ओम बिरला ने विपक्षी सांसदों को फटकार लगाते हुए राहुल गांधी से कहा कि वह अपने दल के नेताओं को समझाएं कि जनता ने उन्हें पर्चिंयां फेंकने और तख्तियां लाने के लिए नहीं भेजा है।
संसद के मानसून सत्र में मंगलवार को एक बार फिर हंगामा देखने को मिला। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा पर्ची फाड़कर फेंकने की घटना पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने नाराजगी जताई और कड़ा संदेश दिया। उन्होंने कहा कि जनता ने सदन में अपने प्रतिनिधियों को गंभीर चर्चा और जनहित के मुद्दे उठाने के लिए भेजा है, न कि पर्चियां फाड़ने और उछालने के लिए।

क्या हुआ सदन में?
मंगलवार को लोकसभा की कार्यवाही के दौरान जब एक अहम विधेयक पर चर्चा चल रही थी, उस समय राहुल गांधी ने कथित रूप से अपनी सीट से कुछ पर्चियां फाड़कर उछालीं। इसका सीधा प्रसारण टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर हुआ, जिसके बाद इस व्यवहार की कड़ी आलोचना होने लगी। सत्ता पक्ष के सांसदों ने इसे “असंसदीय और अलोकतांत्रिक” करार दिया।
लोकसभा अध्यक्ष की सख्त टिप्पणी

घटना के तुरंत बाद, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने राहुल गांधी को संबोधित करते हुए कहा,
“आप देश की सबसे पुरानी पार्टी से हैं, आपके कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी है। जनता ने आपको यहां पर्ची फाड़ने के लिए नहीं, बहस करने के लिए भेजा है। कृपया सदन की गरिमा बनाए रखें।”
उन्होंने आगे कहा कि संसद जनमत का प्रतिनिधित्व करती है और यहां हर सदस्य से यह अपेक्षा की जाती है कि वह मुद्दों पर सारगर्भित चर्चा करे, न कि अशोभनीय कृत्य।
सत्ता पक्ष का हमला
बीजेपी सांसदों ने राहुल गांधी की इस हरकत को मुद्दा बनाते हुए कहा कि विपक्ष संसद की कार्यवाही को लगातार बाधित कर रहा है। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा,
“जब उनके पास तथ्यों की कमी होती है, तो वो इस तरह की नौटंकी करते हैं। उन्हें गंभीरता से बहस करनी चाहिए, न कि ड्रामा करना चाहिए।”
वहीं, गृह मंत्री अमित शाह ने भी बिना नाम लिए कहा कि लोकतंत्र में असहमति हो सकती है, लेकिन अभद्रता नहीं।
कांग्रेस का बचाव
कांग्रेस की ओर से प्रवक्ता जयराम रमेश ने राहुल गांधी का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने जनभावनाओं को व्यक्त करने के लिए यह कदम उठाया।
“राहुल गांधी ने जो किया, वह जनता के रोष का प्रतीक था। जब सरकार सवालों का जवाब नहीं देती, तो विरोध के ऐसे तरीके भी अपनाने पड़ते हैं।”
हालांकि पार्टी ने यह भी कहा कि वे लोकसभा अध्यक्ष की बातों का सम्मान करते हैं और सदन की मर्यादा बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
जनता की मिली-जुली प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर इस पूरे घटनाक्रम को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। कुछ लोगों ने राहुल गांधी की शैली को “नाटकीय” बताया, तो कुछ ने इसे जनता की आवाज़ बताते हुए समर्थन किया। ट्विटर पर हैशटैग #RahulGandhi और #LokSabhaSpeaker ट्रेंड कर रहे हैं।
निष्कर्ष
इस घटनाक्रम ने एक बार फिर से यह प्रश्न खड़ा कर दिया है कि संसद में मर्यादा और शालीनता का स्तर कैसे सुनिश्चित किया जाए। लोकसभा अध्यक्ष का हस्तक्षेप महत्वपूर्ण रहा, क्योंकि उन्होंने स्पष्ट संदेश दिया कि संसद केवल राजनीतिक लड़ाई का मंच नहीं, बल्कि जनता की आवाज़ और नीति निर्धारण की सबसे बड़ी संस्था है।
अब देखना यह होगा कि क्या इस चेतावनी के बाद सदन की कार्यवाही सुचारु रूप से चलती है या विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच टकराव और बढ़ता है।