बद्रीनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं। इस मौके पर मंदिर पर फूलों की वर्षा की गई। बद्रीनाथ मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है।
बद्रीनाथ धाम के कपाट रविवार सुबह 6 बजे खोल दिए गए। पूरा मंदिर फूलों से सजाया गया है। इस मौके पर मंदिर पर फूलों की वर्षा की गई। मंदिर के रावल (मुख्य पुजारी) ने गणेश पूजा के बाद मंदिर के कपाट खोले। इसी के साथ चारधाम यात्रा पूरी तरह से शुरू हो गई है। बद्रीनाथ मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे हिंदुओं के सबसे पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है। बता दें कि गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ के कपाट पहले ही खुल चुके हैं। चार धाम की यात्रा शुरू हो चुकी है।

कपाट खुलने के बाद अगले 2 घंटे में 10 हजार से ज्यादा श्रद्धालु धाम पहुंचे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी पूजन-दर्शन किए।
क्या है बद्री नाम का रहस्य
पौराणिक कथा के अनुसार, माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को ठंड से बचाने के लिए बद्री (बेर) के पेड़ के नीचे आश्रय दिया था। यहीं से बद्री नाम प्रचलन में आया है। कथा यह है कि भगवान विष्णु बद्रीनाथ क्षेत्र में नर-नारायण के रूप में तपस्या करने आए थे। उन्होंने अलकनंदा नदी के किनारे कठोर तप किया। यहां कड़ाके की ठंड पड़ती थी। तब भगवान विष्णु खुले आसमान के नीचे बिना किसी आश्रय के ध्यान में लीन थे। तब मां लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को ठंड से बचाने के लिए बद्री (जंगली बेरी) के पेड़ का रूप धारण किया और भगवान विष्णु को आश्रय दिया।
ताकि वह सर्दी और बर्फ से सुरक्षित रहें। इस बद्री वृक्ष की वजह से भगवान की तपस्या बिना किसी बाधा के चलती रही। जब भगवान विष्णु तपस्या से उठे तो मां लक्ष्मी के इस प्रेम और समर्पण से प्रसन्न हुए। उन्होंने इस स्थान का नाम बद्रीनाथ रखा। यहां बद्री मां लक्ष्मी के बद्री वृक्ष रूप और नाथ भगवान विष्णु का रूप है।
इसके अलावा कहा जाता है कि इस क्षेत्र में कई बद्री के पेड़ थे जिस वजह से यहां का नाम बद्रीकाश्रम पड़ा। वहीं स्कंद पुराण में इस क्षेत्र को बद्री वन के रूप में बताया गया है। और यहां भगवान विष्णु ने तप किया था। बता दें कि वैशाख महीने में बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलते हैं और दीपावली के बाद बंद हो जाते हैं। सर्दियों में भगवान की पूजा जोशीमठ के नरसिंह मंदिर में की जाती है।
भगवान विष्णु का निवास

बद्रीनाथ धाम को भगवान विष्णु का निवास स्थान माना जाता है। यहां बद्रीनाथ की मुख्य मूर्ति शालिग्राम पत्थर से बनी है और यह भगवान विष्णु के बद्री अवतार को समर्पित है। यह मूर्ति स्वयंभू मानी जाती है, जिसका मतलब है कि इसे किसी मानव द्वारा नहीं बनाया गया।
कपाट खुलने और बंद होने का रहस्य
बद्रीनाथ धाम के कपाट साल में केवल छह महीने के लिए ही खुलते हैं। मंदिर केवल मई से नवंबर तक तीर्थयात्रियों के लिए खुला रहता है। कपाट बंद होने के बाद, मंदिर में एक दीपक जलाया जाता है जो छह महीने तक लगातार जलता रहता है। यह एक रहस्य है कि यह दीपक इतने लंबे समय तक कैसे जलता रहता है।
मई से नवंबर तक खुला रहता है मंदिर
बद्रीनाथ धाम को भगवान विष्णु का निवास स्थान माना जाता है और इसे धरती का ‘बैकुंठ’ कहा जाता है। यह पवित्र स्थल अलकनंदा नदी के बाएं तट पर नर और नारायण पर्वतों के बीच स्थित है। मंदिर केवल मई से नवंबर तक तीर्थयात्रियों के लिए खुला रहता है। शीतकाल में जब मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं, तब भगवान बद्रीनाथ की पूजा जोशीमठ स्थित नरसिंह मंदिर में की जाती है। कपाट बंद होने से पहले मंदिर में जलाया गया दीपक छह माह तक लगातार जलता रहता है।
चारधाम यात्रा की हुई शुरुआत
बद्रीनाथ धाम में भगवान विष्णु की पूजा शालीग्राम से बनी चतुर्भुज मूर्ति के रूप में होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह स्थान भगवान विष्णु के नर-नारायण रूप की तपोभूमि रहा है। एक प्रसिद्ध कहावत है, “जो जाए बदरी, वो ना आए ओदरी,” अर्थात जो व्यक्ति बद्रीनाथ धाम में श्रद्धा से पूजा कर लेता है, उसे पुनः जन्म नहीं लेना पड़ता।
इस वर्ष अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खोले गए थे। इसके बाद 2 मई को बाबा केदारनाथ धाम के कपाट खुले और आज बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा पूर्ण रूप से आरंभ हो गई है।
बद्रीनाथ धाम में पूजा-अर्चना करेंगे सीएम धामी
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी श्री बद्रीनाथ धाम पहुंचे है। वह श्री बद्रीनाथ धाम में पूजा-अर्चना करेंगे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि आज का दिन बहुत ही शुभ है। मैं उत्तराखंड आने वाले सभी श्रद्धालुओं का स्वागत करता हूं। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि सभी की यात्रा सुखद हो। सभी व्यवस्थाएं कर ली गई हैं, चारधाम यात्रा थोड़ी कठिन है लेकिन उसके बावजूद भी प्रयास किए गए हैं कि यात्रा में कम से कम कठिनाई हो और यात्रा सुरक्षित हो, इसके लिए सभी विभागों की समीक्षा की गई है और आगे भी समीक्षा की जा रही है।