वोट चोरी के आरोप पर राहुल गांधी को चुनाव आयोग का करारा जवाब !

राहुल गांधी के वोट चोरी के आरोपों को चुनाव आयोग ने बेबुनियाद बताया। EC ने बताया कि जून में भेजे पत्र का राहुल ने कोई जवाब नहीं दिया। राहुल ने ‘एटम बम’ जैसे सबूतों की बात कही, लेकिन उन्हें पेश नहीं किया।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी और चुनाव आयोग के बीच तकरार और भी तीखी होती जा रही है। हाल ही में राहुल गांधी ने एक जनसभा और सोशल मीडिया के जरिए आरोप लगाया था कि देश में बड़े पैमाने पर वोट चोरी हो रही है, और इसमें चुनाव आयोग की निष्क्रियता या मिलीभगत है। उन्होंने कहा कि एक विशेष सॉफ्टवेयर और डेटा एनालिटिक्स के जरिये कुछ निजी एजेंसियां मतदाताओं का डेटा चोरी कर रही हैं और उनका इस्तेमाल कर वोटर लिस्ट में गड़बड़ियां की जा रही हैं।

इन आरोपों पर चुनाव आयोग ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है और पूरे मामले में राहुल गांधी के आरोपों को “बिना आधार और भ्रामक” करार दिया है। आयोग ने दस्तावेज़ और तकनीकी प्रक्रियाओं से जुड़ी विस्तृत जानकारी जारी करते हुए कहा कि भारत में मतदाता सूची की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और सुरक्षित है, और किसी भी तरह की हेराफेरी की संभावना नहीं है।

वोट चोरी के आरोप पर राहुल गांधी को चुनाव आयोग का करारा जवाब !
वोट चोरी के आरोप पर राहुल गांधी को चुनाव आयोग का करारा जवाब !

राहुल गांधी का आरोप

राहुल गांधी ने अपने बयान में दावा किया कि:

राहुल गांधी का आरोप
राहुल गांधी का आरोप
  1. वोटर डेटा का गलत इस्तेमाल हो रहा है।
  2. कुछ निजी फर्म्स के जरिए मतदाताओं का डेटा प्रोफाइलिंग की जा रही है।
  3. फर्जी मतदाताओं को जोड़ने और असली मतदाताओं का नाम हटाने जैसे खेल हो रहे हैं।
  4. यह सब एक ‘संगठित राजनीतिक साजिश’ के तहत किया जा रहा है।

राहुल गांधी ने यह भी मांग की कि इस पूरी प्रक्रिया की एक स्वतंत्र जांच कराई जाए और चुनाव आयोग को इस पर तत्काल संज्ञान लेना चाहिए।

चुनाव आयोग का जवाब

चुनाव आयोग का जवाब
चुनाव आयोग का जवाब

चुनाव आयोग ने अपने जवाब में स्पष्ट किया कि:

  1. डेटा सुरक्षा: मतदाता सूची से जुड़ा सारा डेटा पूरी तरह एनक्रिप्टेड और संरक्षित है। इसे अपडेट करने की प्रक्रिया में तीन स्तरीय सत्यापन होता है—फील्ड वेरिफिकेशन, दस्तावेजों की जांच और डिजिटल ऑडिट ट्रेल।
  2. फर्जी वोटर का सवाल ही नहीं: चुनाव आयोग ने पिछले कुछ वर्षों के आंकड़े प्रस्तुत किए, जिसमें दिखाया गया कि कैसे हर साल लाखों फर्जी या डुप्लीकेट वोटरों को हटाया गया है।
  3. ईआरओ नेट सिस्टम: भारत में इस्तेमाल होने वाला Electoral Roll Management सिस्टम पूरी तरह से सेंट्रलाइज्ड और ट्रैक करने योग्य है। कोई भी बदलाव रियल-टाइम लॉगिंग के साथ रिकॉर्ड होता है।
  4. राजनीतिक दलों को जानकारी: आयोग ने बताया कि हर मतदाता सूची का ड्राफ्ट सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को उपलब्ध कराया जाता है और वे आपत्ति या सुझाव दे सकते हैं। राहुल गांधी की पार्टी को भी यह प्रक्रिया भलीभांति ज्ञात है।
  5. शिकायतों के लिए पोर्टल: चुनाव आयोग ने यह भी बताया कि यदि किसी को गड़बड़ी की शिकायत है तो वह राष्ट्रीय मतदाता सेवा पोर्टल (NVSP) पर जाकर या ईआरओ कार्यालय में शिकायत दर्ज करा सकता है।

आयोग का तंज

आयोग ने अपने बयान में कहा,

“किसी भी संवैधानिक संस्था के ऊपर इस प्रकार के निराधार और सनसनीखेज आरोप न केवल जनविश्वास को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि चुनाव प्रणाली की गरिमा को भी आघात पहुंचाते हैं। आरोप लगाने से पहले तथ्यों को समझना और प्रक्रिया में भाग लेना लोकतंत्र की जिम्मेदारी है।”

राजनीतिक माहौल गरमाया

राहुल गांधी के इस बयान और चुनाव आयोग के पलटवार के बाद सियासी हलकों में बहस तेज हो गई है। भाजपा नेताओं ने राहुल गांधी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि वे हार की आशंका से पहले ही ‘बहानेबाज़ी’ कर रहे हैं। वहीं कांग्रेस का कहना है कि आयोग को जांच के बजाए प्रतिरोध की मुद्रा में नहीं आना चाहिए।

निष्कर्ष

वोटिंग प्रणाली और चुनाव आयोग की निष्पक्षता को लेकर उठे सवालों ने चुनावी माहौल को और भी गर्म कर दिया है। अब देखना होगा कि कांग्रेस अपने आरोपों को लेकर क्या सबूत पेश करती है और क्या यह मामला किसी जांच या संसदीय बहस तक पहुंचता है। लेकिन फिलहाल चुनाव आयोग ने अपने जवाब से यह स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी भी प्रकार की राजनीति से प्रभावित हुए बिना प्रक्रिया की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।

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