पुरानी दिल्ली अब नहीं कहलाएगी ‘पुरानी’? सीएम रेखा गुप्ता ने रेलवे स्टेशन के नाम बदलने को लिखा पत्र

दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता ने रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र लिखकर पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के नाम को बदलने की मांग की है। उन्होंने मांग की कि रेलवे स्टेशन का नाम महाराजा अग्रसेन रेलवे स्टेशन रखा जाए।

दिल्ली की राजनीति और पहचान से जुड़ा एक अहम मुद्दा इन दिनों सुर्खियों में है। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने केंद्र सरकार को एक पत्र लिखकर ‘पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन’ का नाम बदलने की आधिकारिक मांग की है। उन्होंने यह पत्र सीधे रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को संबोधित करते हुए लिखा है, जिसमें उन्होंने इस नाम को “पुरानेपन” की छवि देने वाला और दिल्ली की आधुनिक पहचान के खिलाफ बताया है।

पुरानी दिल्ली अब नहीं कहलाएगी 'पुरानी'? सीएम रेखा गुप्ता ने रेलवे स्टेशन के नाम बदलने को लिखा पत्र
पुरानी दिल्ली अब नहीं कहलाएगी ‘पुरानी’? सीएम रेखा गुप्ता ने रेलवे स्टेशन के नाम बदलने को लिखा पत्र

नाम में क्या है खास?

नाम में क्या है खास?
नाम में क्या है खास?

पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन भारतीय रेलवे का एक ऐतिहासिक स्टेशन है, जिसे पहले ‘दिल्ली जंक्शन’ के नाम से जाना जाता था। यह स्टेशन 1864 में अस्तित्व में आया और आज भी देश के सबसे व्यस्त स्टेशनों में से एक है। यह क्षेत्र ऐतिहासिक ‘शाहजहानाबाद’ का केंद्र रहा है — मुग़ल कालीन दिल्ली की पहचान।

लेकिन अब इस नाम को लेकर नई बहस शुरू हो गई है कि क्या ‘पुरानी’ शब्द से राजधानी की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है?

रेखा गुप्ता की दलील

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने पत्र में लिखा:

“‘पुरानी दिल्ली’ शब्द एक सांस्कृतिक विरासत जरूर है, लेकिन आज के दौर में यह शब्द दिल्ली के विकास, नवाचार और समकालीन पहचान से मेल नहीं खाता। यह नाम विदेशी पर्यटकों और देशवासियों में एक पिछड़े इलाके की धारणा बनाता है। इसलिए इसका नाम बदलकर कोई ऐसा नाम रखा जाए जो इसकी ऐतिहासिकता के साथ-साथ वर्तमान गौरव को दर्शाए।”

संभावित नए नामों की चर्चा

सूत्रों के मुताबिक, सरकार के अंदरूनी हलकों में कुछ नामों पर गंभीर विचार-विमर्श हो रहा है, जैसे:

  • शाहजहानाबाद टर्मिनस
  • दिल्ली हेरिटेज जंक्शन
  • सुभाष नगर रेलवे स्टेशन
  • स्वराज स्टेशन दिल्ली

हालांकि, अभी तक किसी नाम पर अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ

इस मांग पर राजनीतिक खेमों में बंटे मत सामने आ रहे हैं:

  • आप पार्टी और कांग्रेस ने इसे “गैर-ज़रूरी मुद्दा” बताते हुए कहा कि “नाम बदलने से ज़्यादा ज़रूरी है स्टेशन की मूलभूत सुविधाओं को सुधारना।”
  • जबकि भाजपा और कुछ स्थानीय संगठनों ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि दिल्ली को अब “विकास और आधुनिकता” की नई पहचान मिलनी चाहिए।

जनता की मिली-जुली प्रतिक्रिया

सोशल मीडिया पर इस विषय को लेकर जबरदस्त बहस छिड़ी हुई है:

  • कुछ लोग इसे आवश्यक कदम मानते हैं जो दिल्ली की छवि सुधारने में मदद करेगा।
  • वहीं, कई लोग इसे इतिहास मिटाने की कोशिश करार दे रहे हैं। उनका मानना है कि ‘पुरानी दिल्ली’ नाम सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि एक संस्कृति, एक याद, और एक जीवनशैली है।

इतिहास से वर्तमान तक

पुरानी दिल्ली यानी शाहजहानाबाद, मुग़ल बादशाह शाहजहाँ द्वारा 17वीं सदी में बसाई गई थी। यहाँ का रेलवे स्टेशन 19वीं सदी में ब्रिटिश सरकार द्वारा स्थापित किया गया। स्टेशन का नाम ‘पुरानी दिल्ली’ रखना इस क्षेत्र की ऐतिहासिक पहचान को बनाए रखने के लिए किया गया था।


निष्कर्ष:

रेखा गुप्ता द्वारा किया गया यह प्रस्ताव महज़ नाम बदलने तक सीमित नहीं है — यह दिल्ली की पुरानी विरासत और आधुनिक सोच के बीच संतुलन की नई कोशिश है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि केंद्र सरकार इस मांग पर क्या रुख अपनाती है और क्या देश की राजधानी का यह ऐतिहासिक रेलवे स्टेशन वास्तव में ‘पुराना’ न रहकर कुछ नया कहलाएगा?

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