भारतीय खेल प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने संसद में “नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल, 2025” पेश किया है। इस ऐतिहासिक विधेयक का उद्देश्य देश में खेल संस्थाओं के संचालन में एक समान और पारदर्शी व्यवस्था लागू करना है। सबसे अहम बात यह है कि इस कानून के दायरे में अब भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) भी आएगा, जो अब तक खुद को अन्य खेल संगठनों से अलग और ‘स्वायत्त’ मानता रहा है।

क्या है नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल?
नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल का मकसद भारत में खेल संघों और बोर्डों की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता, जवाबदेही, और नैतिकता को अनिवार्य करना है। यह बिल भारतीय ओलंपिक संघ (IOA), राष्ट्रीय खेल महासंघों (NSFs), और अब BCCI सहित सभी मान्यता प्राप्त खेल निकायों पर लागू होगा।
बिल में यह सुनिश्चित करने के लिए प्रावधान किए गए हैं कि सभी खेल संगठन:
- लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई कार्यकारिणी से संचालित हों
- खिलाड़ियों के हितों की रक्षा करें
- वित्तीय पारदर्शिता बनाए रखें
- भ्रष्टाचार और पक्षपात से मुक्त रहें
- वार्षिक रिपोर्ट और ऑडिट विवरण सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराएं
BCCI भी अब दायरे में

अब तक BCCI खुद को स्वायत्त संस्था मानते हुए राष्ट्रीय खेल महासंघों के दिशा-निर्देशों से बाहर रखता था। सुप्रीम कोर्ट ने भी 2016 में लोढ़ा समिति की सिफारिशों के आधार पर BCCI में सुधार की बात कही थी, लेकिन कई सिफारिशें आज तक पूरी तरह लागू नहीं हुईं।
बिल के संसद में पेश होते ही खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने स्पष्ट किया,
“खेल अब केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण का हिस्सा हैं। सभी खेल निकायों को समान रूप से जवाबदेह बनाना समय की मांग है। चाहे वह क्रिकेट हो या कबड्डी, सभी संगठनों को एक जैसी पारदर्शिता और संरचना अपनानी होगी।”
BCCI की प्रतिक्रिया
हालांकि अभी BCCI की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक बोर्ड इस बिल को लेकर चिंतित है। बोर्ड के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि इसकी स्वायत्तता और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) के साथ उसके संबंधों पर असर पड़ सकता है।
वहीं, कुछ पूर्व खिलाड़ियों ने इस कदम का स्वागत किया है। पूर्व क्रिकेटर और भाजपा सांसद गौतम गंभीर ने कहा,
“अगर अन्य खेल संघ जवाबदेह हैं, तो क्रिकेट बोर्ड को भी पारदर्शी होना चाहिए। यह खिलाड़ियों और प्रशंसकों दोनों के हित में है।”
खिलाड़ियों और विशेषज्ञों की राय
इस विधेयक को लेकर खिलाड़ियों और खेल विशेषज्ञों के बीच सकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। उनका मानना है कि इससे न केवल खिलाड़ियों को उचित सुविधाएं और प्रतिनिधित्व मिलेगा, बल्कि भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद जैसी समस्याओं पर भी लगाम लगेगी।
पूर्व ओलंपियन राज्यवर्धन सिंह राठौर ने कहा,
“यह एक क्रांतिकारी कदम है। इससे भारत में खेलों की संस्कृति बदलेगी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारी साख मजबूत होगी।”
आगे की प्रक्रिया
बिल को पहले संसद के दोनों सदनों में पारित कराना होगा। इसके बाद इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। इसके लागू होने के बाद सभी खेल संगठनों को 6 महीने के भीतर अपने संविधान और कार्यप्रणाली को नए कानून के अनुरूप बनाना अनिवार्य होगा।
निष्कर्ष
नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल, 2025 भारत में खेलों के प्रशासन में नया अध्याय शुरू कर सकता है। यदि यह विधेयक पारित होता है, तो यह सुनिश्चित करेगा कि BCCI जैसे प्रभावशाली संगठन भी उत्तरदायी और पारदर्शी रूप से कार्य करें। इस पहल से खिलाड़ियों, प्रशंसकों और खेल-प्रेमियों को निश्चित रूप से भरोसा मिलेगा कि अब भारतीय खेल प्रणाली केवल खेल नहीं, बल्कि न्याय और जवाबदेही की भावना से संचालित होगी।