महाराष्ट्र में भाषा को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है। इस बीच शिवसेना यूबीटी के प्रमुख उद्धव ठाकरे और एमएनएस के प्रमुख राज ठाकरे ने संयुक्त पत्र जारी किया है।
महाराष्ट्र में चल रहे भाषा विवाद के बीच एक बड़ा और ऐतिहासिक घटनाक्रम सामने आया है। लंबे समय से राजनीतिक मतभेदों के लिए जाने जाने वाले राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे ने पहली बार एक साथ एक संयुक्त पत्र जारी किया है। इस पत्र के माध्यम से दोनों नेताओं ने मराठी भाषा और मराठी अस्मिता की रक्षा के लिए आम जनता से एकजुट होने की अपील की है।
यह संयुक्त पत्र मराठी लोगों को संबोधित करते हुए लिखा गया है। उद्धव और राज ठाकरे ने इस पत्र के जरिए 5 जुलाई को होने वाले जनसभा का निमंत्रण मराठी लोगों को दिया है। बता दें कि बीते दिनों राज ठाकरे की पार्टी एमएनस के कार्यकर्ताओं की गुंडागर्दी भी देखने को मिली थी।

क्या है विवाद?
हाल ही में महाराष्ट्र में गैर-मराठी भाषाओं को लेकर कुछ विवादास्पद सरकारी निर्णयों और निजी संस्थानों की नीतियों ने भाषा को लेकर बहस तेज कर दी है। विशेष रूप से हिंदी और अंग्रेज़ी के बढ़ते प्रयोग और मराठी भाषा को नजरअंदाज किए जाने को लेकर सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों ने चिंता जताई है।
क्या कहा है पत्र में?
राज और उद्धव ठाकरे द्वारा संयुक्त रूप से जारी इस पत्र में मराठी जनता से अपनी भाषा, संस्कृति और अस्मिता के संरक्षण की अपील की गई है। उन्होंने लिखा:
“भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, हमारी पहचान है। महाराष्ट्र की आत्मा मराठी भाषा में बसती है। यदि हमने अभी भी अपनी भाषा और संस्कृति की उपेक्षा की, तो आने वाली पीढ़ियाँ हमें माफ नहीं करेंगी।”
पत्र में विशेष रूप से स्कूलों, कॉलेजों, सरकारी संस्थानों और प्राइवेट कंपनियों से मराठी भाषा को प्राथमिकता देने का आग्रह किया गया है।
राज और उद्धव की एकता का महत्व
यह पहली बार है जब मनसे प्रमुख राज ठाकरे और शिवसेना (उद्धव गुट) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने किसी मुद्दे पर संयुक्त रूप से रुख अपनाया है। यह कदम न केवल मराठी भाषियों को एकजुट करने की रणनीति है, बल्कि आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए एक बड़ा राजनीतिक संकेत भी माना जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह पत्र आने वाले समय में महाराष्ट्र की राजनीति में मराठी अस्मिता के मुद्दे को फिर से केंद्र में ला सकता है, जो शिवसेना और मनसे दोनों की पारंपरिक राजनीति का आधार रहा है।
मराठी भाषियों में उत्साह
संयुक्त पत्र के सामने आने के बाद सोशल मीडिया और मराठी सामाजिक संगठनों के बीच गर्व और उत्साह की लहर दौड़ गई है। ट्विटर और फेसबुक पर #मराठीबोलाचा ट्रेंड कर रहा है। कई लोगों ने इसे “इतिहास की वापसी” बताया है।
सरकार और प्रशासन की प्रतिक्रिया
राज्य सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन यह तय है कि इस पत्र के बाद सरकार पर मराठी भाषा को लेकर ठोस कदम उठाने का दबाव बढ़ेगा।
शिक्षा और नौकरियों में मराठी की अनदेखी पर चिंता
पत्र में विशेष रूप से यह उल्लेख किया गया है कि बहुभाषी शहरों जैसे मुंबई, पुणे, नवी मुंबई में स्कूलों, बैंकिंग सेवाओं, कॉल सेंटर्स और हॉस्पिटल्स में मराठी भाषा को दरकिनार किया जा रहा है। यह प्रवृत्ति राज्य की सांस्कृतिक आत्मा को आहत करती है।
निष्कर्ष:
भाषा विवाद के इस संवेदनशील समय में ठाकरे बंधुओं का एकजुट होना सिर्फ मराठी भाषा की लड़ाई नहीं, बल्कि महाराष्ट्र की सांस्कृतिक पहचान को बचाने की एक साझा पहल है। यह पत्र न केवल मराठी लोगों के भीतर एक नई चेतना जगाने वाला है, बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति में सामाजिक और भाषाई एकता की नई भूमिका भी निर्धारित कर सकता है।
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