बलिया में बने नए पुल को आधी रात में ही उद्घाटन कर दिया गया, जिसे लेकर बवाल मच गया। बताया जा रहा है कि इस पुल का ना तो हैंडओवर हुआ था, ना क्लियरेंस मिला था और ना ही टेस्टिंग हुई थी।
उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में बने एक नए पुल के आधी रात में हुए गुपचुप उद्घाटन ने प्रशासनिक और राजनीतिक हलकों में खलबली मचा दी है। बिना किसी आधिकारिक सूचना, क्लियरेंस या सेफ्टी टेस्टिंग के एक स्थानीय जनप्रतिनिधि द्वारा पुल का फीता काटे जाने की घटना पर अब सवालों की बौछार हो रही है।

जिस पुल का उद्घाटन हुआ, वह बलिया के रेवती और बेलहरी क्षेत्र को जोड़ता है और पिछले दो सालों से निर्माणाधीन था। इसे जनता के लिए बेहद जरूरी बताया जा रहा था, लेकिन बिना निर्धारित प्रक्रिया पूरी किए इसे रात के अंधेरे में शुरू कर देना कई संदेहों को जन्म दे रहा है।
क्या है पूरा मामला?
5 अगस्त की देर रात लगभग 11:45 बजे, कुछ स्थानीय नेताओं और ठेकेदारों की मौजूदगी में पुल का उद्घाटन कर दिया गया। इस कार्यक्रम की न तो स्थानीय प्रशासन को कोई जानकारी थी, न ही लोक निर्माण विभाग (PWD) या संबंधित मंत्री को इसकी सूचना दी गई।

स्थानीय लोगों का कहना है कि बिना किसी पूर्व सूचना के कुछ गाड़ियाँ आईं, नेताओं ने फीता काटा और कुछ फोटो खिंचवा कर चले गए। यह सब आधे घंटे के भीतर हो गया।
सूत्रों के अनुसार, यह उद्घाटन निर्माण कार्य से जुड़े ठेकेदार और कुछ क्षेत्रीय नेताओं की मिलीभगत से किया गया, ताकि पुल के काम में हुई देरी और गुणवत्ता पर उठने वाले सवालों से बचा जा सके।
ना हुआ हैंडओवर, ना क्लियरेंस
पीडब्ल्यूडी के एक वरिष्ठ इंजीनियर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि:
“पुल का अंतिम निरीक्षण बाकी है। सेफ्टी टेस्टिंग, लोड टेस्ट और विभागीय क्लियरेंस की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। पुल अभी हमारे अधिकार में भी नहीं सौंपा गया है। यह पूरी तरह से गैरकानूनी उद्घाटन है।”
लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद ने मीडिया से बात करते हुए नाराजगी जताई:
“यह पूरी प्रक्रिया नियमों के विरुद्ध है। हमें इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई थी। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप
इस घटना के बाद राजनीतिक घमासान भी तेज हो गया है।
कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने राज्य सरकार पर हमला करते हुए कहा कि
“यह कानून का मजाक है। जब सुरक्षा और गुणवत्ता की जांच नहीं हुई, तब इस पुल को जनता के लिए खोलना लोगों की जान के साथ खिलवाड़ है।”
वहीं, स्थानीय बीजेपी विधायक, जिन पर यह उद्घाटन कराने का आरोप है, ने कहा:
“लोगों की वर्षों से चली आ रही मांग को देखते हुए हमने यह पहल की। विभागीय प्रक्रियाएं चलती रहेंगी, लेकिन जनता को राहत मिलनी चाहिए।”
जनता में चिंता और नाराजगी
हालांकि कुछ लोग पुल खुलने से राहत महसूस कर रहे हैं, लेकिन बड़ी संख्या में नागरिक इसे “जान जोखिम में डालने वाला कदम” बता रहे हैं।
स्थानीय निवासी रमेश यादव ने कहा:
“बिना जांच के पुल चालू करना खतरनाक है। क्या होगा अगर कल हादसा हो गया?”
एक अन्य महिला शिक्षिका ने कहा:
“बच्चे रोज इस पुल से स्कूल जाएंगे। हमें डर है कि कहीं यह पुल कमजोर न हो।”
आगे की कार्रवाई
मामले की गंभीरता को देखते हुए अब जांच कमेटी गठित कर दी गई है। पीडब्ल्यूडी, जिला प्रशासन और तकनीकी विशेषज्ञों की टीम यह पता लगाएगी कि:
- उद्घाटन किसके आदेश पर हुआ?
- पुल की स्थिति क्या है?
- क्या सुरक्षा मानकों का पालन हुआ?
अगर पुल को बिना टेस्टिंग चालू किया गया है, तो आईपीसी और भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत संबंधित लोगों पर केस दर्ज हो सकता है।
निष्कर्ष
बलिया में आधी रात को हुआ पुल का उद्घाटन एक गंभीर प्रशासनिक लापरवाही का उदाहरण बन गया है। इस घटना ने सिस्टम में पारदर्शिता, सुरक्षा और जवाबदेही की पोल खोल दी है। अब सभी की निगाहें इस जांच पर टिकी हैं कि दोषियों पर क्या कार्रवाई होती है और क्या भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सकेगा।
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