बीजेपी ने लंबे समय से खाली पड़े 4 जिलों में अध्यक्षों की नियुक्ति की है. झुंझुनू में हर्षिनी कुलहरी, जोधपुर देहात में ज्योति ज्याणी और दौसा में लक्ष्मी रैला को अध्यक्ष बनाया गया है.
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने राजस्थान में संगठनात्मक बदलाव की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए मंगलवार को चार जिलों के लिए नए जिला अध्यक्षों की घोषणा की है। खास बात यह है कि इनमें से तीन जिलों की कमान महिलाओं को सौंपी गई है, जिसे पार्टी ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में अहम कदम बताया है। इस फैसले को आगामी पंचायत चुनावों और 2028 विधानसभा चुनावों की रणनीतिक तैयारी के रूप में भी देखा जा रहा है।

पार्टी की ओर से जारी सूची के अनुसार, जयपुर देहात उत्तर, बांसवाड़ा, सवाई माधोपुर और झुंझुनूं जिलों में नए अध्यक्षों की नियुक्ति की गई है। इनमें जयपुर देहात उत्तर से श्रीमती मोनिका अग्रवाल, बांसवाड़ा से श्रीमती मंजू जाटव और सवाई माधोपुर से श्रीमती पूजा शर्मा को जिलाध्यक्ष बनाया गया है। वहीं झुंझुनूं जिले की कमान नरेश डायमा को सौंपी गई है।
अब किसके हाथ 4 जिलों की कमान?
झुंझुनूं में पूर्व सांसद नरेंद्र खींचड़ की बहू हर्षिनी कुलहरी को अध्यक्ष घोषित किया गया है, जबकि जोधपुर देहात में पूर्व प्रधान ज्योति ज्याणी को कमान सौंपी गई है। इसके अलावा, धौलपुर में RSS के प्रचारक रहे राजवीर सिंह राजावत को अध्यक्ष बनाया गया है। वहीं, दौसा में लक्ष्मी रैला को अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
कौन हैं राजवीर सिंह राजावत?
बीजेपी ने धौलपुर में राजवीर सिंह राजावत को नया जिलाध्यक्ष नियुक्त किया है, जो वर्तमान जिलाध्यक्ष सतेन्द्र पाराशर का स्थान लेंगे। राजवीर सिंह राजावत बसेड़ी क्षेत्र से हैं और आरएसएस पृष्ठभूमि से जुड़े हुए हैं। उन्होंने प्रचारक के रूप में कार्य किया है और पहले भरतपुर संभाग में विस्तारक कार्य योजना के प्रभारी की भूमिका भी निभा चुके हैं।
राजस्थान में बीजेपी के कितने जिलाध्यक्ष?
बता दें कि बीजेपी ने संगठन के लिहाज से राजस्थान को 44 जिलों में बांटा है। इन चार नियुक्तियों के बाद राजस्थान में सभी जिलों में बीजेपी के अध्यक्ष नियुक्त हो गए हैं।
महिला नेताओं को प्रमुख जिम्मेदारी
राजस्थान में भाजपा लंबे समय से संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने पर ध्यान दे रही है। महिलाओं को जिलाध्यक्ष बनाने के इस निर्णय को सामाजिक समीकरणों और महिला मतदाताओं को साधने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सी.पी. जोशी ने कहा कि “यह बदलाव सिर्फ चेहरों का नहीं, बल्कि दृष्टिकोण का है। हमारी पार्टी में महिलाओं को बराबरी का सम्मान और अवसर मिलता है। ये नियुक्तियाँ आने वाले चुनावों के लिए संगठन को जमीनी स्तर पर मज़बूत करेंगी।”
राजनीतिक संदेश भी साफ
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा ने इस निर्णय के जरिए कांग्रेस पर भी दबाव बनाने की कोशिश की है, जहां महिला नेतृत्व को लेकर पार्टी अभी भी स्पष्ट दिशा में नहीं दिखती। साथ ही यह संदेश देने की भी कोशिश है कि भाजपा ग्रामीण व शहरी दोनों क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी को गंभीरता से ले रही है।
पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह
नए जिलाध्यक्षों की घोषणा के बाद स्थानीय स्तर पर पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह देखा गया। कई जिलों में स्वागत कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें स्थानीय विधायकों और नेताओं ने भाग लिया। वहीं महिला मोर्चा ने इसे “ऐतिहासिक निर्णय” करार दिया।
आगामी चुनावों पर असर
पार्टी सूत्रों के मुताबिक यह फेरबदल सिर्फ शुरुआत है। आगामी महीनों में अन्य जिलों में भी संगठनात्मक बदलाव किए जाएंगे ताकि पार्टी 2028 की लड़ाई के लिए पहले से तैयार हो सके। महिला नेताओं को मिल रही प्रमुख भूमिका से भाजपा को महिलाओं के बीच अपनी पैठ मजबूत करने में मदद मिलेगी।
इस तरह भाजपा ने एक बार फिर संगठनात्मक स्तर पर महिला नेतृत्व को बढ़ावा देते हुए राजनीतिक और सामाजिक दोनों मोर्चों पर सशक्त संदेश देने की कोशिश की है।
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