पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की है। सूत्रों के हवाले से ये खबर सामने आई है। मुख्यमंत्री का भी दिल्ली जाने का कार्यक्रम है।
भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता और राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हालिया मुलाकात ने सियासी हलचलें तेज कर दी हैं। सूत्रों के मुताबिक, इस मुलाकात को आने वाले दिनों में संभावित केंद्रीय मंत्रिमंडल फेरबदल से जोड़कर देखा जा रहा है। दिल्ली के सत्ता गलियारों में इस मुलाकात को एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम माना जा रहा है, जो आने वाले समय में राजस्थान और राष्ट्रीय राजनीति की दिशा को प्रभावित कर सकता है।

मुलाकात के मायने
सूत्रों के अनुसार, वसुंधरा राजे और प्रधानमंत्री मोदी के बीच लगभग 40 मिनट तक बातचीत हुई। इस दौरान न केवल राजस्थान की राजनीतिक स्थिति पर चर्चा हुई, बल्कि संगठनात्मक मुद्दों और केंद्र सरकार में संभावित भूमिका को लेकर भी विचार-विमर्श हुआ। पार्टी सूत्रों का कहना है कि वसुंधरा राजे को केंद्र में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है, संभव है कि उन्हें आगामी मंत्रिमंडल विस्तार में जगह मिले।
राजस्थान में बदले समीकरण?
राजस्थान में हाल ही में विधानसभा चुनाव हुए हैं, जिसमें भाजपा ने बहुमत हासिल किया लेकिन मुख्यमंत्री के रूप में वसुंधरा राजे को नजरअंदाज किया गया। इसके बाद से ही पार्टी के भीतर गुटबाजी की खबरें सामने आने लगीं। वसुंधरा गुट के समर्थकों में नाराजगी भी देखी गई। ऐसे में यह मुलाकात भाजपा आलाकमान द्वारा वसुंधरा राजे को केंद्र में नई भूमिका देकर राजस्थान की राजनीति में संतुलन साधने की कोशिश के रूप में देखी जा रही है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल में बदलाव की अटकलें
सूत्र बताते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी जल्द ही अपने मंत्रिमंडल में आंशिक फेरबदल कर सकते हैं, जिसमें कुछ वरिष्ठ नेताओं की छुट्टी और नए चेहरों की एंट्री संभव है। ऐसे में वसुंधरा राजे जैसे अनुभवी नेता को शामिल करना पार्टी की रणनीति का हिस्सा हो सकता है — खासकर महिलाओं और वरिष्ठ नेताओं को प्रतिनिधित्व देने के दृष्टिकोण से।
पार्टी सूत्रों का यह भी कहना है कि वसुंधरा को ग्रामीण विकास, महिला एवं बाल कल्याण या शहरी विकास जैसे किसी बड़े मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।
भाजपा नेतृत्व की रणनीति
भाजपा नेतृत्व इस समय 2029 की तैयारियों में जुट चुका है। पार्टी अंदरूनी तौर पर संगठन को मजबूत करने, राज्यों के बीच संतुलन बनाने और अनुभवी नेताओं को प्रमुख भूमिकाओं में वापस लाने की कोशिश कर रही है। वसुंधरा राजे की मुलाकात को इसी रणनीति की एक कड़ी माना जा रहा है।
गौरतलब है कि हाल ही में पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं से पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की मुलाकातें हुई हैं, जिसमें सांगठनिक बदलाव और नए समीकरणों को लेकर चर्चाएं हुई हैं।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
इस घटनाक्रम पर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने तंज कसना शुरू कर दिया है। कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कहा,
“यह भाजपा की आंतरिक अस्थिरता का प्रमाण है। चुनाव जीतने के बाद भी पार्टी अपने वरिष्ठ नेताओं को लेकर असमंजस में है।”
वहीं, AAP और TMC जैसे दलों ने भी इस मुलाकात को सत्ता संतुलन की कोशिश बताया है।
निष्कर्ष
वसुंधरा राजे की प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात एक सामान्य शिष्टाचार नहीं, बल्कि राजनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। अब देखना यह होगा कि क्या उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में नई जिम्मेदारी मिलती है या पार्टी उन्हें किसी और रणनीतिक भूमिका में सामने लाती है।
राजनीति के जानकार मानते हैं कि यह मुलाकात आने वाले समय में राजस्थान की भाजपा इकाई की दशा और दिशा को भी प्रभावित कर सकती है, साथ ही वसुंधरा राजे की सक्रियता को एक नई ऊंचाई भी दे सकती है।
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