भारतीय टीम अगर मैनचेस्टर टेस्ट जीतने में सफल होती है तो कमाल हो जाएगा। शुभमन गिल को एक कड़ी परीक्षा से गुजरना है।
भारतीय क्रिकेट टीम एक बार फिर इंग्लैंड की धरती पर अग्निपरीक्षा के लिए तैयार है। यह दौरा सिर्फ एक सीरीज नहीं, बल्कि 47 साल पुराने इतिहास को दोहराने की चुनौती भी है। भारत ने आखिरी बार 1971 और 1974 में इंग्लैंड को उसी की सरज़मीं पर मात दी थी। इसके बाद से अब तक जीत की तलाश लगातार जारी है। इस बार रोहित शर्मा की अगुवाई में भारतीय टीम मैदान में उतरेगी, तो केवल रन और विकेट नहीं, बल्कि वर्षों से जमी धूल को भी झाड़ने की कोशिश करेगी।

1971: जब इतिहास बना था

1971 का इंग्लैंड दौरा भारतीय क्रिकेट के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुआ। अजीत वाडेकर की कप्तानी में भारत ने ओवल टेस्ट जीतकर पहली बार इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज अपने नाम की थी। इस ऐतिहासिक जीत में गेंदबाज़ भागवत चंद्रशेखर और बल्लेबाज़ गुंडप्पा विश्वनाथ की अहम भूमिका रही थी। यह जीत सिर्फ एक सीरीज नहीं, बल्कि भारतीय क्रिकेट के आत्मविश्वास की शुरुआत थी।
2025: एक और मौका
अब 2025 में टीम इंडिया के सामने वैसी ही ऐतिहासिक जीत को दोहराने का सुनहरा अवसर है। हालांकि, चुनौती कम नहीं है। इंग्लैंड की पिचें, वहां का मौसम, और मेज़बान टीम का मजबूत प्रदर्शन भारतीय टीम की राह को कठिन बनाते हैं। इंग्लैंड की तेज गेंदबाज़ी आक्रमण और घरेलू परिस्थितियों का फायदा हमेशा मेज़बान टीम को मिलता रहा है।
टीम इंडिया की तैयारी
रोहित शर्मा के नेतृत्व में टीम इंडिया संतुलित नजर आ रही है। बल्लेबाज़ी में विराट कोहली, शुभमन गिल और श्रेयस अय्यर जैसे भरोसेमंद खिलाड़ी हैं। वहीं तेज गेंदबाज़ों में जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद सिराज और अर्शदीप सिंह जैसे नाम शामिल हैं, जो इंग्लैंड की पिचों पर खतरनाक साबित हो सकते हैं। स्पिन विभाग में कुलदीप यादव और रवींद्र जडेजा टीम को संतुलन दे सकते हैं।
कमजोर कड़ी: विदेशी सरज़मीं पर दबाव
भारत पिछले कई सालों से विदेशी दौरों पर जीत के करीब पहुंच कर भी चूकता रहा है। चाहे वह 2021 का इंग्लैंड दौरा हो या 2023 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल — टीम दबाव झेलने में पिछड़ गई। इस बार टीम को अपनी मानसिक मजबूती और सामूहिक प्रदर्शन पर काम करना होगा।
इंग्लैंड की तैयारियाँ
बेन स्टोक्स की कप्तानी वाली इंग्लैंड टीम ‘बैज़बॉल’ अप्रोच के साथ आक्रामक क्रिकेट खेल रही है। उनकी बल्लेबाज़ी की गहराई और गेंदबाज़ों की विविधता भारतीय टीम को लगातार दबाव में रखने का माद्दा रखती है। जो रूट, हैरी ब्रूक, और ओली पॉप जैसे बल्लेबाज़ किसी भी गेंदबाज़ी आक्रमण को तहस-नहस करने की क्षमता रखते हैं। जेम्स एंडरसन और मार्क वुड जैसे अनुभवी गेंदबाज़ भी भारतीय बल्लेबाज़ों की परीक्षा लेंगे।
मौसम और पिच की भूमिका
इंग्लैंड का मौसम हमेशा क्रिकेट मैचों को प्रभावित करता रहा है। बादल, नमी और हवा का इस्तेमाल तेज गेंदबाज़ बखूबी करते हैं। भारतीय टीम को शुरू में संभलकर खेलना होगा और एक ठोस शुरुआत देने वाले बल्लेबाज़ों की भूमिका अहम होगी।
निष्कर्ष
भारतीय टीम के पास इस बार न केवल इतिहास रचने, बल्कि अपनी पिछली हारों को भुलाकर एक नई शुरुआत करने का अवसर है। इंग्लैंड की ज़मीन पर टेस्ट सीरीज़ जीतना सिर्फ एक क्रिकेटिंग उपलब्धि नहीं, बल्कि मानसिक दृढ़ता और टीम स्पिरिट का भी प्रमाण होगा।
47 साल पहले ओवल में जो सपना सच हुआ था, उसे फिर से जीने के लिए टीम इंडिया को हर मैच को एक युद्ध की तरह लेना होगा। अगर रणनीति सटीक रही, संयम बना रहा और आत्मविश्वास कायम रहा — तो इस बार अग्निपरीक्षा के बाद इतिहास फिर से लिखा जा सकता है।
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