“IMF क्या है? कहां से आता है लोन का पैसा, जानिए पूरी कहानी”

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) इन दिनों चर्चा में है। पाकिस्तान को कर्ज देने के बाद आईएमएफ को चिंता है कि कहीं ये पैसा डूब न जाए। आईएमएफ अपने सदस्य देशों से फीस और कर्ज पर ब्याज के माध्यम से धन प्राप्त करता है। किसी देश को कर्ज देने से पहले आईएमएफ उसकी आर्थिक स्थिति का आकलन करता है और कुछ शर्तें भी लागू करता है।

दुनिया के कई देश कभी न कभी ऐसी स्थिति में पहुंच जाते हैं जब उनकी अर्थव्यवस्था बुरी तरह से हिल जाती है। विदेशी कर्ज चुकाने में मुश्किल होती है, जरूरी चीजों का आयात रुकने लगता है और देश की करेंसी तेजी से गिरती है। ऐसी हालत में सरकार के पास खर्च चलाने के लिए भी पैसे नहीं बचते। तब एक नाम सबसे पहले सामने आता है – IMF, यानी इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड।

"IMF क्या है? कहां से आता है लोन का पैसा, जानिए पूरी कहानी"
“IMF क्या है? कहां से आता है लोन का पैसा, जानिए पूरी कहानी”

IMF एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है जो ऐसे संकट में फंसे देशों को आर्थिक मदद देती है। लेकिन यह मदद मुफ्त में नहीं मिलती। इसके लिए देश को कई आर्थिक सुधारों के वादे करने पड़ते हैं। इस मदद को ही IMF लोन कहा जाता है।

आर्थिक संकट में काम आता है IMF लोन

आर्थिक संकट में काम आता है IMF लोन
आर्थिक संकट में काम आता है IMF लोन

जब कोई देश भारी आर्थिक संकट में होता है और उसके पास जरूरी खर्चों के लिए भी विदेशी मुद्रा नहीं बचती, तो IMF उसकी मदद करता है। यह मदद लोन के रूप में दी जाती है जिससे देश अपनी वित्तीय स्थिति सुधार सके और समय पर विदेशी कर्ज चुका सके।

पैसे कहां से आते हैं?

IMF के पास जो फंड होता है, वह इसके सदस्य देशों से आता है। हर देश अपनी आर्थिक क्षमता के अनुसार IMF में पैसा जमा करता है। इसी पैसे से IMF जरूरतमंद देशों को लोन देता है। बड़े और ताकतवर देश IMF में ज्यादा पैसा देते हैं, इसलिए फैसलों में उनका असर भी ज्यादा होता है।

कौन-कौन से देश हैं IMF के सदस्य?

IMF (International Monetary Fund) के वर्तमान में 190 सदस्य देश हैं। ये सदस्य देश दुनिया की लगभग पूरी अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करते हैं। हर सदस्य देश IMF में शामिल होते समय एक निश्चित कोटा (Quota) जमा करता है, जो उसकी आर्थिक ताकत के हिसाब से तय होता है।

IMF के प्रमुख सदस्य देश

कुछ बड़े और प्रभावशाली सदस्य देश जो IMF में ज्यादा योगदान देते हैं, ये हैं..

  • संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) : सबसे बड़ा कोटा और वोटिंग पावर
  • जापान
  • चीन
  • जर्मनी
  • फ्रांस
  • ब्रिटेन
  • भारत
  • ब्राजील
  • रूस
  • सऊदी अरब

लोन के लिए क्या करना होता है?

जब कोई देश IMF से लोन चाहता है, तो उसे सबसे पहले मदद की आधिकारिक मांग करनी होती है। इसके बाद IMF उस देश की आर्थिक हालत की जांच करता है और दोनों मिलकर एक योजना बनाते हैं। इसमें तय होता है कि देश को कौन-कौन से सुधार करने होंगे। इसके बाद IMF की मंजूरी मिलने पर लोन मिलना शुरू होता है।

यह लोन एक साथ नहीं दिया जाता, बल्कि किस्तों में मिलता है। हर किस्त के पहले IMF यह देखता है कि तय सुधार किए गए हैं या नहीं। अगर शर्तें पूरी नहीं होतीं, तो अगली किस्त रोकी भी जा सकती है।

लोन के साथ आते हैं नियम

IMF लोन के साथ कुछ सख्त शर्तें भी होती हैं। जैसे – सरकारी खर्चों में कटौती, सब्सिडी कम करना, टैक्स सुधार करना और घाटा कम करना। इन शर्तों का मकसद होता है देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर करना और उसे आत्मनिर्भर बनाना।

कई देशों ने लिया है IMF लोन

अब तक कई देश IMF से लोन ले चुके हैं। भारत ने भी 1991 के आर्थिक संकट में IMF से मदद ली थी। हाल के वर्षों में पाकिस्तान, श्रीलंका और अर्जेंटीना जैसे देशों ने भी IMF से राहत पैकेज लिया है।

अब ये जान लें कि IMF किसी देश को कर्ज देता कैसे है

अगर किसी देश को पैसों की जरूरत है तो वो आईएमएफ से फंड का अनुरोध करता है। इसके बाद आईएमएफ कर्मचारी उस देश की सरकार के साथ आर्थिक और वित्तीय स्थिति और वित्तपोषण आवश्यकताओं पर चर्चा करते हैं। वहीं, आईएमएफ उस देश पर कुछ शर्तें भी लागू कर सकता है। देश की सरकार को आईएमएफ की नीतियों पर सहमत होना जरूरी है।एक बार जब शर्तों पर सहमति बन जाती है तो इसके बाद आईएमएफ के कार्यकारी बोर्ड को मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (MoU) पेश किया जाता है।

कार्यकारी बोर्ड को एग्रीमेंट की विस्तार से जानकारी दी जाती है।बोर्ड द्वारा कर्ज को मंजूरी मिलने के बाद आईएमएफ इस बात की निगरानी करता है कि सदस्य देश पॉलिसी को लागू करता है या नहीं। किसी देश की आर्थिक और वित्तीय स्थिति में वापसी यह तय करती है कि आईएमएफ फंडों का पुनर्भुगतान किया जाए या नहीं।

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