चैत्र नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. इस बार षष्ठी तिथि 3 अप्रैल 2025 (दिन गुरुवार) को है. मां कात्यायनी का जन्म महर्षि कात्यायन के घर हुआ था, इसलिए इनका नाम कात्यायनी पड़ा. महिषासुर का वध करने के कारण मां कात्यायनी को ही महिषासुर मर्दनी के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि मां कात्यायनी की पूजा करने वाले भक्तों को काम, मोक्ष, सुख, समृद्धि और यश की की प्राप्ति होती है और जीवन में खुशहाली आती है.
मां कात्यायनी की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार महर्षि कात्यायन ने संतान प्राप्ति के लिए देवी भगवती की कठोर तपस्या की। महर्षि की तपस्या से प्रसन्न होकर मां भगवती ने उन्हें साक्षात दर्शन दिए और उन्हें वरदान दिया कि वह उनके घर उनकी पुत्री के रूप में जन्म लेंगी। एक बार जब महिषासुर नामक के एक दैत्य का अत्याचार बहुत बढ़ गया, जिससे सभी परेशान हो गए।
तब त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) के तेज से देवी उत्पन्न हुईं, जिसने महर्षि कात्यायन के घर जन्म लिया, जिस कारण उनका नाम कात्यायनी पड़ा। माता रानी के घर में पुत्री के रूप में जन्म लेने के बाद ऋषि कात्यायन ने सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि पर मां कात्यायनी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। इसके बाद मां कात्यायनी ने दशमी तिथि पर महिषासुर का वध किया, इसलिए उन्हें महिषासुर मर्दनी के नाम से भी जाना गया।
मां कात्यायनी के मंत्र
1. कात्यायनी महामाये, महायोगिन्यधीश्वरी। नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।
2. ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥
ध्यान मंत्र –वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्।सिंहारूढा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्विनीम्॥स्वर्णवर्णा आज्ञाचक्र स्थिताम् षष्ठम दुर्गा त्रिनेत्राम्।वराभीत करां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि॥पटाम्बर परिधानां स्मेरमुखी नानालङ्कार भूषिताम्।मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥प्रसन्नवदना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।कमनीयां लावण्यां त्रिवलीविभूषित निम्न नाभिम्॥
मां कात्यायनी का स्वरूप

मां कात्यायनी देवी दुर्गा के छहवें स्वरूप के रूप में पूजी जाती हैं। उनका स्वरूप अत्यंत दिव्य, तेजस्वी और सौम्य होता है। वे शक्ति और पराक्रम की प्रतीक हैं। शास्त्रों में मां कात्यायनी का रंग स्वर्ण के समान चमकता हुआ बताया गया है। उनका तेज सूर्य के समान दैदीप्यमान है और उनके सिर पर स्वर्ण मुकुट सुशोभित रहता है, जो उनकी दिव्यता को और बढ़ाता है। मां कात्यायनी के चार हाथ हैं। उनके ऊपरी दाहिने हाथ में अभय मुद्रा होती है, जो भक्तों को निर्भयता प्रदान करती है। नीचे दाहिना हाथ वरदान मुद्रा में है, जिससे भक्तों को आशीर्वाद मिलता है। ऊपरी बाएं हाथ में तलवार और नीचले बाएं हाथ में कमल का फूल है, जो शुद्धता और ज्ञान का प्रतीक है। मां कात्यायनी का वाहन सिंह है।
मां कात्यायनी का प्रिय भोग
मां कात्यायनी को शहद और गुड़ अति प्रिय होते हैं। मान्यता है कि जो भी भक्त उन्हें गुड़ व शहद का भोग लगाकर पूजा करता है, उसकी मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं।

मां कात्यायनी का प्रिय पुष्प व रंगः
मां कात्यायनी को लाल रंग प्रिय है। इस दिन लाल रंग के गुड़हल या गुलाब के फूल मां भगवती को अर्पित करना शुभ रहेगा। मान्यता है कि ऐसा करने से मां भगवती की कृपा बरसती है।
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