राहुल गांधी आज बुधवार को झारखंड की चाईबासा कोर्ट में पेश हुए। अमित शाह के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी से जुड़े मानहानि के इस मामले में राहुल गांधी को जमानत दे दी गई है।
6 अगस्त 2025 को, झारखंड की चाईबासा की MP‑MLA कोर्ट ने कांग्रेस नेता और लोक सभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को जमानत प्रदान की। यह फैसला उस 2018 में दर्ज दुष्प्रचार (defamation) मामले से जुड़ा है, जिसमें उन पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप है।

मामला: क्या कहा गया था और कब?
- यह मामला 2018 का है, जब राहुल गांधी ने एक राजनीतिक रैली के दौरान अमित शाह के बारे में कथित रूप से कथन दिया था, जिसे BJP नेता विजय मिश्रा ने आपत्तिजनक और मानहानिकारक बताया और शिकायत दर्ज की थी।
- इसके बाद दिसंबर 2023 या फ़रवरी 2024 में कोर्ट ने उन्हें नॉन‑बेलियेवल वारंट जारी किया और जिज्ञासा के सामने व्यक्तिगत उपस्थित होने के निर्देश दिए गए थे ।
प्रक्रिया: जेल से जमानत तक का सफर
- 6 अगस्त 2025 की सुनवाई में राहुल गांधी ने सज्जनपूर्वक कोर्ट में पेशी की। उन्होंने स्वयं कोर्ट में हाजिरी लगाई यानी रिटायरमेंट से बचने की कोशिश नहीं की।
- उनकी जमानत याचिका अदालत ने मंजूर की, जिससे उन्हें तत्काल रिलीज कर दिया गया। अदालत ने इसके लिए व्यक्तिगत बांड पर भरोसा जताया, हालांकि बांड की राशि के विवरण की पुष्टि अभी media पर उपलब्ध नहीं है, पर अन्य मामलों की तरह 20‑25 हजार रुपये के बांड निर्गत किए जा सकते हैं।

राहुल गांधी, इससे पहले लखनऊ की MP‑MLA कोर्ट में 2022 में भारतीय सेना को लेकर कथित टिप्पणियों के लिए भी जमानत पर थे। उस मामले में उन्हें 15 जुलाई 2025 को बैल मिला था—जब Additional Chief Judicial Magistrate अलोक वर्मा की अदालत ने दो ₹20,000₹20,000₹20,000 की व्यक्तिगत जमानती बांड दो गारंटी पर मंजूर की थी। अगली सुनवाई 13 अगस्त 2025 के लिए तय की गयी थी ।
- उस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई पर स्टे ऑर्डर जारी किया, जबकि उसने टिप्पणी को उचित मंच (जनहित में?) न होने पर आलोचना की और कहा कि “true Indian wouldn’t say so” (एक सच्चा भारतीय ऐसा बयान नहीं देगा) ।
वर्तमान स्थिति और संभावनाएँ
- इस 2018 के मामले में फिलहाल अब राहुल गांधी जमानत पर हैं। अगले चरण की सुनवाई की तारीख अब संभवतः निचली अदालत द्वारा निर्धारित की जाएगी—संभवत: अगस्त 8, जैसा कोर्ट ने पहले तय किया था पर एक बार फिर adjourn हुआ था।
- इस पूरे विवाद में, कांग्रेस इसे राजनीतिक साजिश करार देती आई है, जबकि BJP आरोप लगाती रही है कि राहुल गांधी कानूनी प्रक्रिया को टाल रहे थे । आज जब उन्हें कोर्ट में आत्मसमर्पण कर पेशी लगाई और जमानत मिली, तब यह BJP के दावों को चुनौती दे रहा है।
निष्कर्ष – राजनीतिक और न्यायिक मायने
- यह मामला भारतीय राजनीति में कानूनी विवादों और भाषण‑स्वतंत्रता की संवेदनशील सीमाओं का प्रतीक है। राजनीतिक टिप्पणियाँ और कोर्ट की प्रतिक्रिया दोनों ही लोकतंत्र के दायरे में महत्वपूर्ण हैं।
- राहुल गांधी की पेशी और जमानत, विशेषकर तब जब सांसद “Leadership of Opposition” के रूप में सार्वजनिक रूप से व्यस्त थे, यह संदेश देती है कि वे अदालतों के आदेशों का सम्मान करना चाहते हैं।
- इसी तरह की टिप्पणियों और मुकदमों के सिलसिले ने सुप्रीम कोर्ट को राजनीतिक संवाद को संसद जैसे उचित मंचों तक सीमित करने की बात कही थी, जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि सार्वजनिक बयान देने की जिम्मेदारी और मंच का चुनाव कितना महत्वपूर्ण है ।
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