रामनवमी और नवरात्रि के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा का विधान !

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को माता सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है और इस दिन राम नवमी का पर्व भी मनाया जाएगा

रामनवमी और नवरात्रि  के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा का विधान !
रामनवमी और नवरात्रि के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा का विधान !

नवरात्रि 2025 का आज अंतिम दिन है और इस दिन मां दुर्गा की नौवीं शक्ति मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना की जाएगी , नवरात्रि के अंतिम दिन माता सिद्धिदात्री की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करने से मां सभी मनोकामनाओं को पूरा करती हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. आज माता की पूजा के बाद कन्या पूजन किया जाएगा और इसी के साथ नवरात्रि का समापन भी हो जाएगा. नवरात्रि के साथ आज रामनवमी का पर्व भी मनाया जाता है |

मां सिद्धिदात्री का महत्व

अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व ये आठ सिद्धियां हैं. ये सभी सिद्धियां माता के इसी स्वरूप का पूजन करने के बाद मिलती हैं. देवी पुराण के मुताबिक भगवान शिव को भी माता की कृपा से ही सिद्धियां प्राप्त हुई थीं. इन्हीं देवी की कृपा से भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था. माता सिद्धिदात्री माता लक्ष्मी के समान के कमल पर विराजमान हैं. माता के हाथों में शंख, गदा, सुदर्शन, कमल सुशोभित है. मां दुर्गा इस स्वरूप में लाल वस्त्र धारण किए हुए हैं. जो भक्त नवरात्रि के नौ दिन व्रत रखकर माता की पूजा अर्चना करता है और अंतिम दिन कन्या पूजन करता है, उन पर माता रानी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है.

मां सिद्धिदात्री का महत्व
मां सिद्धिदात्री का महत्व

मां सिद्धिदात्री का भोग
नवरात्रि के नौवें दिन माता सिद्धिदात्री को हलवा-पुड़ी, काले चने, नारियल की मिठाई, खीर, मौसमी फल को भोग लगाया जाता है. माता की पूजा करते समय जामुनी, बैंगनी, लाल रंग का पहना शुभ माना जाता है. यह रंग प्रेम, शक्ति और अध्यात्म का प्रतीक होता है.

मां सिद्धिदात्री पूजा विधि
चैत्र नवरात्रि के अंतिम ब्रह्म मुहूर्त में उठकर अन्य दिन की तरह ही माता दुर्गा की पूजा अर्चना करें लेकिन इस दिन पूरे परिवार के साथ हवन करने का विशेष महत्व होता है. आज माता के साथ साथ सभी देवी देवताओं की पूजा भी की जाती है. इसके लिए आप लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछा लें और माता की तस्वीर या मूर्ति स्थापित कर दें. इसके बाद गंगाजल से चौकी के चारों तरफ छिड़काव करें. फिर पूरे परिवार के साथ माता के जयकारे लगाएं और माता को रोली, कुमकुम, चंदन, पान-सुपारी आदि चीजें अर्पित करें. इस दिन हवन करना बहुत अहम माना जाता है. पूरे परिवार के साथ माता की पूजा के साथ साथ हवन अवश्य करें. हवन में सभी देवी देवताओं के नाम की आहुति अवश्य दें. हवन के समय दुर्गा सप्तशती के सभी श्लोकों के साथ मां दुर्गा की आहुति भी दी जाती है. साथ ही पूरे परिवार के साथ माता के जयकारे लगाएं और आरती करें. इसके बाद सभी कन्याओं को घर पर बुलाकर कन्या पूजन शुरू करें. कन्या पूजन और माता को भोग में सिद्धिदात्री को भोग में हलवा व चना का विशेष महत्व है.

रामनवमी पूजा का शुभ मुहूर्त

रामनवमी पूजा का शुभ मुहूर्त
रामनवमी पूजा का शुभ मुहूर्त

चैत्र नवरात्रि के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर श्रीराम का जन्म हुआ था और इसीलिए हर साल इस तिथि पर रामनवमी मनाई जाती है. रामनवमी का शुभ मुहूर्त इस साल कुल ढाई घंटे का बन रहा है. पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजे से शुरू हो रहा है और दोपहर 1:35 बजे इसका समापन हो जाएगा

राम नवमी पूजा मंत्र
इस दिन श्रीराम के विभिन्न मंत्रों का जाप करने का विशेष महत्व होता है। 
“ॐ श्री रामचन्द्राय नमः”
“ॐ रां रामाय नमः” 
श्रीराम तारक मंत्र “श्री राम, जय राम, जय जय राम” 
श्रीराम गायत्री मंत्र “ॐ दाशरथये विद्महे, सीतावल्लभाय धीमहि। तन्नो रामः प्रचोदयात्॥” 
इस दिन इन मंत्रों का जाप करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।

कन्या स्वरूप और उनकी पूजा के लाभ
दुर्गा सप्तशती में उल्लेख मिलता है कि दुर्गा पूजन से पहले कन्या पूजन करना चाहिए, तत्पश्चात मां दुर्गा की आराधना करनी चाहिए। नवरात्रि के नौ दिनों में कन्या पूजन करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि कन्याओं की उम्र दो वर्ष से कम और दस वर्ष से अधिक न हो।

कन्या स्वरूप और उनकी पूजा के लाभ
कन्या स्वरूप और उनकी पूजा के लाभ

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