“राज्यसभा में क्रॉसवोटिंग पड़ी भारी: सपा ने 3 बागी विधायकों को दिखाया बाहर का रास्ता!”

समाजवादी पार्टी के तीनों विधायकों ने पिछले साल राज्यसभा चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग की थी। इसके बाद से ये तीनों विधायक पार्टी के किसी कार्यक्रम में शामिल नहीं हो रहे थे।

राज्यसभा चुनाव में पार्टी लाइन से हटकर मतदान करना समाजवादी पार्टी के तीन विधायकों को भारी पड़ गया। पार्टी ने सोमवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए क्रॉस वोटिंग करने वाले तीन बागी विधायकों को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से तत्काल प्रभाव से निष्कासित कर दिया। इन विधायकों में प्रतापगढ़ से राजेश यादव, भदोही से विजय मिश्रा और हरदोई से राकेश वर्मा शामिल हैं। समाजवादी पार्टी ने इन विधायकों पर राज्यसभा चुनाव में पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ जाकर विपक्षी खेमे को समर्थन देने का आरोप लगाया। इस बगावत के चलते सपा उम्मीदवार की हार हुई, जिससे पार्टी में आंतरिक असंतोष और नाराजगी उभरकर सामने आई।

 "राज्यसभा में क्रॉसवोटिंग पड़ी भारी: सपा ने 3 बागी विधायकों को दिखाया बाहर का रास्ता!"
“राज्यसभा में क्रॉसवोटिंग पड़ी भारी: सपा ने 3 बागी विधायकों को दिखाया बाहर का रास्ता!”

पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि “राजनीति में निष्ठा और अनुशासन सबसे महत्वपूर्ण हैं। जो पार्टी के साथ नहीं, उनके लिए पार्टी में कोई जगह नहीं हो सकती।” पार्टी की अनुशासनात्मक समिति ने विधायकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था, लेकिन संतोषजनक जवाब न मिलने पर निष्कासन की कार्रवाई की गई।

इस घटनाक्रम ने यूपी की राजनीति में हलचल मचा दी है और बाकी दलों की नजर अब इन बागी विधायकों पर टिक गई है, जिनके भविष्य की राजनीतिक राहें फिलहाल अनिश्चित दिख रही हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम सपा के अंदर अनुशासन कायम करने की कोशिश है और साथ ही अन्य नेताओं के लिए एक स्पष्ट संदेश भी। विधानसभा स्पीकर के समक्ष अब इन विधायकों की सदस्यता को लेकर कानूनी प्रक्रिया शुरू हो सकती है।

समाजवादी पार्टी ने क्या कहा?

समाजवादी पार्टी ने क्या कहा?
समाजवादी पार्टी ने क्या कहा?

समाजवादी पार्टी की तरफ से एक्स पोस्ट में लिखा गया “समाजवादी सौहार्दपूर्ण सकारात्मक विचारधारा की राजनीति के विपरीत साम्प्रदायिक विभाजनकारी नकारात्मकता व  किसान, महिला, युवा, कारोबारी, नौकरीपेशा और ‘पीडीए विरोधी’ विचारधारा का साथ देने के कारण, समाजवादी पार्टी जनहित में निम्नांकित विधायकों को पार्टी से निष्कासित करती है।

1. मा. विधायक गोशाईगंज अभय सिंह

2. मा. विधायक गौरीगंज राकेश प्रताप सिंह
3. मा. विधायक ऊंचाहार मनोज कुमार पाण्डेय

इन लोगों को हृदय परिवर्तन के लिए दी गयी ‘अनुग्रह-अवधि’ की समय-सीमा अब पूर्ण हुई, शेष की समय-सीमा अच्छे व्यवहार के कारण शेष है। भविष्य में भी ‘जन-विरोधी’ लोगों के लिए पार्टी में कोई स्थान नहीं होगा और पार्टी के मूल विचार की विरोधी गतिविधियां सदैव अक्षम्य मानी जाएंगी। जहां रहें, विश्वसनीय रहें।”

