सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई।
वक्फ संशोधन कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि संसद से पारित किसी भी कानून को ‘संवैधानिक मान्यता’ (presumption of constitutionality) प्राप्त होती है और जब तक कानून में कोई “स्पष्ट असंवैधानिकता” साबित न हो, अदालत हस्तक्षेप नहीं कर सकती. यह टिप्पणी उस वक्त आई जब वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने वक्फ संशोधन कानून को “गैर-संवैधानिक” बताते हुए इसका विरोध किया और तर्क दिया कि यह कानून “वक्फ संपत्तियों पर कब्जे” के लिए लाया गया है.

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1. आज की सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा कि ये कानून ऐसा है जो पूरे वक्फ संपत्तियों पर अतिक्रमण के लिए है.एक बार कोई संपत्ति वक्फ की हो जाती है तो वह हमेशा वक्फ की रहती है.सिब्बल ने कहा कि ये कानून वक्फ संरक्षण के लिए है, लेकिन इसका मकसद वक्फ पर कब्जा करना है. कानून इस तरह से बनाया गया है कि वक्फ संपत्ति को बिना किसी प्रक्रिया का पालन किए छीन लिया जाए. निर्णय लेने वाला अधिकारी सरकारी अधिकारी होता है और जब यह निर्णय हो जाता है तो संपत्ति वक्फ नहीं रह जाती और कोई भी व्यक्ति विवाद पैदा कर सकता है.
2.सिब्बल ने कहा कि वक्फ संशोधन कानून 2025 का मकसद वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा बताई गई है, लेकिन वास्तव में ये एक गैर-न्यायिक, कार्यपालिका प्रक्रिया के जरिए वक्फ पर कब्जे के लिए बनाया गया है. निजी संपत्तियां केवल इसलिए छीनी जा सकती हैं, क्योंकि वहां कोई विवाद है. हमें यह भी नहीं पता कि विवाद की प्रकृति क्या है.सीजेआई ने पूछा कि क्या यह सब बिना किसी वैधानिक प्रक्रिया का पालन किए किया जा रहा है. सिब्बल ने कहा कि 2013 का एक वक्फ कानून था. अब इस्तेामला के आधार पर वक्फ खत्म कर दिया गया है. बाबरी मस्जिद मामले में मान्यता प्राप्त अवधारणा को खत्म कर दिया गया है. वे कहते हैं कि 1925 के अधिनियम आदि में पंजीकरण का प्रावधान था और यदि पंजीकरण नहीं किया गया है तो वक्फ बाय यूजर नहीं है.
3. सिब्बल ने कहा कि वक्फ संपत्ति के प्रबंधन का अधिकार छीन लिया गया है. केंद्रीय वक्फ परिषद के अधिकांश सदस्य गैर मुस्लिम हैं. नए कानून की धारा 9, इसमें 12 गैर मुस्लिम और 10 मुस्लिम हैं. पहले ये सभी मुस्लिम थे. अब ये सभी मनोनीत हैं.सिब्बल ने कहा कि वे वक्फ पर कब्जा करते हैं, वक्फ को जब्त करते हैं. फिर अनुच्छेद 26 और 27 का भी उल्लंघन होता है. फिर बोर्ड का सीईओ आता है जिसे राज्य द्वारा नियुक्त किया जाएगा और वह भी गैर मुस्लिम होगा.सिब्बल ने कहा कि अब यह पूरी तरह से अलग है और वक्फ संपत्तियों पर आरोप लगाकर कब्जा करने का प्रयास है.
4. कहा कि कानून के लिए संवैधानिकता की धारणा है और जब तक कोई स्पष्ट मामला सामने न आए, अदालतें हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं. हमें कॉलेज से यही सिखाया गया है, वरना हम जानते हैं कि क्या हो रहा है.
5. आज की सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि केंद्रीय मंत्री मुस्लिम भी हो सकते हैं. इस पर सिब्बल ने कहा कि गैर मुस्लिम भी हो सकते हैं. वहीं, जस्टिस मसीह ने कहा कि यह सिर्फ चार सदस्य संख्या है. प्रावधान यह भी नहीं कहता कि यह मुसलमानों पर प्रतिबंध लगाता है.सिब्बल ने कहा कि अगर आपकी टिप्पणी सही है तो 4 गैर-मुस्लिम होने चाहिए, जबकि पहले सभी सदस्य मुसलमान थे. इस पर सीजेआई ने साफ किया कि पदेन अध्यक्ष को छोड़कर.सिब्बल ने कहा कि जब तक कि अदालत इसकी व्याख्या इस तरह से न करे कि बाकी सभी सदस्य मुसलमान हों, सिक्ख धार्मिक बंदोबस्त में एक भी व्यक्ति मुसलमान या गैर-हिंदू नहीं है.
3 मुद्दों’ पर सिब्बल-एसजी के तर्क
सॉलिसिटर जनरल मेहता ने यह भी कहा कि पर याचिकाकर्ता के लिखित बयान अब कई अन्य मुद्दों से आगे निकल गए हैं. मेरा अनुरोध है कि जिन मुद्दों पर मैंने जवाब दाखिल किया है, केवल उन्हीं तीन मुद्दों तक ही विषय को सीमित रखा जाए. इस पर सिब्बल ने कहा कि तत्कालीन सीजेआई ने कहा था कि हम मामले की सुनवाई करेंगे और देखेंगे कि अंतरिम राहत क्या दी जानी चाहिए. अब हम तीन मुद्दों तक सीमित नहीं रह सकते. ये वक्फ भूमि पर कब्जे को लेकर है. वहीं, वरिष्ठ वकील औऱ कांग्रेस के नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कोई भी सुनवाई टुकड़ों में नहीं हो सकती.
CJI ने क्यों किया दरगाहों का जिक्र

कपिल सिब्बल ने कहा कि हमारे संविधान के तहत राज्य धार्मिक संस्थाओं को वित्त पोषित नहीं कर सकता. राज्य मस्जिद के रख-रखाव के लिए धन नहीं दे सकता, कब्रिस्तान निजी संपत्ति से बनाया जाना चाहिए. इसलिए लोग अक्सर जीवन के अंत में अपनी संपत्ति वक्फ के लिए समर्पित कर देते हैं. मंदिरों में चढ़ावा होता है, मस्जिदों और कब्रिस्तानों में 2000 या 3000 करोड़ रुपये की राशि नहीं होती. इस पर सीजेआई ने कहा, लेकिन मैं दरगाहों में जाता हूं, वहां तो ऐसा अक्सर होता है. सिब्बल ने कहा कि मैं मस्जिदों की बात कर रहा हूं.
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