लद्दाख, गोवा और हरियाणा को मिले नए राज्यपाल, राष्ट्रपति मूर्मू ने की बड़ी नियुक्तियां

लद्दाख, गोवा और हरियाणा के राज्यपाल बदले, राष्ट्रपति मूर्मू ने की नए राज्यपालों के नाम की घोषणा

राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू ने सोमवार को एक अहम प्रशासनिक कदम उठाते हुए लद्दाख, गोवा और हरियाणा के उपराज्यपालों और राज्यपालों की नई नियुक्तियों को मंजूरी दी। इन बदलावों को केंद्र सरकार की रणनीतिक प्रशासनिक पुनर्संरचना का हिस्सा माना जा रहा है, जिसका उद्देश्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में बेहतर शासन और नीति कार्यान्वयन सुनिश्चित करना है।

राष्ट्रपति भवन से जारी आधिकारिक बयान के अनुसार, इन नियुक्तियों को तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है। इससे पहले के उपराज्यपालों और राज्यपालों को उनके कार्यकाल पूरा होने या अन्य प्रशासनिक कारणों से हटाया गया है।

लद्दाख, गोवा और हरियाणा को मिले नए राज्यपाल, राष्ट्रपति मूर्मू ने की बड़ी नियुक्तियां
लद्दाख, गोवा और हरियाणा को मिले नए राज्यपाल, राष्ट्रपति मूर्मू ने की बड़ी नियुक्तियां

नई नियुक्तियां: कौन कहां?

राष्ट्रपति द्वारा घोषित नई नियुक्तियों में तीन प्रमुख नाम सामने आए हैं:

  1. लद्दाख के उपराज्यपाल – वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी और पूर्व रक्षा सचिव राकेश सिन्हा को लद्दाख का नया उपराज्यपाल नियुक्त किया गया है।
  2. गोवा के राज्यपाल – पूर्व लोकसभा उपाध्यक्ष और अनुभवी नेता सुमित्रा नायक को गोवा की राज्यपाल की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
  3. हरियाणा के राज्यपाल – पूर्व न्यायाधीश और संवैधानिक मामलों के विशेषज्ञ नवीन चतुर्वेदी अब हरियाणा के राज्यपाल होंगे।

प्रशासनिक अनुभव से सजी नई टीम

इन सभी नियुक्तियों में एक बात समान है – प्रशासनिक और संवैधानिक मामलों का गहन अनुभव।
राकेश सिन्हा, जो कि पूर्व में रक्षा मंत्रालय और आंतरिक सुरक्षा के अहम पदों पर रह चुके हैं, उन्हें लद्दाख जैसे रणनीतिक और संवेदनशील क्षेत्र की कमान सौंपी गई है।
गोवा में सुमित्रा नायक की नियुक्ति को वहां की राजनीतिक स्थिरता और पर्यटन से जुड़े विकास कार्यों में तेजी लाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
हरियाणा में नवीन चतुर्वेदी की नियुक्ति न्यायिक संतुलन और प्रशासनिक पारदर्शिता के लिए की गई है। वह सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और कई संवैधानिक मामलों में अमicus curiae के तौर पर कार्य कर चुके हैं।

क्यों किए गए ये बदलाव?

सूत्रों के अनुसार, इन बदलावों के पीछे दो प्रमुख कारण हैं:

  • प्रशासनिक दक्षता बढ़ाना: केंद्र सरकार ऐसे राज्यपालों और उपराज्यपालों को नियुक्त करना चाहती है, जो विकास परियोजनाओं में गति लाएं और केंद्र की योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करें।
  • राजनीतिक संतुलन: कई स्थानों पर केंद्र और राज्य सरकारों के बीच समन्वय की कमी देखी गई थी। नई नियुक्तियां इस समन्वय को बेहतर बनाने के उद्देश्य से की गई हैं।

विपक्ष की प्रतिक्रिया

हालांकि ये नियुक्तियां संविधान के तहत राष्ट्रपति के विशेषाधिकार में आती हैं, लेकिन विपक्ष ने इन बदलावों पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा,
“राज्यपालों की नियुक्ति अब एक राजनीतिक उपकरण बनती जा रही है। केंद्र सरकार केवल ‘हां’ कहने वाले लोगों को जिम्मेदारी दे रही है, जो संघीय ढांचे के लिए खतरा है।”

वहीं, तृणमूल कांग्रेस ने भी आरोप लगाया कि नियुक्तियों में क्षेत्रीय संतुलन और विविधता का ध्यान नहीं रखा जा रहा है।

केंद्र सरकार की सफाई

बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा,
“सरकार ने सभी नियुक्तियां संविधान के अनुरूप और योग्यता के आधार पर की हैं। यह बदलाव देशहित में हैं और राज्यों के समग्र विकास के लिए जरूरी भी।”

निष्कर्ष

लद्दाख, गोवा और हरियाणा जैसे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में नए राज्यपालों की नियुक्ति न सिर्फ प्रशासनिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आने वाले दिनों में वहां की राजनीति, विकास और केंद्र-राज्य समन्वय की दिशा को भी प्रभावित करेगी। राष्ट्रपति मूर्मू द्वारा की गई इन नियुक्तियों से यह स्पष्ट होता है कि केंद्र शासन अब राज्यों में ज्यादा सक्रिय और रणनीतिक भूमिका निभाने को तैयार है।

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