रंजीत सहनी ने कहा कि उन्होंने जनता दल यूनाइटेड पार्टी को छोड़ा है एनडीए नहीं। किस दल में वह जाएंगे इसका फैसला समर्थक के साथ बैठक में लेंगे।
बिहार की सियासत में एक बार फिर बड़ा हलचल देखने को मिला है। जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक समीकरण तेजी से बदलते नजर आ रहे हैं। इस कड़ी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) को एक बड़ा झटका उस समय लगा जब पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री विजय कुमार चौधरी ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। यह घटनाक्रम न केवल JDU के लिए बल्कि पूरे NDA गठबंधन के लिए चिंता का कारण बन गया है।

कौन हैं विजय कुमार चौधरी?

विजय कुमार चौधरी बिहार की राजनीति में एक प्रतिष्ठित नाम हैं। वे लंबे समय तक जेडीयू के प्रमुख रणनीतिकारों में से एक रहे हैं और नीतीश कुमार के सबसे भरोसेमंद सहयोगियों में गिने जाते थे। वे पूर्व में विधानसभा अध्यक्ष, शिक्षा मंत्री, ग्रामीण विकास मंत्री जैसे अहम पदों पर रह चुके हैं। उनके राजनीतिक अनुभव और सामाजिक प्रभाव को देखते हुए जेडीयू की नींव को मजबूत करने में उनका अहम योगदान माना जाता रहा है।
क्या कहा इस्तीफे में?
सूत्रों के मुताबिक, विजय कुमार चौधरी ने अपने त्यागपत्र में संगठन में लगातार उपेक्षा, विचारों की अनदेखी और नेतृत्व के प्रति नाराजगी का हवाला दिया है। उन्होंने लिखा है कि “अब पार्टी उस दिशा में नहीं चल रही जिसके लिए हम सबने इसे खड़ा किया था। नीतियों और सिद्धांतों से समझौता हो रहा है, और व्यक्तिगत स्वार्थ सर्वोपरि हो गया है।”
उन्होंने यह भी संकेत दिए हैं कि वह जल्द ही अपनी अगली रणनीति का खुलासा करेंगे, जिससे यह अटकलें और तेज़ हो गई हैं कि वे विपक्षी महागठबंधन में शामिल हो सकते हैं।
चुनावी समय पर बड़ा झटका
बिहार में विधानसभा चुनावों की तैयारियां जोरों पर हैं और सभी दल अपनी रणनीति को अंतिम रूप देने में लगे हैं। ऐसे समय में एक कद्दावर नेता का पार्टी छोड़ना, खासतौर पर जब वह मुख्यमंत्री के करीबी माने जाते हों, एक बड़ा राजनीतिक संदेश देता है।
विश्लेषकों के अनुसार, विजय कुमार चौधरी का जाना पार्टी के अंदरूनी असंतोष का संकेत है। कई पुराने नेता संगठन में बदलाव और नेतृत्व शैली को लेकर पहले ही नाराजगी जता चुके हैं।
JDU का आधिकारिक बयान
JDU की ओर से अब तक कोई विस्तृत बयान नहीं आया है, लेकिन पार्टी प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा,
“हमारे दरवाजे हमेशा खुले हैं। अगर कोई वरिष्ठ नेता अपने निजी कारणों से अलग होते हैं, तो हमें दुख होता है, लेकिन पार्टी अपनी विचारधारा और नेतृत्व में विश्वास रखती है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि चुनाव से पहले ऐसे फैसले अक्सर राजनीतिक दबाव और व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं से प्रेरित होते हैं।
राजनीतिक अटकलें तेज़
विजय कुमार चौधरी के इस्तीफे के साथ ही बिहार की राजनीति में नई सरगर्मियां शुरू हो गई हैं। यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि वे राजद (RJD) या कांग्रेस के साथ जुड़ सकते हैं, या फिर किसी नए राजनीतिक मंच का हिस्सा बन सकते हैं।
महागठबंधन के नेताओं ने इस घटनाक्रम का स्वागत करते हुए कहा है कि “बिहार की जनता बदलाव चाहती है और विजय चौधरी जैसे नेताओं का अनुभव विपक्ष की ताकत को बढ़ाएगा।”
निष्कर्ष
बिहार में चुनावी बिसात बिछ चुकी है और सभी दल अपनी-अपनी चालें चल रहे हैं। ऐसे समय में JDU को एक कद्दावर नेता का छोड़ जाना केवल एक इस्तीफा नहीं, बल्कि एक संदेश है – पार्टी के भीतर बहुत कुछ ठीक नहीं है। नीतीश कुमार के लिए यह एक चेतावनी है कि उन्हें पार्टी में हो रहे असंतोष को जल्द सुलझाना होगा, वरना चुनावी नैया डगमगा सकती है। वहीं, विपक्ष इस मौके को अपने पक्ष में भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा। आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति में और भी उलटफेर देखने को मिल सकते हैं।
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