पंचायत चुनाव से पहले सपा अलर्ट मोड में, हर बूथ पर कड़ी नजर !

 यूपी में अगले साल होने वाले पंचायत चुनाव के पहले सपा अलर्ट मोड पर आ गई है। 

उत्तर प्रदेश में आगामी पंचायत चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) पूरी तरह से अलर्ट मोड में आ गई है। पार्टी नेतृत्व ने बूथ स्तर से लेकर जिला स्तर तक संगठन को सक्रिय कर दिया है और स्पष्ट संदेश दे दिया गया है कि पंचायत चुनाव को हल्के में नहीं लिया जाएगा। सपा इसे सिर्फ स्थानीय निकाय चुनाव नहीं, बल्कि 2027 के मिशन विधानसभा की बुनियाद मान रही है।

पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर बूथ प्रबंधन, कार्यकर्ता संवाद, और क्षेत्रीय समीकरणों की समीक्षा शुरू हो चुकी है। हर बूथ पर पार्टी की पकड़ मजबूत करने के लिए “बूथ जिताओ, सपा लाओ” अभियान चलाया जा रहा है। क्षेत्रीय प्रभारियों और जिलाध्यक्षों को निर्देश दिए गए हैं कि वे जमीनी हकीकत समझें और सक्रिय कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता दें।

पंचायत चुनाव से पहले सपा अलर्ट मोड में, हर बूथ पर कड़ी नजर !
पंचायत चुनाव से पहले सपा अलर्ट मोड में, हर बूथ पर कड़ी नजर !

सूत्रों के अनुसार, सपा रणनीति के तहत भाजपा को ग्राम स्तर पर ही टक्कर देने की तैयारी में जुट गई है। पार्टी की नजर उन सीटों पर खास है जहां पिछली बार जीत का अंतर कम था या जहां संगठन कमजोर साबित हुआ था। अब वहां नए सिरे से टीम बनाई जा रही है।

इसके साथ ही सपा ने सोशल मीडिया और डिजिटल कैम्पेन को भी गांव-गांव तक पहुंचाने की योजना बनाई है। पंचायत प्रतिनिधियों और संभावित उम्मीदवारों के प्रशिक्षण शिविर भी आयोजित किए जा रहे हैं, ताकि वे चुनावी प्रक्रिया, नियमों और प्रचार तकनीकों से पूरी तरह परिचित हो सकें।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि पंचायत चुनाव में बेहतर प्रदर्शन न केवल गांवों में पार्टी की पकड़ मजबूत करेगा, बल्कि आगामी विधानसभा चुनावों में संगठनात्मक लाभ भी देगा। यही वजह है कि सपा इन चुनावों को गंभीरता से लेकर हर बूथ पर निगरानी और तैयारी को प्राथमिकता दे रही है।

साफ है कि समाजवादी पार्टी इस बार पंचायत चुनाव में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती और उसकी नजर अब सिर्फ सत्ता वापसी पर है — जिसकी शुरुआत गांव की गलियों से ही होती है।

साथ ही सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पहले ही कह चुके हैं कि भाजपा के पास डाटा और तकनीक है। वे आईटी प्रोफेशनल्स की मदद ले रहे हैं। ऐसे में इससे इन्कार नहीं किया जा सकता कि सत्ताधारी दल डाटा का अपने मनमुताबिक इस्तेमाल करने की कोशिश करेगा। सूत्रों के मुताबिक, सत्ताधारी पार्टी परिसीमन में ग्राम पंचायतों का जातीय आंकड़ा प्रभावित करने की कोशिश करेगी। ताकि, वहां पीडीए के सपा के गुणा-भाग पर विपरीत असर डाला जा सके।

सपा इस पर भी नजर रखेगी कि न सिर्फ आरक्षण का पालन हो, बल्कि इसमें किसी तरह का खेल भी न हो सके। इसके लिए सपा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित भी किया जा रहा है, जिससे वे अपने ग्राम, क्षेत्र व जिलास्तर पर अधिकारियों के सामने अपना पक्ष मजबूती से कर सकें। सपा नेतृत्व का कहना है कि अगर कहीं कोई गड़बड़ी होती हुई दिखी तो चुनाव आयोग से लेकर कोर्ट तक का विकल्प अपनाया जाएगा।

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