भारत की HAL और BEL दुनिया की टॉप 15 रक्षा कंपनियों में शामिल हो गई हैं, जिससे देश की रक्षा उत्पादन क्षमता को वैश्विक मान्यता मिली है।

भारत की प्रमुख रक्षा कंपनियाँ हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) अब दुनिया की टॉप 15 रक्षा कंपनियों में शामिल हो गई हैं। यह उपलब्धि न केवल देश की आत्मनिर्भर रक्षा नीति का प्रमाण है, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की तकनीकी और उत्पादन क्षमता को भी दर्शाती है। ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत किए गए प्रयासों और रक्षा क्षेत्र में हुए निरंतर नवाचारों का परिणाम है कि HAL और BEL जैसी भारतीय कंपनियाँ अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर रही हैं और देश को रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में एक वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित कर रही हैं।

Hindustan Aeronautics Limited (HAL)
• वैश्विक रैंकिंग: टॉप 15 में 11 वे स्थान पर
• टोटल वैल्यूएशन: $39 बिलियन (लगभग ₹3.25 लाख करोड़)
• स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस, हेलीकॉप्टर, इंजन निर्माण में अग्रणी।
• अब HAL विदेशी बाजारों में भी डिफेंस उपकरण निर्यात कर रही है।
Bharat Electronics Limited (BEL)
• वैश्विक रैंकिंग: टॉप 15 में 13 वे स्थान पर
• टोटल वैल्यूएशन: $32 बिलियन (लगभग ₹2.65 लाख करोड़)
• रडार, संचार प्रणाली, मिसाइल कंट्रोल सिस्टम जैसे हाईटेक उपकरणों का निर्माण।
• Make in India के तहत BEL का योगदान महत्वपूर्ण है।
हाल ही में भारत द्वारा संचालित ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के रणनीतिक और सटीक निष्पादन के बाद घरेलू रक्षा क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहे हैं. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा “मेड इन इंडिया” रक्षा उपकरणों और आत्मनिर्भरता पर दिए गए जोर का सीधा असर देश के डिफेंस सेक्टर में दिखाई देने लगा है,
डिफेंस स्टॉक्स में भारत की मजबूती
भारत की प्रमुख रक्षा कंपनियों जैसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL), भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL), और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) के शेयरों में आज विशेष तेजी देखी गई. BDL के शेयरों में लगभग 7.8% की बढ़ोतरी हुई, जबकि HAL और BEL के शेयरों में 4% से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई.
इसके अतिरिक्त जेन टेक्नोलॉजीज, डाटा पैटर्न्स (इंडिया) लिमिटेड, एस्ट्रा माइक्रोवेव, पारस डिफेंस एंड स्पेस टेक्नोलॉजीज, और आइडियाफोर्ज टेक्नोलॉजीज जैसी उभरती डिफेंस कंपनियों के शेयरों में भी सकारात्मक रुझान देखा गया.
डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता का प्रभाव
भारत सरकार द्वारा ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत रक्षा उपकरणों के स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने से न केवल सामरिक आत्मनिर्भरता बढ़ रही है, बल्कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था और तकनीकी नवाचार के लिए भी लाभकारी साबित हो रही है.
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में यह स्पष्ट किया कि भारत को न केवल सैन्य उपकरणों में आत्मनिर्भर बनना है, बल्कि स्वदेशी तकनीक और रक्षा नवाचार को भी वैश्विक मानकों तक पहुंचाना होगा.
भारत बन रहा है बड़ा खिलाड़ी
मोदी सरकार की रक्षा क्षेत्र में निर्यात को बढ़ावा देने की योजना रंग लाती दिख रही है. बीते 9 वर्षों में 23 गुणा की ऊंची छलांग के साथ ही इस साल भारत का रक्षा निर्यात कुल 16 हजार करोड़ रुपए का हो गया है. पिछले वित्त वर्ष यह 13 हजार करोड़ रुपए का था. भारत ने मुख्यतः रक्षा उपकरणों, तकनीक और गोला-बारूद वगैरह का निर्यात किया है. देश ने सबसे अधिक निर्यात दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों, अमेरिका और फिलीपींस के साथ ही मिडिल ईस्ट और अफ्रीका के कई देशों को किया गया है.
निर्यात में लगभग 70 फीसदी हिस्सेदारी निजी क्षेत्र की है, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां बाकी 30 फीसदी निर्यात कर रही हैं. भारत में लगभग 100 कंपनियां रक्षा क्षेत्र के निर्यात से जुड़ी हैं और दुनिया के लगभग 85 देश भारत से हथियार खरीद रहे हैं. देश रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से बढ़ रहा है.
इसके साथ निर्यात में तो ऊंची छलांग लगी ही है. 2013-14 में भारत का रक्षा निर्यात जहां 686 करोड़ रुपए ही था, वहीं इस साल बढ़कर यह 16 हजार करोड़ रुपए हो गया है. रक्षा मंत्रालय ने इस मौके पर एक बयान में कहा है, “भारतीय उद्योग ने वर्तमान में डिफेंस प्रोडक्टर्स का एक्सपोर्ट करने वाली 100 कंपनियों के साथ दुनिया भर में डिजाइन और विकास की अपनी क्षमता दिखाई है”. रक्षा मंत्रालय ने बताया कि बढ़ता रक्षा निर्यात तो अपनी जगह है ही, एयरो इंडिया 2023 में दुनिया के 104 देशों की भागीदारी हमारी रक्षा निर्माण क्षमताओं का प्रमाण है.
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