दिल्ली सरकार के मंत्री ने जुलाई के पहले हफ्ते में कृत्रिम बारिश कराए जाने का ऐलान किया था। वहीं, अब दिल्ली में कृत्रिम बारिश कराए जाने वाले प्रोजेक्ट को स्थगित कर दिया गया है। इसके पीछे की वजह भी बताई गई है।
राजधानी दिल्ली में प्रदूषण से राहत पाने के लिए सरकार और वैज्ञानिक संस्थान लंबे समय से कृत्रिम वर्षा (Artificial Rain) कराने की योजना पर काम कर रहे थे। उम्मीद की जा रही थी कि जुलाई के पहले पखवाड़े में इस तकनीक का उपयोग कर दिल्लीवासियों को राहत दी जाएगी। लेकिन अब यह प्रोजेक्ट फिलहाल टाल दिया गया है, जिससे जनता को एक बार फिर निराशा हाथ लगी है।

क्या है कृत्रिम वर्षा का प्रोजेक्ट?

कृत्रिम वर्षा एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जिसमें बादलों में रासायनिक तत्व—जैसे सिल्वर आयोडाइड या सोडियम क्लोराइड—छिड़क कर बारिश कराई जाती है। यह तकनीक खासतौर पर तब इस्तेमाल की जाती है जब प्राकृतिक बारिश नहीं हो रही हो, और प्रदूषण या सूखा चरम पर हो।
दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण और तापमान को ध्यान में रखते हुए आईआईटी कानपुर, आईएमडी (भारतीय मौसम विभाग) और सीपीसीबी (केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) के सहयोग से यह योजना बनाई गई थी कि मानसून से पहले या मानसून के दौरान कृत्रिम बारिश कराई जाए।
क्यों टाला गया प्रोजेक्ट?
सूत्रों और सरकारी अधिकारियों के मुताबिक इस महीने कृत्रिम वर्षा नहीं कराई जा सकेगी, और इसके पीछे कई कारण सामने आए हैं:
- मौसमी परिस्थितियां अनुकूल नहीं:
आईएमडी के अनुसार, जुलाई के पहले सप्ताह में दिल्ली के ऊपर मौजूद बादलों की स्थिति और नमी का स्तर कृत्रिम बारिश के लिए उपयुक्त नहीं था। यदि बादलों में पर्याप्त नमी नहीं होती, तो यह तकनीक काम नहीं करती। - सामंजस्य की कमी:
परियोजना में शामिल विभिन्न एजेंसियों के बीच तकनीकी तालमेल और अनुमतियों को लेकर देरी हुई है। दिल्ली सरकार, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, और मौसम विभाग के बीच कुछ मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाई। - हवाई संसाधनों की उपलब्धता नहीं:
कृत्रिम वर्षा के लिए विशेष विमानों की जरूरत होती है, जिनमें रसायन छिड़कने की क्षमता हो। इन विमानों की उपलब्धता इस समय नहीं हो पाई, क्योंकि वे अन्य राज्यों में पहले से तैनात हैं। - मानसून की सामान्य वर्षा की संभावना:
जुलाई में सामान्य मानसून बारिश की भविष्यवाणी के चलते अधिकारियों ने यह फैसला लिया कि फिलहाल प्राकृतिक बारिश का इंतज़ार किया जाए। यदि मानसून दिल्ली में सक्रिय हो गया, तो कृत्रिम वर्षा की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
पर्यावरणविदों ने क्या कहा?
कई पर्यावरण विशेषज्ञों ने इस कदम का समर्थन किया है। सीएसई (सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट) की निदेशक सुनीता नारायण ने कहा,
“कृत्रिम वर्षा केवल आपात स्थिति में ही समाधान हो सकती है, लेकिन स्थायी उपायों की जरूरत है जैसे हरियाली बढ़ाना, कचरे को नियंत्रित करना और परिवहन नीति में सुधार।”
जनता में मिली-जुली प्रतिक्रिया
दिल्लीवासियों के बीच इस खबर पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं हैं। कुछ लोगों ने इसे प्रशासन की लापरवाही बताया, तो कुछ ने मौसम की अनिश्चितता को एक वैध कारण माना।
रोहिणी निवासी पूजा शर्मा कहती हैं,
“अगर पहले से तैयारियां होतीं तो आज हमें सांस लेने में इतनी तकलीफ नहीं होती।”
वहीं, एक अन्य नागरिक नवनीत यादव ने कहा,
“कृत्रिम बारिश कोई जादू की छड़ी नहीं है। सरकार को दीर्घकालिक समाधान खोजने चाहिए।”
क्या आगे होगा ये प्रोजेक्ट?
दिल्ली सरकार और संबंधित एजेंसियों ने स्पष्ट किया है कि यह प्रोजेक्ट रद्द नहीं हुआ है, केवल स्थगित किया गया है। अगली संभावित तारीख अगस्त के पहले या दूसरे सप्ताह मानी जा रही है, बशर्ते मौसम सहयोग करे और सभी एजेंसियों के बीच समन्वय स्थापित हो जाए।
निष्कर्ष
दिल्ली जैसे महानगर में जहां प्रदूषण और तापमान लगातार बढ़ रहे हैं, वहां कृत्रिम वर्षा जैसी तकनीक से लोगों को राहत मिलने की उम्मीद थी। लेकिन तकनीकी और प्रशासनिक अड़चनों के चलते फिलहाल इस महीने यह संभव नहीं हो पाया। आने वाले समय में अगर मानसून की बारिश कमजोर रहती है, तो अगस्त में कृत्रिम वर्षा की योजना फिर से सक्रिय हो सकती है।
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