल टैक्सेशन मॉडल’ करार दिया और जीवन के आठ चरणों में लगने वाले टैक्स का विवरण सदन के सामने रखा।

राघव चड्ढा का संसद मे बड़ा बयान :जन्म से पहले मौत के बाद आम आदमी टैक्स …
संसद मे टैक्स पर राघव चड्ढा ने उठाया सवाल !

आप सांसद ने यह भी कहा कि बचपन में खेलना भी महंगा है – खिलौनों पर 12 प्रतिशत जीएसटी! स्कूल बैग, जूते, किताबें, पेंसिल – हर चीज पर टैक्स लगता है। युवा वयस्क 18 साल की उम्र में बाइक खरीदते हैं, तो उन्हें रोड टैक्स, जीएसटी, बीमा कर और टोल टैक्स सहित कई करों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा, “यहां तक ​​कि घर खरीदने के सपने पर भी कर लगाया जाता है – जमीन खरीदें और स्टांप ड्यूटी दें; सामग्री खरीदें और जीएसटी दें; निर्माण पर भी जीएसटी लगता है और घर बेचने पर पूंजीगत लाभ कर लगाया जाता है।”

वरिष्ठ नागरिकों के संघर्षों की ओर मुड़ते हुए उन्होंने कहा कि पेंशन पर कर लगाया जाता है और दवाओं, चिकित्सा उपचार और बीमा पॉलिसियों पर अतिरिक्त खर्च किया जाता है। उन्होंने सरकार पर अविकसित क्षेत्रों के स्तर पर सेवाएं प्रदान करते हुए विकसित देशों के बराबर कर लगाने का आरोप लगाया। चड्ढा के अनुसार, अत्यधिक कराधान ने अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया है, जिससे एफएमसीजी क्षेत्र और ऑटोमोबाइल उद्योग में बिक्री में गिरावट आई है। चड्ढा ने दावा किया, “सरकार जनता से भारी मात्रा में कर वसूलती है, लेकिन सार्वजनिक सेवाओं के नाम पर केवल वादे ही किए जाते हैं।”

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