उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव की सुगबुगाहट अब तेज हो गई है, क्योंकि परिसीमन की तारीख सामने आ गई है। परिसीमन की प्रक्रिया 18 जुलाई से शुरू हो जाएगी और फाइनल लिस्ट 10 अगस्त तक जारी कर दी जाएगी। जानें पूरी खबर…
उत्तर प्रदेश में पंचायती राज व्यवस्था को नया स्वरूप देने की प्रक्रिया एक बार फिर शुरू हो चुकी है। राज्य सरकार ने आगामी पंचायत चुनाव की तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है और इसकी पहली कड़ी के रूप में परिसीमन की तारीख घोषित कर दी गई है। राज्य निर्वाचन आयोग ने साफ कर दिया है कि 18 जुलाई 2025 से ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायतों के लिए परिसीमन की प्रक्रिया आरंभ कर दी जाएगी। वहीं, 10 अगस्त 2025 को आरक्षण सूची जारी कर दी जाएगी, जिससे यह तय होगा कि किन सीटों पर सामान्य, महिला, पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जातियों के प्रत्याशी चुनाव लड़ सकेंगे।

क्या है परिसीमन और क्यों है जरूरी?
परिसीमन का मतलब है — सीटों की नई सीमाएं तय करना। ग्राम पंचायत, ब्लॉक और जिला पंचायत की सीटों की संख्या, उनके भौगोलिक क्षेत्र और जनसंख्या के अनुसार उनका नया पुनर्गठन किया जाता है। यह प्रक्रिया इसलिए जरूरी होती है क्योंकि पिछले चुनाव के बाद जनसंख्या, ग्रामों की संख्या और विकास क्षेत्रों में बदलाव होता है। इसलिए हर चुनाव से पहले एक निष्पक्ष प्रक्रिया के तहत सीमाएं तय की जाती हैं ताकि सभी वर्गों को समान प्रतिनिधित्व मिल सके।
मुख्य चरण और टाइमलाइन
राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जारी कार्यक्रम के अनुसार, आगामी पंचायत चुनाव के लिए प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों में होगी:
- 18 जुलाई 2025: परिसीमन की प्रक्रिया शुरू
- 30 जुलाई 2025: प्रारंभिक परिसीमन नक्शा और रिपोर्ट तैयार
- 1 अगस्त – 5 अगस्त 2025: आपत्तियों और सुझावों के लिए समय सीमा
- 10 अगस्त 2025: अंतिम परिसीमन रिपोर्ट व आरक्षण सूची जारी
इस प्रक्रिया के पूरा होते ही राज्य सरकार और आयोग चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर सकते हैं। माना जा रहा है कि सितंबर या अक्टूबर 2025 तक पंचायत चुनाव संपन्न हो सकते हैं।
आरक्षण सूची का महत्व
पंचायत चुनाव में आरक्षण की सूची सबसे अहम दस्तावेज होती है। इसी से तय होता है कि कौन सी ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत या जिला पंचायत की सीट किस वर्ग के लिए आरक्षित रहेगी — जैसे अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग, महिलाएं या सामान्य वर्ग। यह आरक्षण हर चुनाव में रोटेशन के आधार पर तय होता है, ताकि सभी वर्गों को समय-समय पर प्रतिनिधित्व का अवसर मिले।
आरक्षण सूची सामने आने के बाद ही संभावित प्रत्याशी अपनी रणनीति बनाते हैं और अपने चुनावी क्षेत्र का चयन करते हैं। यही कारण है कि 10 अगस्त को जारी होने वाली सूची पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।
राजनीतिक हलचल और तैयारी
राज्य भर में पंचायत चुनाव को लेकर राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। ग्रामीण स्तर पर नेताओं, कार्यकर्ताओं और संभावित प्रत्याशियों ने गांव-गांव दौरे शुरू कर दिए हैं। सभी को इंतजार है कि उनकी पसंदीदा सीट का आरक्षण किस वर्ग के लिए होता है। साथ ही, विभिन्न राजनीतिक दल भी अपने कार्यकर्ताओं को चुनाव के लिए तैयार करने में जुटे हुए हैं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा), कांग्रेस सहित अन्य क्षेत्रीय दल पंचायत चुनाव को 2027 के विधानसभा चुनाव की नींव मान रहे हैं। इसलिए यह चुनाव सिर्फ गांवों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि राज्य की राजनीति की दिशा तय करने में भी अहम भूमिका निभाएगा।
महत्वपूर्ण बिंदु
- तीन स्तरीय चुनाव होंगे: ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत (ब्लॉक), और जिला पंचायत
- लगभग 58,000 ग्राम पंचायतों में होंगे चुनाव
- आरक्षण प्रक्रिया पूरी तरह से रोटेशन और जनसंख्या आधारित
- ईवीएम के बजाय बैलट पेपर से कराए जाएंगे चुनाव
- महिला प्रत्याशियों के लिए लगभग 33% सीटें आरक्षित होंगी
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश में पंचायती राज व्यवस्था को सशक्त और लोकतांत्रिक बनाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। 18 जुलाई से शुरू होने वाली परिसीमन प्रक्रिया और 10 अगस्त को जारी होने वाली आरक्षण सूची पंचायत चुनाव की राजनीतिक नींव तय करेगी। इसके बाद पूरे राज्य में चुनावी माहौल चरम पर पहुंचेगा और लोकतंत्र की सबसे बुनियादी इकाई – ग्रामसभा – को अपना नया नेतृत्व मिलेगा।
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