“महादेव के बाद लालू ही कलयुग के भगवान? RJD MLC के बयान से मचा सियासी भूचाल”

आरजेडी MLC उर्मिला ठाकुर ने पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव को कलयुग में जिंदा भगवान बता दिया। उनके इस विवादित बयान की सियासी गलियारों में काफी चर्चा हो रही है।

बिहार की राजनीति एक बार फिर विवादों के केंद्र में आ गई है। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की महिला विधान परिषद सदस्य (MLC) के एक बयान ने राजनीतिक गलियारों में भूचाल ला दिया है। MLC ने सार्वजनिक मंच से कहा कि “महादेव के बाद अगर इस कलयुग में कोई जीवित भगवान हैं, तो वो हैं लालू प्रसाद यादव।” इस टिप्पणी ने न सिर्फ विपक्ष बल्कि जनता के बीच भी तीखी प्रतिक्रियाएं पैदा कर दी हैं।

"महादेव के बाद लालू ही कलयुग के भगवान? RJD MLC के बयान से मचा सियासी भूचाल"
“महादेव के बाद लालू ही कलयुग के भगवान? RJD MLC के बयान से मचा सियासी भूचाल”

बयान ने छेड़ी आस्था और राजनीति की बहस

यह विवादित बयान उस समय आया जब आरजेडी के एक कार्यक्रम में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया जा रहा था। मंच से बोलते हुए महिला एमएलसी ने कहा,

“महादेव के बाद अगर किसी ने इस कलयुग में समाज के पिछड़ों, गरीबों और वंचितों के लिए भगवान जैसा कार्य किया है, तो वो लालू यादव जी हैं। वह सिर्फ एक नेता नहीं, जनमानस के लिए जीवित भगवान हैं।”

विपक्ष का तीखा प्रहार – ‘यह आस्था का अपमान है’

विपक्ष का तीखा प्रहार – 'यह आस्था का अपमान है'
विपक्ष का तीखा प्रहार – ‘यह आस्था का अपमान है’

बीजेपी, जेडीयू और कांग्रेस समेत कई दलों ने इस बयान की कड़ी आलोचना की है। भाजपा नेता नंद किशोर यादव ने कहा, “राजनीति में चाटुकारिता की सीमा होती है। कोई भी नेता ईश्वर नहीं हो सकता। इस तरह की बयानबाज़ी हिंदू भावनाओं का सीधा अपमान है।”

जेडीयू के प्रवक्ता ने कहा, “राजनीति को धर्म से जोड़कर इस तरह की अतिशयोक्ति करना लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। लालू यादव के ऊपर कई घोटालों के आरोप हैं, ऐसे व्यक्ति की तुलना भगवान से करना दुर्भाग्यपूर्ण है।”

आरजेडी ने दी सफाई – ‘भावनात्मक बयान, न लें गलत अर्थ में’

आरजेडी ने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि एमएलसी का इरादा किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत करना नहीं था। पार्टी के प्रवक्ता ने कहा, “नेता जी (लालू यादव) ने पिछड़े वर्गों को आवाज दी, सामाजिक न्याय की नींव रखी, इसलिए कार्यकर्ता भावनात्मक हो जाते हैं। इसे शब्दश: न लिया जाए।”

सोशल मीडिया पर भी बंटे लोग

यह बयान सोशल मीडिया पर भी तेजी से वायरल हो गया है। ट्विटर पर #LaluIsGod ट्रेंड कर रहा है, जिसमें एक वर्ग एमएलसी के बयान का समर्थन कर रहा है, जबकि अधिकांश यूजर्स इसे ‘आस्था के साथ खिलवाड़’ और ‘राजनीतिक चाटुकारिता की हद’ बता रहे हैं।

एक यूजर ने लिखा,

“जिस व्यक्ति को कोर्ट ने दोषी ठहराया, उसे भगवान बताना लोकतंत्र की विडंबना है।”

वहीं, एक आरजेडी समर्थक ने कहा,

“लालू जी ने हमें पहचान दी, शिक्षा दी, हक दिलाया। हमारे लिए वह भगवान से कम नहीं।”

लालू यादव की चुप्पी, लेकिन सवाल कई

अब तक खुद लालू प्रसाद यादव की ओर से इस बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन उनके चुप रहने को भी कई राजनीतिक विश्लेषक महत्वपूर्ण मान रहे हैं। क्या वह इस बयान से सहमत हैं या केवल विवाद से दूरी बनाए रखना चाहते हैं—यह स्पष्ट नहीं है।

निष्कर्ष

राजनीति में अतिशयोक्ति कोई नई बात नहीं, लेकिन धर्म और आस्था से जुड़ी तुलना जब नेताओं से होने लगे, तो विवाद गहराना तय है। आरजेडी की एमएलसी का यह बयान न केवल सियासी हलकों में गूंज रहा है, बल्कि आम जनता की धार्मिक संवेदनाओं को भी झकझोर रहा है। अब देखना यह होगा कि यह बयान आने वाले चुनावों पर किस हद तक असर डालता है, और क्या आरजेडी इसकी राजनीतिक कीमत चुकाएगी या समर्थकों के उत्साह के रूप में इसे भुनाएगी।

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