मानसून सत्र सोमवार से शुरू हुआ है और सत्र का पहला दिन बीतते ही रात में अचानक उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। धनखड़ राज्यसभा के सभापति थे, तो ऐसे में राज्यसभा की कार्यवाही कैसे चलेगी?
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार की रात अचानक अपने पद से इस्तीफे का ऐलान कर दिया। जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा स्वीकार किया गया। उन्होंने अपने पत्र में ‘स्वास्थ्य संबंधी सलाह’ का हवाला दिया । हालांकि मीडिया और विपक्षी राजनेताओं ने इस अचानक कदम पर राजनीतिक अटकलें भी लगाई हैं ।

चूंकि मानसून सत्र शुरू हुआ है और आज पहला दिन ही बीता है और सबसे बड़ा सवाल यही उठ रहा है कि अब राज्यसभा की अध्यक्षता कौन करेगा? संविधान के मुताबिक, भारत का उपराष्ट्रपति राज्यसभा का सभापति होता है और उसी की अध्यता में राज्यसभा का सत्र चलता है। लेकिन अब क्या होगा?
स्वास्थ्य या राजनीतिक दबाव?

भाजपा नेता और सांसद प्रतिक्रिया में कह रहे हैं कि स्वास्थ्य कारण स्पष्ट और सम्माननीय हैं जबकि कांग्रेस के जयराम रमेश और अन्य नेताओं ने कहा है कि “स्वास्थ्य सिर्फ बहाना है,” और इसके पीछे “बहुत गहरा कारण” हो सकता है
कौन बनेगा राज्यसभा का सारथी?
संविधान के मुताबिक अगर किसी कारणवश सत्र के बीच में उपराष्ट्रपति इस्तीफा देते है, वैसे ही राज्यसभा के सभापति की कुर्सी खाली हो जाती है। तो ऐसे में सत्र को सुचारु रूप से चलाने के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था आवश्यक होती है। अनुच्छेद 89(1) के मुताबिक, राज्यसभा के उप सभापति, सभापति की अनुपस्थिति में सभी कार्यों की निगरानी करता है। जब राज्यसभा में अध्यक्ष मौजूद न हो, तो राज्यसभा के मौजूदा सत्र की जिम्मेदारी उप सभापति को सौंपी जाती है और वही सत्र सुचारू रूप से चलाते हैं।
अब राज्यसभा का चार्ज कौन संभालेगा?
- संवैधानिक प्रावधान
भारत का उपराष्ट्रपति स्वाभाविक रूप से राज्यसभा का अध्यक्ष होता है। जब यह पद खाली होता है—जैसे इस्तीफा, मृत्यु या कार्यकाल पूरा न होना—तो संविधान के अनुच्छेद 64 और 89 के तहत कार्यवाही का शासन ‘डिप्टी चेयरपर्सन’ संभालते हैं । - वर्तमान उपसभापति
इस समय राज्यसभा के डिप्टी चेयरपर्सन हैं हरिवंश नारायण सिंह, जो 2020 से इस पद पर हैं । - मॉनसून सत्र में कार्यवाही की अगुआई
मानसून सत्र चल रहा है (21 जुलाई – 21 अगस्त, 2025 तक) और इसकी कार्यवाही अब हरिवंश नारायण सिंह की अध्यक्षता में होगी। वह तुरंत ही चरणवार बैठकें स्वयं सावधानीपूर्वक संचालित करेंगे।
नए उपराष्ट्रपति का चुनाव—क्या है प्रक्रिया?
- 60‑दिन की समय सीमा
संविधान के अनुच्छेद 67(A) और निर्वाचन नियम 1974 के अनुसार, रिक्त पद को भरने के लिए चुनाव 60 दिनों में सम्पन्न करना अनिवार्य है । इसका अन्तिम दिन बनेगा 19 सितंबर 2025। - निर्वाचन प्रक्रिया
चुनाव की जिम्मेदारी निर्वाचन आयोग की है। इसमें संयुक्त रूप से लोकसभा और राज्यसभा के सभी निर्वाचित सदस्य वोट करेंगे। मतदान ‘प्रोप्रोशनल रिप्रेजेंटेशन’ और ‘सिंगल ट्रांसफरेबल वोट’ प्रणाली से होगा, गुप्त मतपत्र द्वारा। - संभावित उम्मीदवार
वर्तमान में एनडीए दल संभावित उम्मीदवार तलाश रहा है । विपक्ष भी कुछ नाम प्रस्तावित कर सकता है, पर अभी तक कोई आधिकारिक नाम घोषित नहीं हुआ है।
राजनीतिक असर
- संसदीय स्थिरता:
मानसून सत्र जारी होने की वजह से उपसभापति की त्वरित कार्यवाही से संसद निरंतरता बनी रहेगी। - रणनीतिक दृष्टिकोण:
अचानक इस्तीफे ने सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों को रणनीतिक बरता अपनाने पर मजबूर किया है—एनडीए का जल्दी उम्मीदवार चुनना और विपक्ष का बहस में पकड़े रखना। - सिंबलिज्म:
यह कदम उपराष्ट्रपति पद के महत्व और उसके संविधानिक-राजनीतिक मूल्य को एक बार फिर सामने लाता है।
निष्कर्ष
उपराष्ट्रपति धनखड़ का इस्तीफा राजनीतिक रूप से चौंकाने वाला और अचानक था। हालांकि, संविधान ने इस स्थिति से निपटने की व्यवस्था पहले से की हुई है। उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह राज्यसभा की मॉन्सून सत्र की शेष कार्यवाही की अध्यक्षता करेंगे, जिससे संसद की प्रक्रिया में बाधा नहीं आएगी। वहीं, नई नियुक्ति के चुनावी मैदान में अब NDA और विपक्ष रणनीति के साथ आगे बढ़ेंगे, जिससे आने वाले हफ्तों में विद्वानों और राजनीतिक विश्लेषकों की निगाहें बनी रहेंगी।
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