सपा के 7 विधायकों ने की थी क्रॉस वोटिंग

2024 में उत्तर प्रदेश की 10 सीटों के लिए राज्यसभा चुनाव हुआ था। इस दौरान समाजवादी पार्टी के सात विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी। वहीं, एक विधायक मतदान के लिए नहीं पहुंचा था। इससे समाजवादी पार्टी को नुकसान हुआ था। राज्यसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने आठ और समाजवादी पार्टी ने तीन उम्मीदवार उतारे थे। सपा उम्मीदवार के लिए जीत की राह बीजेपी के आठवें उम्मीदवार के मुकाबले आसान थी, लेकिन सात विधायकों ने बीजेपी के उम्मीदवार के पक्ष में मतदान कर दिया। इस वजह से बीजेपी उम्मीदवार को जीत मिली थी।

अब तीनों विधायकों के बारे में जानिए…

राकेश प्रताप सिंह 

अमेठी के गौरीगंज से विधायक राकेश प्रताप सिंह समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेताओं में गिने जाते थे। वह 2012 से लगातार विधायक बनते आ रहे हैं। 2021 में उन्होंने विधायकी से इस्तीफा भी दे दिया था। इस समय उन्होंने कहा था कि चुनी हुई सरकार ने अपने वादे पूरे नहीं किए हैं। इस वजह से वह इस्तीफा दे रहे हैं।

राकेश प्रताप सिंह की गिनती सपा प्रमुख अखिलेश यादव के करीबियों में होती थी। 2023 में उन्हें मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी अहम जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन 2024 में पार्टी लाइन से अलग वोट कर उन्होंने पार्टी आलाकमान से अपने रिश्ते खराब किए। अब वह पार्टी से बाहर हो चुके हैं। आगामी चुनाव से पहले वह बीजेपी से जुड़ सकते हैं।

अभय सिंह

अयोध्या की गोसाईंगंज सीट से विधायक अभय सिंह ने बहुजन समाजवादी पार्टी के साथ अपने सियासी सफर की शुरुआत की थी, लेकिन बाद में वह समाजवादी पार्टी में चले गए हैं। 2012 में उन्होंने गोसाईंगंज सीट से पहली बार विधानसभा चुनाव जीता और 2022 में दूसरी बार विधायक बने थे। उन्होंने 2012 में खब्बू तिवारी और 2022 में उनकी पत्नी आरती तिवारी को हराया था। अभय सिंह मूल रूप से जौनपुर से हैं और वे पूर्व पीएम वीपी सिंह के दूर के रिश्तेदार भी बताए जाते हैं।

अभय को माफिया मुख्तार अंसारी का करीबी माना जाता है। लखनऊ यूनिवर्सिटी में उनकी छात्र राजनीति मुख्तार अंसारी के संरक्षण में शुरू हुई थी। अभय जेलर आरके तिवारी हत्याकांड, विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड में आरोपी रह चुके हैं। अभय सिंह ने यूपी विधानसभा अध्यक्ष के साथ राम मंदिर में दर्शन किए थे, जबकि सपा ने ऐसा करने से मना किया था। यहीं से अभय सिंह और अखिलेश यादव के रिश्ते खराब हो गए।

मनोज पांडे

रायबरेली की ऊंचाहार सीट से विधायक मनोज पांडे तीन बार विधायक और सपा सरकार में मंत्री रह चुके हैं। 2012 में ऊंचाहार सीट बनने के बाद से वह लगातार यहां से विधायक रहे हैं। कानपुर के फिरोज गांधी कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई करने वाले मनोज 16 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति के मालिक हैं।

रायबरेली में उनका दबदबा माना जाता है। 2012 में उन्होंने इस इलाके से सपा को पांच सीटें जीतने में मदद की थी। यहीं से वह अखिलेश के करीबी बन गए। हालांकि, पार्टी लाइन से अलग वोट करके उन्होंने अपने रिश्ते खराब किए और अब सपा से अलग हो चुके हैं।

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