“महाकुंभ स्थल पर समुद्र जैसा मंजर – आरती स्थल डूबा, ड्रोन ने दिखाई जलप्रलय की तस्वीरें”

संगम नगरी प्रयागराज में गंगा और यमुना दोनों नदियां उफान पर हैं। संगम के जिस क्षेत्र में जनवरी में माह में दिव्य और भव्य महाकुंभ का आयोजन हुआ था, वहां समुद्र नजर आ रहा है। ड्रोन कैमरे से ली गई तस्वीरों में बाढ़ की भयावहता साफ नजर आ रही है।

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में स्थित महाकुंभ स्थल पर इस समय प्राकृतिक आपदा का भयावह मंजर देखने को मिल रहा है। गंगा और यमुना नदियों के जलस्तर में अचानक आई तेज़ बढ़ोतरी के कारण पूरा आरती स्थल जलमग्न हो गया है। जहां पहले श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती थी और गूंजती थीं हर-हर गंगे की जयकारें, अब वहां चारों ओर केवल पानी का सैलाब और तबाही का दृश्य नजर आ रहा है। ड्रोन कैमरे से ली गई तस्वीरों और वीडियो ने इस आपदा की भयावहता को और अधिक स्पष्ट कर दिया है।

"महाकुंभ स्थल पर समुद्र जैसा मंजर – आरती स्थल डूबा, ड्रोन ने दिखाई जलप्रलय की तस्वीरें"
“महाकुंभ स्थल पर समुद्र जैसा मंजर – आरती स्थल डूबा, ड्रोन ने दिखाई जलप्रलय की तस्वीरें”

गंगा और यमुना उफान पर

गंगा और यमुना उफान पर
गंगा और यमुना उफान पर

बीते कुछ दिनों से हो रही लगातार भारी बारिश के चलते गंगा और यमुना दोनों नदियों का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर चुका है। संगम क्षेत्र में बाढ़ का पानी धीरे-धीरे आरती स्थल और महाकुंभ के प्रमुख आयोजन क्षेत्रों तक पहुंच गया। प्रशासन द्वारा बनाए गए घाट, मंच, संगम किनारे की श्रद्धालु सुविधाएं – सभी पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं।

डूब गया आरती स्थल

सबसे अधिक प्रभावित हुआ है वह आरती स्थल, जहां हर शाम भव्य गंगा आरती होती थी। सैकड़ों दीप जलाकर जब गंगा मईया की पूजा होती थी, उस स्थल पर अब पानी की तेज़ धारा बह रही है। लोहे के छज्जे, पत्थर की सीढ़ियां और लकड़ी के मंच पानी में पूरी तरह समा चुके हैं। आरती करने वाले पुजारियों और श्रद्धालुओं को अब किनारे से दूर कर दिया गया है।

ड्रोन से सामने आई तबाही

ड्रोन से सामने आई तबाही
ड्रोन से सामने आई तबाही

प्रशासन द्वारा जारी की गई ड्रोन तस्वीरों और वीडियो में स्पष्ट देखा जा सकता है कि जहां पहले भीड़-भाड़ और भक्ति का माहौल होता था, वहां अब सिर्फ पानी ही पानी है। कई स्थायी ढांचों को भी बाढ़ ने क्षतिग्रस्त कर दिया है। लकड़ी और टेंट के ढांचे पानी में बह गए हैं। तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि टेंट शहर के कई हिस्से जलमग्न हैं और सड़कें नदी में तब्दील हो चुकी हैं।

प्रशासन अलर्ट मोड पर

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन पूरी तरह अलर्ट मोड पर है। प्रयागराज जिला प्रशासन, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई हैं। प्रशासन ने संगम क्षेत्र और उससे सटे इलाकों को खाली करा लिया है और आम जनता को चेतावनी दी गई है कि वे जलस्तर घटने तक घाटों और नदी किनारे न जाएं।

जिलाधिकारी ने कहा, “जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। हमारी टीमें लगातार निगरानी कर रही हैं और सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। श्रद्धालुओं और स्थानीय नागरिकों से अपील है कि अफवाहों से बचें और प्रशासन का सहयोग करें।”

महाकुंभ की तैयारियों पर असर

2025 में प्रस्तावित महाकुंभ को लेकर की जा रही तैयारियों पर भी इस बाढ़ का असर पड़ा है। जिन क्षेत्रों में आधारभूत संरचनाएं तैयार की जा रही थीं, वे भी पानी में डूब चुके हैं। इंजीनियरिंग और निर्माण विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बाढ़ का पानी उतरने के बाद ही वास्तविक नुकसान का आकलन किया जा सकेगा।

श्रद्धालु दुखी, लेकिन सहनशील

इस आपदा के चलते हजारों श्रद्धालु निराश हैं, लेकिन उन्होंने इसे गंगा मैया की इच्छा मानते हुए शांतिपूर्वक स्थान छोड़ा। एक श्रद्धालु ने कहा, “गंगा मैया रुठ गई हैं, लेकिन हम फिर लौटेंगे। जल तो उनका ही रूप है।”

निष्कर्ष

प्रयागराज के महाकुंभ स्थल पर जो दृश्य इस समय देखने को मिल रहा है, वह न केवल प्रकृति की शक्ति को दर्शाता है, बल्कि मानव की सीमाओं का भी एहसास कराता है। जलप्रलय की यह स्थिति भले ही अस्थायी हो, लेकिन इससे जुड़े श्रद्धा के भाव स्थायी हैं। प्रशासन राहत कार्यों में जुटा है और उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही हालात सामान्य होंगे और एक बार फिर आरती स्थल पर भक्तों की आवाजें गूंजेंगी – “हर हर गंगे!”

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