दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने मंगलवार को कहा कि दिल्ली की भाजपा सरकार दिल्ली में पुराने वाहनों के निस्तारण को लेकर जांच कराने की योजना बना रही है।
राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए सरकार लगातार नए कदम उठा रही है। इसी कड़ी में अब पुराने वाहनों के निस्तारण (स्क्रैपिंग) को लेकर एक बड़ी योजना पर काम शुरू हो गया है। दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि सरकार जल्द ही राजधानी में पुराने और अनुपयोगी वाहनों के निस्तारण पर जांच कराने की योजना बना रही है। इसके तहत यह पता लगाया जाएगा कि जिन वाहनों की उम्र पूरी हो चुकी है, वे अभी भी सड़कों पर दौड़ तो नहीं रहे हैं और यदि उनका स्क्रैपिंग नहीं हुआ है तो कहां चूक हो रही है।

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण का एक बड़ा कारण: पुराने वाहन
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में वायु प्रदूषण का एक बड़ा कारण 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों और 10 साल से ज्यादा पुराने डीजल वाहनों की मौजूदगी है। सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के आदेशों के बावजूद अब भी ऐसे हजारों वाहन दिल्ली की सड़कों पर घूमते नजर आते हैं या फिर पार्किंग, गैराज और कूड़े में जंग खा रहे हैं। ऐसे वाहन न सिर्फ हवा को जहरीला बना रहे हैं, बल्कि स्क्रैपिंग व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं।
सरकार की योजना क्या है?
मंत्री सिरसा ने मीडिया से बातचीत में बताया कि:
“हम दिल्ली में पुराने वाहनों की पहचान और उनके उचित निस्तारण की स्थिति की जांच के लिए एक विशेष निरीक्षण अभियान शुरू करने पर विचार कर रहे हैं। इसके तहत विभिन्न जिलों में वाहन निस्तारण केंद्रों (scrapping centres) की भूमिका और रजिस्ट्रेशन रद्दीकरण की प्रक्रिया को भी परखा जाएगा।”
सरकार चाहती है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि जो वाहन फिटनेस क्राइटेरिया में नहीं आते, उन्हें नियमानुसार निस्तारित किया जाए और वे किसी भी रूप में पुनः उपयोग में न लाए जाएं।
पर्यावरणीय और प्रशासनिक पहलू
सरकार की यह योजना सिर्फ प्रशासनिक नहीं, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। पुराने वाहन PM2.5 और PM10 जैसे सूक्ष्म कणों के प्रमुख स्रोत हैं, जो फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं और श्वसन संबंधी बीमारियों को जन्म देते हैं। खासकर सर्दियों में जब दिल्ली की हवा की गुणवत्ता बेहद खराब हो जाती है, तब इन वाहनों की भूमिका और भी चिंताजनक हो जाती है।
स्क्रैपिंग पॉलिसी के तहत प्रगति धीमी
केंद्र सरकार ने 2021 में राष्ट्रीय वाहन स्क्रैपिंग नीति (Vehicle Scrapping Policy) लागू की थी, जिसका उद्देश्य था कि पुराने वाहनों को समय पर स्क्रैप कर पर्यावरण को राहत दी जाए। हालांकि, दिल्ली में इस नीति का क्रियान्वयन अपेक्षित गति से नहीं हो सका। विशेषज्ञों का मानना है कि जागरूकता की कमी, स्क्रैपिंग की स्पष्ट प्रक्रिया न होना और स्थानीय निकायों की उदासीनता इसके पीछे मुख्य कारण हैं।
क्या होगा जांच का दायरा?
- स्क्रैपिंग सेंटरों में वाहनों की रजिस्ट्री व रिकॉर्ड की जांच
- पुराने वाहनों की सार्वजनिक पार्किंग में उपस्थिति की निगरानी
- ट्रैफिक पुलिस और परिवहन विभाग की संयुक्त छापेमारी
- गैरकानूनी रूप से चल रहे वाहनों की जब्ती और चालान
- पंजीकृत लेकिन निस्तारित न होने वाले वाहनों की सूची तैयार करना
मंत्री का संदेश: सहयोग करें नागरिक

मंत्री सिरसा ने दिल्लीवासियों से अपील की कि वे इस प्रक्रिया में सरकार का सहयोग करें। उन्होंने कहा:
“हम चाहते हैं कि लोग खुद आगे आएं और पुराने वाहनों को समय पर स्क्रैप कराएं। इससे न सिर्फ पर्यावरण बचेगा बल्कि शहर भी साफ और सुरक्षित रहेगा।”
निष्कर्ष: जागरूकता और निगरानी से ही होगा सुधार
दिल्ली में वायु प्रदूषण से लड़ाई सिर्फ सरकारी स्तर पर नहीं, बल्कि सामूहिक जागरूकता और कड़ाई से लागू नियमों से ही संभव है। दिल्ली सरकार का यह कदम, यदि सही ढंग से अमल में लाया गया, तो यह पुराने वाहनों के अव्यवस्थित निस्तारण पर लगाम लगाने और राजधानी की हवा को साफ करने की दिशा में एक ठोस पहल साबित हो सकती है।