स्वच्छता में इंदौर की हैट्रिक जारी: लगातार 8वीं बार बना नंबर वन शहर !

स्वच्छता सर्वेक्षण में मध्य प्रदेश का इंदौर फिर से पहले स्थान पर रहा। एक कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए।

देशभर में स्वच्छता की मिसाल बन चुके इंदौर ने एक बार फिर कमाल कर दिखाया है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत आयोजित स्वच्छता सर्वेक्षण 2025 के परिणामों में इंदौर ने लगातार आठवीं बार पहला स्थान प्राप्त कर यह साबित कर दिया है कि स्वच्छता के क्षेत्र में उसकी पहचान केवल एक शहर की नहीं, बल्कि एक संवेदनशील और जागरूक नागरिक समाज की है।

स्वच्छता में इंदौर की हैट्रिक जारी: लगातार 8वीं बार बना नंबर वन शहर !
स्वच्छता में इंदौर की हैट्रिक जारी: लगातार 8वीं बार बना नंबर वन शहर !

इस साल भी इंदौर ने न सिर्फ अपना शीर्ष स्थान बरकरार रखा, बल्कि अन्य शहरों के लिए एक नई प्रेरणा भी प्रस्तुत की है। दूसरे स्थान पर सूरत और तीसरे स्थान पर नवी मुंबई रहे, जिन्होंने भी उल्लेखनीय प्रदर्शन किया।

इंदौर की सफाई क्रांति: सफलता की कहानी

इंदौर की सफाई क्रांति: सफलता की कहानी
इंदौर की सफाई क्रांति: सफलता की कहानी

इंदौर की इस अविरल सफलता के पीछे सिर्फ नगर निगम की योजना या मशीनें नहीं, बल्कि शहरवासियों की सहभागिता, नवाचार, और पारदर्शी प्रशासनिक प्रणाली है। स्वच्छता सर्वेक्षण 2025 में इंदौर को सर्वोच्च स्कोर प्राप्त हुआ, जो कि विभिन्न मानकों जैसे कि:

  • ठोस कचरा प्रबंधन,
  • गीले और सूखे कचरे का पृथक्करण,
  • 100% डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण,
  • ओडीएफ++ स्थिति,
  • नागरिकों की भागीदारी,

जैसे तत्वों पर आधारित था।

इंदौर नगर निगम ने इस बार बायो-माइनिंग, कचरा से धन (Waste to Wealth) और ग्रीन टॉयलेट्स जैसी योजनाओं पर भी विशेष फोकस किया।

प्रशासन और जनता की सहभागिता

इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव और नगर निगम आयुक्त हरि रजेश सिंह ने कहा कि यह सफलता जनता, सफाई कर्मचारियों और निगम की साझा मेहनत का परिणाम है। उन्होंने कहा:

“यह सम्मान हर इंदौरवासी का है। हम न सिर्फ स्वच्छता को अपनाते हैं, बल्कि उसे जीते हैं। हमने साफ-सफाई को अभियान नहीं, जीवनशैली बना दिया है।”

शहर की विभिन्न कॉलोनियों, स्कूलों, और मार्केट्स में नियमित रूप से स्वच्छता रथ, जन-जागरूकता कार्यक्रम, और ‘नो लिटरिंग’ अभियान चलाए गए।

दूसरे और तीसरे स्थान पर कौन?

इंदौर के बाद सूरत ने दूसरा स्थान प्राप्त किया। गुजरात का यह औद्योगिक शहर स्वच्छता, स्मार्ट ट्रैफिक और जल प्रबंधन में तेजी से आगे बढ़ा है। सूरत ने स्मार्ट डस्टबिन, सोलर पावरड कचरा वाहन, और सिटीजन ऐप-आधारित निगरानी प्रणाली के माध्यम से काफी सुधार किया है।

तीसरे स्थान पर रहा नवी मुंबई भी एक उदाहरण बनकर उभरा है। महाराष्ट्र के इस शहर में ई-कचरा प्रबंधन, कंपोस्टिंग यूनिट्स, और नगरिक सहभागिता के क्षेत्र में विशेष प्रयास किए गए।

स्वच्छता सर्वेक्षण 2025: क्या है खास

स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) के तहत हर साल शहरी स्थानीय निकायों का प्रदर्शन आंकने के लिए केंद्र सरकार द्वारा यह सर्वेक्षण आयोजित किया जाता है। इसमें इस वर्ष 4,500 से अधिक शहरों और कस्बों ने भाग लिया। मूल्यांकन में शामिल थे:

  • सेवा स्तर की प्रगति (Service Level Progress)
  • प्रत्यक्ष अवलोकन (Field Assessment)
  • जनमत संग्रह (Citizen Feedback)
  • स्वच्छता ऐप्स और सोशल मीडिया भागीदारी

पुरस्कार वितरण और भविष्य की योजना

स्वच्छता सर्वेक्षण के पुरस्कार नई दिल्ली के विज्ञान भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों प्रदान किए गए। इंदौर को ट्रॉफी, प्रमाणपत्र और नगद पुरस्कार प्रदान किया गया।

महापौर ने घोषणा की कि इंदौर अब स्वच्छता से आगे बढ़कर ‘हरित और स्मार्ट शहर’ की ओर कदम बढ़ाएगा। इसके लिए शून्य अपशिष्ट नीति, इलेक्ट्रिक कचरा वाहन, और स्कूल-आधारित स्वच्छता पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे।

निष्कर्ष

इंदौर की यह उपलब्धि पूरे देश के लिए एक आदर्श है। यह बताती है कि नागरिकों की सहभागिता और प्रशासन की निष्ठा से किसी भी शहर को स्वच्छ और रहने योग्य बनाया जा सकता है। लगातार आठवीं बार शीर्ष स्थान पाकर इंदौर ने सिर्फ पुरस्कार नहीं जीता, बल्कि देश के स्वच्छता आंदोलन का ध्वजवाहक बनकर उभरा है। अब अन्य शहरों की जिम्मेदारी है कि वे इंदौर के मॉडल को अपनाकर देश को स्वच्छ भारत बनाने में योगदान दें।

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