संसद का मानसून सत्र आज से शुरू हो गया है। इस दौरान विपक्ष ने जमकर हंगामा किया है। वहीं सरकार का कहना है कि वह ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के लिए तैयार है।
संसद के मानसून सत्र के दौरान सोमवार को लोकसभा में जबरदस्त हंगामा देखने को मिला। विपक्षी दलों के सांसदों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और कार्यवाही को बाधित किया। इस हंगामे का सीधा असर सदन की कार्यवाही पर पड़ा, जिसके चलते लोकसभा अध्यक्ष को कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।

हंगामे की शुरुआत सुबह जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, वैसे ही हो गई। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, डीएमके, आम आदमी पार्टी और अन्य विपक्षी दलों के सांसदों ने महंगाई, बेरोजगारी, किसानों की समस्याओं, पेगासस जासूसी कांड, और हाल ही में हुए कुछ संवेदनशील मुद्दों पर बहस की मांग करते हुए जोरदार विरोध दर्ज कराया।
सदन में नारेबाजी करते हुए विपक्षी सांसद वेल में पहुंच गए और ‘जनता का हक दो’, ‘महंगाई पर बोलो’, ‘लोकतंत्र बचाओ’ जैसे नारे लगाने लगे। इसके जवाब में सत्ता पक्ष के सांसदों ने भी विरोधी रुख अपनाया, जिससे माहौल और गरमाता चला गया।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्षी सांसदों से कई बार शांत रहने की अपील की और उन्हें अपनी सीटों पर लौटने को कहा, लेकिन विपक्ष अपनी मांगों पर अड़ा रहा। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक प्रणाली में संवाद का रास्ता खुला होना चाहिए और सभी पक्षों को चर्चा का अवसर मिलना चाहिए, लेकिन लगातार शोरगुल और नारेबाजी के कारण कार्यवाही को सुचारु रूप से चलाना असंभव हो गया। करीब आधे घंटे तक चले इस गतिरोध के बाद आखिरकार अध्यक्ष को कार्यवाही 2 बजे तक स्थगित करने का फैसला लेना पड़ा।
इस घटनाक्रम के बाद सरकार और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया। संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने विपक्ष पर सदन की गरिमा को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया और कहा कि सरकार बहस से नहीं भाग रही है, लेकिन विपक्ष केवल राजनीतिक फायदा उठाने के उद्देश्य से अराजकता फैला रहा है।
वहीं, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि सरकार हर बार विपक्ष की आवाज दबाना चाहती है। “हम देश की आम जनता के मुद्दे उठा रहे हैं। महंगाई से लोग त्रस्त हैं, लेकिन सरकार जवाब देने से बच रही है। जब तक हमें जवाब नहीं मिलेगा, हम शांत नहीं बैठेंगे,” उन्होंने कहा।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह गतिरोध आने वाले दिनों में और बढ़ सकता है, खासकर जब विपक्ष एकजुट होकर सरकार पर लगातार दबाव बना रहा है। सदन में विपक्षी एकता की झलक भी देखने को मिली, जहां अलग-अलग विचारधाराओं वाले दल एकसुर में सरकार के खिलाफ बोले।
इस तरह के घटनाक्रम से संसद की कार्यवाही बाधित होती है और महत्वपूर्ण विधायी कार्यों पर असर पड़ता है। कई महत्वपूर्ण विधेयक और चर्चाएं इस शोरगुल के चलते टल जाती हैं, जिससे लोकतंत्र की मूल भावना को चोट पहुंचती है।
अब देखना यह होगा कि दोपहर 2 बजे के बाद कार्यवाही कैसे आगे बढ़ती है और क्या सरकार व विपक्ष के बीच कोई सहमति बनती है या फिर टकराव का यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा। संसद में जनता की समस्याओं पर बहस होनी चाहिए, न कि शोरगुल और स्थगन की राजनीति, ऐसी मांगें लगातार उठ रही हैं। संसद के सुचारु संचालन के लिए दोनों पक्षों की जिम्मेदारी है कि वे संवाद के रास्ते को खुला रखें और जनता के हित में काम करें।
ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के लिए तैयार: राजनाथ सिंह
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के लिए तैयार हैं। ऑपरेशन सिंदूर पर विपक्ष लोकसभा में जोरदार हंगामा कर रहा है।
राज्यसभा की कार्यवाही भी स्थगित
विपक्ष के हंगामे के बाद राज्यसभा की कार्रवाई दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित
मानसून सत्र से पहले हो चुकी है सर्वदलीय बैठक
सरकार ने मानसून सत्र से पहले 20 जुलाई को सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। इस सत्र में सरकार 7 लंबित विधेयकों पर विचार-विमर्श करेगी और 8 नए विधेयक पेश करने की तैयारी में है।
तमाम मुद्दों पर सरकार को घेर सकता है विपक्ष

पहलगाम आतंकी हमला, ऑपरेशन सिंदूर, बिहार की वोटर वेरिफिकेशन, सीजफायर और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 20 से ज्यादा बार भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध रुकवाने के दावे को लेकर विपक्ष, सरकार को घेर सकता है।
सरकार का दावा- विपक्ष के सारे सवालों के जवाब देंगे
सरकार का दावा है कि वह विपक्ष के सारे सवालों के जवाब देगी।
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