सावन में कब करें महामृत्युंजय मंत्र का जाप? जानें सही समय और नियम !

सावन माह बेहद पवित्र महीना है, माना जाता है कि इसी माह में देवी पार्वती ने शंकर भगवान को पति रूप में प्राप्त किया था। वहीं, सावन में महामृत्युंजय मंत्र का जाप बेहद शुभकारी परिणाम देता है।

सावन का पवित्र महीना भगवान शिव की उपासना और भक्ति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस माह में भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करने के लिए विशेष पूजा-पाठ, व्रत और रुद्राभिषेक किए जाते हैं। इन्हीं में से एक अत्यंत प्रभावशाली और फलदायी साधना है “महामृत्युंजय मंत्र” का जाप। यह मंत्र मृत्यु के भय को दूर करने, रोगों से मुक्ति दिलाने और जीवन में शांति, स्वास्थ्य एवं दीर्घायु प्रदान करने वाला माना जाता है। सावन में इसका जाप करने से इसका फल कई गुना अधिक मिलता है।

सावन में कब करें महामृत्युंजय मंत्र का जाप? जानें सही समय और नियम !
सावन में कब करें महामृत्युंजय मंत्र का जाप? जानें सही समय और नियम !

तो आइए जानते हैं कि सावन में महामृत्युंजय मंत्र का जाप कब करना चाहिए, इसके क्या नियम हैं और इसे करने से क्या लाभ प्राप्त होते हैं।

महामृत्युंजय मंत्र क्या है?

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥

यह मंत्र ऋषि मार्कंडेय को भगवान शिव द्वारा प्रदान किया गया था और इसे ‘मृत्यु को जीतने वाला मंत्र’ कहा गया है। यह महामंत्र रुद्र के स्वरूप शिव की आराधना के लिए है।

सावन में महामृत्युंजय मंत्र जाप का महत्व

सावन मास में भगवान शिव का विशेष प्रभाव रहता है। इस महीने में भगवान शिव को जल, बेलपत्र, दूध और महामृत्युंजय मंत्र से प्रसन्न किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि सावन में मंत्र का जाप करने से इसका प्रभाव सामान्य दिनों से 100 गुना अधिक होता है। यह मंत्र न केवल मृत्यु के भय से मुक्ति देता है, बल्कि गंभीर बीमारियों, मानसिक तनाव, दुर्भाग्य और शारीरिक पीड़ा से भी रक्षा करता है।

जाप करने का सही समय

महामृत्युंजय मंत्र का जाप किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन सावन मास में कुछ विशेष समय होते हैं जब जाप का प्रभाव अत्यंत शुभ होता है:

  1. ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4:00 से 5:30 बजे): यह समय मंत्र जाप के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
  2. प्रातःकालीन पूजन (6:00 बजे तक): मंदिर या घर में भगवान शिव की मूर्ति/लिंग के सामने बैठकर जाप करें।
  3. रात्रि में (8:00 बजे के बाद): यह समय मानसिक शांति और रोग निवारण के लिए प्रभावी माना गया है।
  4. सोमवार के दिन: सावन के सोमवार विशेष फलदायी होते हैं। इस दिन व्रत के साथ जाप का विशेष महत्व है।

महामृत्युंजय जाप के नियम

  1. स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. शिवलिंग पर जल, दूध, शहद, बेलपत्र और चंदन अर्पित करें।
  3. कम से कम 108 बार जाप करें (1 माला)। यदि संभव हो तो 11 माला या 108 माला तक जाप करें।
  4. रुद्राक्ष की माला से ही जाप करें।
  5. जाप करते समय भगवान शिव का ध्यान करते रहें।
  6. पूर्व दिशा या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  7. जाप के बाद शिव चालीसा या आरती का पाठ करें।
  8. मंत्र का उच्चारण स्पष्ट और श्रद्धा से करें, गलत उच्चारण से प्रभाव कम हो सकता है।

महामृत्युंजय मंत्र जाप के चमत्कारी लाभ

  • असाध्य रोगों से मुक्ति और शीघ्र स्वास्थ्य लाभ
  • दीर्घायु और मृत्यु भय से सुरक्षा
  • मानसिक शांति, नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा
  • ग्रह दोषों और कालसर्प दोष से मुक्ति
  • घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि
  • आध्यात्मिक उन्नति और आत्मबल की वृद्धि

विशेष सावधानी

  • जाप करते समय नकारात्मक विचारों से बचें।
  • शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
  • मंत्र के साथ भगवान शिव का नाम लेना और “ॐ नमः शिवाय” का स्मरण भी साथ में करें।
  • मोबाइल, टीवी आदि से दूरी बनाकर शांत स्थान पर ध्यानपूर्वक जाप करें।

निष्कर्ष

सावन माह में महामृत्युंजय मंत्र का जाप आत्मा को शुद्ध करता है और भगवान शिव की कृपा पाने का सशक्त माध्यम बनता है। यदि श्रद्धा, नियम और समय का पालन करते हुए इस मंत्र का जाप किया जाए, तो जीवन के समस्त कष्ट दूर हो सकते हैं। यह मंत्र न केवल रोगों से मुक्ति दिलाता है बल्कि आध्यात्मिक चेतना को भी जाग्रत करता है।

इस सावन, आप भी अपनी दिनचर्या में महामृत्युंजय मंत्र का जाप जोड़ें और शिव कृपा से भरपूर जीवन की ओर बढ़ें।

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