यूपी में बिजली दरें एक साथ तीस फीसदी बढ़ सकती हैं। एआरआर में 19600 करोड़ का घाटा बताते हुए 30 फीसदी बिजली दर बढ़ाने का प्रस्ताव दिया गया है।
उत्तर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को जुलाई में एक बड़ा झटका लग सकता है। खबर है कि राज्य में बिजली की दरों में करीब 30 फीसदी तक की बढ़ोतरी की संभावना जताई जा रही है। उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) और अन्य वितरण कंपनियों ने उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (UPERC) को नई दरों के प्रस्ताव भेज दिए हैं। आयोग जुलाई में इन प्रस्तावों पर सुनवाई करेगा और उसके बाद अंतिम फैसला लिया जाएगा।
अगर दरों में यह बढ़ोतरी होती है, तो इसका सीधा असर आम लोगों की जेब पर पड़ेगा। घरेलू उपभोक्ता ही नहीं, कृषि, वाणिज्यिक और औद्योगिक क्षेत्रों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। महंगाई से पहले से जूझ रहे लोगों के लिए यह बढ़ोतरी एक और आर्थिक बोझ बन सकती है। हालांकि, आयोग आम जनता की आपत्तियां और सुझाव भी लेगा, जिसके बाद ही अंतिम आदेश जारी होगा।

बिजली विभाग का कहना है कि बढ़ती लागत, रखरखाव और उत्पादन खर्च को देखते हुए दरों में संशोधन जरूरी हो गया है। अब देखना होगा कि जुलाई में आयोग क्या निर्णय लेता है और उपभोक्ताओं को कितना बड़ा झटका झेलना पड़ता है।
पाॅवर काॅर्पोरेशन की ओर से नियामक आयोग में वर्ष 2025-26 के लिए एआरआर दाखिल किया था। इसमें एक हजार करोड़ का घाटा दिखाया था। सप्ताहभर बाद काॅर्पोरेशन ने आयोग में संशोधित एआरआर दाखिल किया। इसमें घाटे का आकलन 19600 करोड़ रुपये करते बिजली दर 30 फीसदी बढ़ाने का प्रस्ताव दिया।
नियामक आयोग ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। अब इस पर जुलाई में सुनवाई होगी। नियामक आयोग सभी पक्षों की सुनवाई करने के बाद बिजली दर बढ़ाने संबंधी आदेश देगा। प्रस्ताव स्वीकार करते हुए आयोग ने सभी बिजली कंपनियों के आय-व्यय का ब्यौरा सार्वजनिक करने के लिए तीन दिन का समय दिया है।
फिलहाल जनता को 21 दिनों का समय दिया गया है, जिसमें वे इस प्रस्ताव पर आपत्तियां और सुझाव दर्ज करा सकते हैं। कंपनियों को आदेश दिया गया है कि तीन दिनों में जनता को विज्ञापन जारी कर सूचना दें। जुलाई में इस मामले पर विस्तृत सुनवाई होगी। उपभोक्ता परिषद ने आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए 40-45% कटौती का प्रस्ताव रखा है, जिससे बिजली उपभोक्ताओं की उम्मीदें जुड़ी हैं।
अब जनता की बारी, सुझाव और आपत्तियां दर्ज करने को 21 दिन
अब यह मामला जनता के दरबार में है। नियामक आयोग ने आदेश दिया है कि बिजली कंपनियां तीन दिनों के भीतर प्रस्तावित दरों की जानकारी विज्ञापन के माध्यम से दें ताकि उपभोक्ता अपनी आपत्तियां और सुझाव दर्ज करा सकें। इसके लिए 21 दिन का समय दिया गया है। इस पूरी प्रक्रिया के बाद जुलाई में सुनवाई शुरू होगी और तभी तय होगा कि बिजली दरें बढ़ेंगी या नहीं। फिलहाल बढ़ोत्तरी की आशंका से उपभोक्ताओं में बेचैनी है, वहीं विपक्ष और उपभोक्ता संगठन इसे जनता पर अतिरिक्त बोझ कहकर विरोध कर रहे हैं।
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