दिल्ली विधानसभा का मॉनसून सत्र 4 से 8 अगस्त तक चलेगा लेकिन जरूरत पड़ी तो इसे बढ़ाया भी जा सकता है। पहले ही दिन स्कूल फीस नियंत्रण बिल सहित अन्य मुद्दों पर राजनीतिक घमासान के पूरे आसार हैं।
दिल्ली विधानसभा का मॉनसून सत्र आज यानी 4 अगस्त 2025 (सोमवार) से आरंभ हो रहा है, जो कि राजनीतिक, शैक्षिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण से काफी अहम माना जा रहा है। यह सत्र कुल तीन दिनों तक चलेगा, जिसमें सरकार द्वारा कई महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए जाएंगे, जिनमें से सबसे अहम है निजी स्कूलों की फीस नियंत्रण से जुड़ा बिल। इसके अलावा, नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की दो रिपोर्टें भी सदन के पटल पर रखी जाएंगी।

मॉनसून सत्र का एजेंडा क्या है?
दिल्ली विधानसभा सचिवालय से मिली जानकारी के मुताबिक, इस सत्र में कुल तीन बैठकें होंगी। विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल की अध्यक्षता में सदन की कार्यवाही शुरू होगी। सत्र के पहले दिन ही सदन में स्कूल फीस नियंत्रण विधेयक पेश किया जाएगा, जो कि राजधानी में कार्यरत निजी स्कूलों की मनमानी फीस बढ़ोतरी पर रोक लगाने के उद्देश्य से लाया जा रहा है।

इसके साथ ही, दो महत्वपूर्ण CAG रिपोर्टें भी पेश की जाएंगी, जिनमें विभिन्न विभागों में हुए व्यय और परियोजनाओं की लेखा-परीक्षा के निष्कर्ष शामिल होंगे। इन रिपोर्टों के माध्यम से सरकार की पारदर्शिता और जवाबदेही पर चर्चा होने की संभावना है।
स्कूल फीस नियंत्रण विधेयक: मुख्य विशेषताएं
दिल्ली सरकार का दावा है कि इस बिल के जरिए निजी स्कूलों में फीस वृद्धि पर रोक, पारदर्शिता, और अभिभावकों की शिकायतों के त्वरित निवारण की दिशा में कदम उठाए जाएंगे।
इस विधेयक के प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं:
- स्कूलों को फीस बढ़ाने से पहले सरकार की अनुमति लेनी होगी।
- मनमाने तौर पर किसी भी प्रकार की एडमिशन फीस या “डेवलपमेंट चार्ज” नहीं लिया जा सकेगा।
- फीस स्ट्रक्चर को वेबसाइट पर पब्लिकली डिस्क्लोज करना अनिवार्य होगा।
- शिकायतों के निवारण के लिए एक रेगुलेटरी अथॉरिटी का गठन किया जाएगा।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और शिक्षा मंत्री आतिशी ने पहले ही संकेत दे दिए हैं कि यह बिल जनता को “शोषण से मुक्ति” दिलाने वाला साबित होगा।
CAG रिपोर्टों से क्या उम्मीद?
CAG (Comptroller and Auditor General) की दोनों रिपोर्टें 2023-24 वित्तीय वर्ष से संबंधित हैं। इन रिपोर्टों में दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों—जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली वितरण, पीडब्ल्यूडी आदि—के वित्तीय प्रबंधन, परियोजनाओं की प्रगति, और खर्च में पारदर्शिता का मूल्यांकन किया गया है।
सत्र के दौरान विपक्ष इन रिपोर्टों के आधार पर सरकार को घेरने की कोशिश कर सकता है, खासतौर पर बिजली सब्सिडी, जलापूर्ति परियोजनाओं और निर्माण कार्यों में हुई देरी को लेकर।
विपक्ष की रणनीति
भाजपा और कांग्रेस इस सत्र में सरकार पर निशाना साधने की रणनीति बना रही हैं।
भाजपा के विधायकों ने संकेत दिए हैं कि वे ‘मोहल्ला क्लीनिक’, यमुना प्रदूषण, बिजली सब्सिडी और जल संकट जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाएंगे।
कांग्रेस की ओर से भी आशंका जताई गई है कि सरकार केवल “लोकप्रियता के लिए बिल लाती है, लेकिन जमीन पर लागू करने में असफल रहती है।”
सुरक्षा और व्यवस्था
विधानसभा सचिवालय द्वारा सत्र के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। संवेदनशील मुद्दों पर गरमागरम बहस की संभावना को देखते हुए परिसर में अतिरिक्त सुरक्षा बल, मीडिया कवरेज के लिए विशेष पास, और तकनीकी प्रबंध किए गए हैं।
निष्कर्ष
दिल्ली विधानसभा का यह मॉनसून सत्र काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, खासतौर पर शिक्षा क्षेत्र में सुधार की दिशा में। निजी स्कूलों की फीस पर नियंत्रण का प्रस्तावित बिल आमजन से जुड़ा हुआ है और इससे लाखों अभिभावकों को राहत मिल सकती है। वहीं, CAG रिपोर्टों के जरिए विपक्ष को सरकार की नीतियों पर सवाल उठाने का मौका मिलेगा। अब देखना होगा कि यह सत्र कितनी उत्पादकता और पारदर्शिता के साथ संपन्न होता है।
Also Read ;
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के घर को बम से उड़ाने की मिली धमकी !