रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में कहा कि यह कहना गलत है कि किसी दबाव में ऑपरेशन सिंदूर को रोका गया था। सेना की कार्रवाई आतंकवाद के खिलाफ थी।
संसद के मानसून सत्र के दौरान सोमवार को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर लोकसभा में विस्तृत चर्चा हुई। यह वह सैन्य अभियान है, जिसमें भारतीय सेना ने सीमापार आतंकवादी शिविरों पर जोरदार हमला कर दर्जनों आतंकवादियों को ढेर किया था। इस कार्रवाई को लेकर पूरा सदन भावुक और गौरवान्वित नजर आया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस विषय पर बयान देते हुए कहा कि यह ऑपरेशन उन मासूम महिलाओं और बच्चियों के सम्मान की पुनर्प्राप्ति के लिए था, जिनके साथ दरिंदगी की गई थी।

क्या है ‘ऑपरेशन सिंदूर’?
‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारतीय सेना द्वारा जम्मू-कश्मीर के पुंछ सेक्टर में शुरू किया गया एक विशेष सैन्य अभियान था, जिसे 18 जुलाई को अंजाम दिया गया। इसका उद्देश्य उन आतंकी गुटों को खत्म करना था जो हाल ही में सीमा पार से घुसपैठ कर जम्मू क्षेत्र में महिलाओं पर बर्बर हमलों के लिए जिम्मेदार थे। यह ऑपरेशन पूरी तरह गोपनीय रखा गया और इसकी जानकारी सिर्फ उच्च सैन्य व राजनीतिक नेतृत्व तक ही सीमित थी।
राजनाथ सिंह का लोकसभा में संबोधन

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में अपने भाषण के दौरान भावनात्मक और जोशीले अंदाज में कहा:
“हमारी मां-बहनों के सम्मान पर हमला किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ऑपरेशन सिंदूर हमारे सैनिकों की बहादुरी और देश के संकल्प का प्रतीक है। हमने उन दरिंदों को उनके घर में घुसकर मारा है।”
उन्होंने बताया कि ऑपरेशन में भारतीय सेना ने 38 आतंकवादियों को मार गिराया, जिनमें से कई पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों से जुड़े थे। इस कार्रवाई में भारत के किसी भी सैनिक को नुकसान नहीं हुआ, जिसे एक बड़ी सैन्य सफलता के रूप में देखा जा रहा है।
विपक्ष ने किया समर्थन
इस मुद्दे पर सत्ता और विपक्ष एकमत नजर आए। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा,
“देश की सुरक्षा से ऊपर कुछ नहीं है। ऑपरेशन सिंदूर पर हम सरकार के साथ हैं। आतंकियों को जवाब मिलना ही चाहिए।”
टीएमसी और एनसीपी सहित लगभग सभी विपक्षी दलों ने इस ऑपरेशन की सराहना की और सेना के शौर्य को सलाम किया।
भावनात्मक हुआ सदन
राजनाथ सिंह जब पीड़ित महिलाओं का उल्लेख कर रहे थे, तब सदन में भावुकता का माहौल बन गया। उन्होंने कहा,
“जो मांएं सिंदूर लगाए अपने बेटे का इंतजार कर रही थीं, उन्हें आतंकियों ने हमेशा के लिए चुप करा दिया था। हमने वही सिंदूर फिर से उनके नाम किया है — न्याय और आत्मसम्मान के रूप में।”
उनके इस वक्तव्य पर सत्ता पक्ष के सांसदों ने मेजें थपथपाकर समर्थन जताया, जबकि विपक्ष के कई नेता भी सिर झुकाए भावुक नजर आए।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
राजनाथ सिंह ने बताया कि ऑपरेशन के बाद कुछ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान ने विरोध जताने की कोशिश की, लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया कि यह आत्मरक्षा में उठाया गया कदम था। उन्होंने कहा,
“भारत अब सिर्फ सहने वाला राष्ट्र नहीं है, हम अब जवाब देना जानते हैं।”
सैन्य तैयारी और सख्त नीति
रक्षा मंत्री ने यह भी बताया कि भविष्य में ऐसे किसी भी दुस्साहस पर और भी तीव्र प्रतिक्रिया दी जाएगी। उन्होंने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में सेना की तैनाती और निगरानी और मजबूत की जा रही है। साथ ही आतंकियों के लोकल सपोर्ट नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए इंटेलिजेंस ऑपरेशन्स तेज किए जा रहे हैं।
निष्कर्ष
‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत के सैन्य इतिहास में एक और गौरवपूर्ण अध्याय बन गया है। लोकसभा में हुई इस चर्चा ने यह साफ कर दिया कि जब बात देश की बेटियों, मां-बहनों और सीमाओं की रक्षा की होती है, तब भारत एकजुट होकर खड़ा होता है। रक्षा मंत्री के शब्दों में देश की आत्मा की गूंज सुनाई दी — “हम चुप नहीं बैठेंगे, अब हर हमला मिलेगा करारा जवाब।”