संसद मानसून सत्र में हंगामा, लोकसभा-राज्यसभा की कार्यवाही शुक्रवार तक स्थगित !

बिहार में SIR और अन्य मुद्दों को लेकर विपक्षी हंगामे के कारण संसद के दोनों सदनों में बुधवार को लगातार तीसरे दिन गतिरोध बना रहा था। कार्यवाही दो बार स्थगित होने के बाद दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई थी।

संसद का मानसून सत्र जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे राजनीतिक सरगर्मियां और टकराव भी बढ़ते जा रहे हैं। मंगलवार को एक बार फिर विपक्षी दलों के भारी हंगामे के चलते लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही को शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया। दोनों सदनों में प्रमुख मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाने के कारण बार-बार व्यवधान उत्पन्न हुआ, जिससे संसद की गरिमा और कार्यक्षमता पर सवाल उठने लगे हैं।

संसद मानसून सत्र में हंगामा, लोकसभा-राज्यसभा की कार्यवाही शुक्रवार तक स्थगित !
संसद मानसून सत्र में हंगामा, लोकसभा-राज्यसभा की कार्यवाही शुक्रवार तक स्थगित !

क्या है विवाद का मुख्य कारण?

इस बार मानसून सत्र में विपक्ष सरकार को विभिन्न मुद्दों पर घेरने के लिए पूरी तरह से आक्रामक रुख अपनाए हुए है। प्रमुख मुद्दों में मणिपुर हिंसा, ईडी और सीबीआई के कथित दुरुपयोग, पेगासस जासूसी विवाद, महंगाई, बेरोजगारी, और राज्यों के अधिकारों में कटौती जैसे सवाल शामिल हैं।

विपक्ष का आरोप है कि सरकार महत्वपूर्ण मुद्दों पर बहस से बच रही है और संसद को ‘एकतरफा एजेंडे’ के तहत चला रही है। वहीं, सरकार का कहना है कि वह सभी सवालों के जवाब देने के लिए तैयार है, बशर्ते सदन की कार्यवाही शांतिपूर्वक चले।

लोकसभा में क्या हुआ?

सुबह जैसे ही लोकसभा की कार्यवाही शुरू हुई, विपक्षी सांसदों ने ‘मणिपुर जल रहा है’, ‘लोकतंत्र खतरे में है’, जैसे नारों के साथ सरकार के खिलाफ विरोध जताना शुरू कर दिया। अध्यक्ष ओम बिड़ला ने सांसदों से शांति बनाए रखने और प्रश्नकाल चलने देने की अपील की, लेकिन शोर-शराबा लगातार बढ़ता गया।

कई सांसदों ने अपने हाथों में तख्तियां लेकर प्रदर्शन किया, जिसे लेकर अध्यक्ष ने असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि “इस प्रकार का आचरण लोकतांत्रिक मर्यादा के अनुकूल नहीं है।” इसके बाद कार्यवाही को पहले दोपहर 2 बजे तक स्थगित किया गया और फिर पूरे दिन के लिए स्थगन का एलान कर दिया गया।

राज्यसभा का भी यही हाल

राज्यसभा का भी यही हाल
राज्यसभा का भी यही हाल

राज्यसभा में भी कुछ ऐसा ही दृश्य देखने को मिला। उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने जैसे ही कार्यवाही शुरू की, विपक्षी सदस्य अपनी सीटों से खड़े होकर नारेबाज़ी करने लगे। तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस, आप और DMK के सदस्यों ने संयुक्त रूप से मणिपुर मुद्दे पर चर्चा की मांग करते हुए सदन को बाधित किया।

कई बार उपसभापति ने सदस्यों से शांति बनाए रखने की अपील की और कहा कि अगर नियमों के तहत नोटिस दिया जाए तो चर्चा संभव है, लेकिन विपक्षी दल तत्काल बहस की मांग पर अड़े रहे। अंततः कार्यवाही पहले कुछ समय के लिए स्थगित की गई और बाद में शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।

सरकार और विपक्ष आमने-सामने

इस गतिरोध पर संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सरकार सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन विपक्ष “राजनीतिक नौटंकी” कर रहा है। उन्होंने कहा, “सदन में चर्चा के लिए नियम और प्रक्रिया होती है। लेकिन विपक्ष हंगामा कर रहा है ताकि लोगों का ध्यान मुद्दों से हटाया जा सके।”

वहीं, विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार मणिपुर जैसी गंभीर घटना पर बहस से भाग रही है और लोकतंत्र को दबाने की कोशिश कर रही है।

कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “संसद में बहुमत के बल पर सरकार आवाजें दबा रही है। मणिपुर में जो हुआ, उस पर प्रधानमंत्री को खुद आकर बयान देना चाहिए।”

जनता का भरोसा और संसद की गरिमा

संसद को लोकतंत्र का मंदिर कहा जाता है, लेकिन लगातार हो रहे व्यवधानों से जनता का भरोसा और संसद की गरिमा दोनों प्रभावित हो रहे हैं। एक ओर जहां जनता उम्मीद करती है कि संसद में उनके मुद्दों पर चर्चा हो, वहीं राजनीतिक टकराव के कारण नीतिगत बहसें दबती जा रही हैं।

निष्कर्ष

मानसून सत्र की कार्यवाही बार-बार स्थगित होना चिंता का विषय है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में विपक्ष और सरकार दोनों की जिम्मेदारी होती है कि वे जनता से जुड़े मुद्दों पर गंभीर बहस करें। यदि यही स्थिति बनी रही, तो संसद के इस सत्र की उत्पादकता प्रभावित होगी और जनता के महत्वपूर्ण मुद्दे हंगामे की भेंट चढ़ जाएंगे। अब यह देखना होगा कि शुक्रवार को जब कार्यवाही फिर शुरू होगी, तो क्या कोई समाधान निकल पाएगा या गतिरोध और बढ़ेगा।

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