चुनाव आयोग ने अनुच्छेद 326 पोस्ट कर यह संदेश दिया कि बिहार में चल रहा वोटर वेरिफिकेशन पूरी तरह संवैधानिक है। विपक्ष इसे गरीबों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ बता रहा है, जबकि आयोग पारदर्शिता की बात कर रहा है।
भारतीय लोकतंत्र के सबसे मजबूत स्तंभों में से एक चुनाव आयोग (Election Commission of India) ने एक बार फिर मतदाताओं को उनके अधिकार और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। हाल ही में आयोग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर भारत के संविधान का अनुच्छेद 326 (Article 326) साझा किया, जो देश के नागरिकों के सामान्य निर्वाचन अधिकार (Universal Adult Franchise) से संबंधित है।
इस पोस्ट का उद्देश्य केवल जानकारी साझा करना नहीं था, बल्कि इसका मकसद था नागरिकों, विशेषकर युवाओं, पहली बार मतदान करने वालों और शहरी मतदाताओं को यह समझाना कि उनका वोट लोकतंत्र की नींव है और उसका प्रयोग करना एक संवैधानिक उत्तरदायित्व भी है।
क्या है संविधान का अनुच्छेद 326?
अनुच्छेद 326 भारतीय संविधान का वह अनुच्छेद है जो यह स्पष्ट करता है कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए होने वाले चुनावों में सभी वयस्क नागरिकों को मतदान का अधिकार प्राप्त होगा, बशर्ते वे अन्य कानूनी शर्तों को पूरा करते हों।
संविधान के इस अनुच्छेद में लिखा गया है:
“भारत के प्रत्येक नागरिक को, जिसकी आयु 18 वर्ष या उससे अधिक है और जो कानून द्वारा अयोग्य घोषित नहीं किया गया है, लोकसभा और विधानसभाओं के चुनावों में मतदान करने का अधिकार होगा।“
यह अनुच्छेद भारत में लोकतांत्रिक सहभागिता की आत्मा है, जो हर नागरिक को बिना किसी भेदभाव के अपने प्रतिनिधियों को चुनने का अधिकार देता है।
चुनाव आयोग का उद्देश्य
चुनाव आयोग द्वारा X पर अनुच्छेद 326 साझा करने का मुख्य उद्देश्य यह था कि लोगों को संविधान में दिए गए उनके अधिकारों की जानकारी हो, और वे अपने वोट को केवल एक अधिकार नहीं, बल्कि एक कर्तव्य के रूप में देखें।
पोस्ट में आयोग ने यह भी लिखा:
“आपका वोट, आपके संविधान की ताकत है। मतदान न केवल एक अधिकार है, बल्कि आपकी आवाज़ और भागीदारी का माध्यम है। आइए, लोकतंत्र को मजबूत करें।“
इस पहल के तहत आयोग विभिन्न डिजिटल माध्यमों से जागरूकता फैला रहा है, जिसमें इन्फोग्राफिक्स, वीडियो संदेश, चुनावी जानकारियों की श्रृंखला, और #MyVoteMyRight जैसे हैशटैग शामिल हैं।
युवाओं पर विशेष फोकस
आयोग की इस पहल का खास फोकस युवा मतदाता हैं। 18 से 25 वर्ष की आयु के नागरिकों के लिए आयोग ने कई जागरूकता अभियान शुरू किए हैं, जिनमें:
- कॉलेज और विश्वविद्यालयों में ‘मतदाता शिक्षा’ कार्यक्रम
- डिजिटल कैम्पेन और शॉर्ट वीडियो प्रतियोगिताएं
- प्रसिद्ध हस्तियों के माध्यम से अपील
- EVM और VVPAT डेमो ट्रेनिंग
आयोग का मानना है कि यदि युवा पीढ़ी मतदान को लेकर सचेत हो जाए, तो भारत का लोकतंत्र और अधिक सशक्त बन सकता है।
नागरिकों की प्रतिक्रिया
चुनाव आयोग की इस पहल को सोशल मीडिया पर सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। कई नागरिकों, शिक्षकों और सिविल सेवा की तैयारी कर रहे छात्रों ने अनुच्छेद 326 को शेयर करते हुए लिखा कि यह जानकारी हर भारतीय को पता होनी चाहिए।
एक ट्विटर यूजर ने लिखा,
“हमने कई बार अनुच्छेद 370, 124A सुना है, लेकिन अनुच्छेद 326 जैसे मूलभूत लोकतांत्रिक अधिकारों की चर्चा कम होती है। शुक्रिया ECI, हमें जागरूक करने के लिए।”
निष्कर्ष
चुनाव आयोग की यह डिजिटल पहल न केवल एक शैक्षिक प्रयास है, बल्कि यह नागरिक सहभागिता को बढ़ावा देने की एक रणनीतिक योजना भी है। भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश में लोकतंत्र की मजबूती सक्रिय और जागरूक मतदाताओं पर निर्भर करती है।
संविधान का अनुच्छेद 326 यह सुनिश्चित करता है कि हर योग्य नागरिक को वोट देने का समान अधिकार मिले। और यदि हम इस अधिकार का प्रयोग नहीं करते, तो लोकतंत्र की आत्मा ही खो जाती है।
इसलिए अब समय है जागने का, और यह समझने का कि “एक वोट” भी परिवर्तन ला सकता है।
चुनाव आयोग की यह पहल न केवल सूचनात्मक है, बल्कि लोकतंत्र को पुनः जीवंत करने का आह्वान भी है।
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