सावन शिवरात्रि 2025: कांवड़ जल अर्पण के लिए जानें सबसे शुभ मुहूर्त !

सावन शिवरात्रि को श्रावण शिवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। सनातन धर्म में इस शिवरात्रि का खास महत्व माना गया है। इस दिन शिव भक्त दूर-दराज से लाए गए गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं।

हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन माह भगवान शिव की उपासना के लिए विशेष रूप से पवित्र माना जाता है। इस माह में आने वाली शिवरात्रि को सावन शिवरात्रि या श्रावण मास शिवरात्रि कहा जाता है, जो शिवभक्तों के लिए अत्यंत शुभ और फलदायी मानी जाती है।

इस दिन देशभर के लाखों श्रद्धालु कांवड़ यात्रा में भाग लेकर हरिद्वार, गंगोत्री और अन्य पवित्र तीर्थों से गंगाजल लाकर अपने-अपने इलाकों के शिव मंदिरों में भगवान भोलेनाथ को अर्पित करते हैं। 2025 में सावन शिवरात्रि विशेष महत्व रखती है क्योंकि यह कई शुभ संयोगों के साथ आ रही है।

सावन शिवरात्रि 2025: कांवड़ जल अर्पण के लिए जानें सबसे शुभ मुहूर्त !
सावन शिवरात्रि 2025: कांवड़ जल अर्पण के लिए जानें सबसे शुभ मुहूर्त !

सावन शिवरात्रि 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, सावन शिवरात्रि 2025 में 28 जुलाई (सोमवार) को मनाई जाएगी। सोमवार का दिन स्वयं भगवान शिव को समर्पित होता है, और जब सावन की शिवरात्रि सोमवार को आती है, तो उसका पुण्यफल और अधिक बढ़ जाता है।

शिवरात्रि तिथि प्रारंभ: 28 जुलाई 2025 को प्रातः 12:02 बजे से
शिवरात्रि तिथि समाप्त: 29 जुलाई 2025 को प्रातः 01:40 बजे तक

जल अर्पण का सर्वोत्तम मुहूर्त (पारंपरिक निशीथ काल पूजन)

 जल अर्पण का सर्वोत्तम मुहूर्त (पारंपरिक निशीथ काल पूजन)
जल अर्पण का सर्वोत्तम मुहूर्त (पारंपरिक निशीथ काल पूजन)

शास्त्रों के अनुसार, शिवरात्रि पर जल अर्पण और रुद्राभिषेक का सर्वोत्तम समय रात्रि का प्रथम प्रहर होता है, विशेषकर निशीथ काल में पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

निशीथ काल पूजा मुहूर्त:
रात 11:53 बजे से लेकर 12:38 बजे तक (28 जुलाई रात्रि)
इस दौरान भगवान शिव का जलाभिषेक, बेलपत्र, धतूरा, भस्म, अक्षत और पंचामृत से पूजन करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

अन्य प्रहरों में भी कर सकते हैं अभिषेक

जो श्रद्धालु रात में पूजा करने में असमर्थ हैं, वे दिन के समय भी जल अर्पण कर सकते हैं। सुबह ब्रह्ममुहूर्त से लेकर दिन के किसी भी शुभ समय में शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाना पुण्यकारी माना गया है।

सावन शिवरात्रि का धार्मिक महत्व

सावन की शिवरात्रि को लेकर पौराणिक मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पुनः मिलन हुआ था। यह दिन शिव-पार्वती के विवाह की स्मृति में भी मनाया जाता है। इस अवसर पर शिवभक्त व्रत रखते हैं, उपवास करते हैं और पूरी रात जागरण कर “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करते हैं।

कांवड़ यात्रा, जो सावन में गंगा जल लाकर शिवलिंग पर अर्पण की परंपरा है, इस दिन अपने चरम पर होती है। कांवड़िए कई दिनों की पदयात्रा के बाद इस दिन अपने-अपने गांव, शहर या कस्बों के शिव मंदिरों में गंगाजल चढ़ाते हैं। ऐसा माना जाता है कि शिवरात्रि पर जल अर्पण करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और शिव कृपा प्राप्त होती है।

पूजन विधि और जरूरी सामग्री

सावन शिवरात्रि पर जल अर्पण और रुद्राभिषेक के लिए ये सामग्री आवश्यक मानी जाती है:

  • गंगाजल
  • दूध, दही, घी, शहद, शक्कर (पंचामृत के लिए)
  • बेलपत्र
  • धतूरा, भांग
  • अक्षत (चावल)
  • सफेद फूल
  • दीपक, धूप, नैवेद्य
  • रुद्राक्ष की माला
  • शिव चालीसा, रुद्राष्टक, महामृत्युंजय मंत्र का पाठ

शिवरात्रि पर क्या करें, क्या न करें

क्या करें:

  • उपवास रखें
  • जल और पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करें
  • रात्रि जागरण और मंत्र जाप करें
  • गरीबों को दान दें

क्या न करें:

  • तामसिक भोजन का सेवन न करें
  • झूठ, छल-कपट से बचें
  • अपवित्र भाव से पूजन न करें

निष्कर्ष

सावन शिवरात्रि 2025 का दिन शिवभक्तों के लिए अत्यंत शुभ है, जो भगवान शिव की कृपा पाने का एक दुर्लभ अवसर प्रदान करता है। यदि भक्त श्रद्धा और नियमपूर्वक जल अर्पण करते हैं, तो उन्हें समस्त संकटों से मुक्ति, मानसिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा की प्राप्ति होती है। इस बार शिवरात्रि सोमवार को पड़ने से इसका महत्व और भी बढ़ गया है। ऐसे में श्रद्धालु इस शुभ दिन को पूजा-अर्चना, व्रत और भक्ति में लीन होकर संपूर्ण फल प्राप्त कर सकते हैं।

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