योगी आदित्यनाथ सरकार ने विधानसभा में श्री बांके बिहारी मंदिर न्यास गठन हेतु विधेयक पेश कर दिया है। न्यास का गठन स्वामी हरिदास की परंपरा के अनुसार मंदिर के रीति-रिवाज के आधार पर किया गया है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने बुधवार, 13 अगस्त 2025 को विधानसभा के मानसून सत्र में श्री बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट विधेयक, 2025 (Banke Bihari Trust Bill 2025) ध्वनि मत से पारित कर दिया। यह कानून—जिसका उद्देश्य मंदिर के प्रशासन, वित्तीय-प्रबंधन तथा धार्मिक परंपराओं को सुव्यवस्थित रूप से संरक्षित करना है—अभी कोर्ट की रोक के चलते लागू नहीं हुआ है।
प्रशासनिक नियंत्रण

ट्रस्ट निम्नलिखित प्रशासनिक जिम्मेदारियाँ संभालेगा:
- दर्शन का समय निर्धारित करना
- पुजारियों की नियुक्ति, उनके वेतन और भत्तों का निर्धारण
- मंदिर की सुरक्षा, दर्शन व्यवस्था और संपूर्ण प्रबंधन
- श्रद्धालुओं को सुविधा देने वाली व्यवस्थाएँ जैसे प्रसाद वितरण, विशेष दर्शन मार्ग (वरिष्ठ नागरिक/दिव्यांग), पेयजल, कतार प्रबंधन कियोस्क, मैदान, गौशाला, अन्नक्षेत्र, रसोई, सराय, भोजनालय, प्रतीक्षालय आदियाँ।
आर्थिक एवं संचालन संबंधी प्रावधान
- न्यास ₹20 लाख तक की चल या अचल संपत्ति स्वयं खरीद सकता है; इससे अधिक खरीद के लिए सरकार की अनुमति अनिवार्य होगी।
- न्यास की बैठक हर तीन महीने में अनिवार्य होगी, और 15 दिनों पहले नोटिस देना आवश्यक होगा। सदस्यों को सद्भाव से किया गया कार्य के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराया जाएगा।
- ट्रस्ट के संचालन के लिए सीईओ एडीएम स्तर के अधिकारी होंगे।
संपत्तियों पर किसका अधिकार?
विधेयक स्पष्ट करता है कि मंदिर के चढ़ावे, दान और सभी चल-अचल संपत्तियों पर न्यास का अधिकार होगा। इसमें मंदिर में स्थापित मूर्तियां, मंदिर परिसर और प्रसीमा के भीतर देवताओं के लिए दी गई भेंट/उपहार, किसी भी पूजा-सेवा-कर्मकांड-समारोह-धार्मिक अनुष्ठान के समर्थन में दी गई संपत्ति, नकद या वस्तु रूपी अर्पण, तथा मंदिर परिसर के उपयोग के लिए डाक/तार से भेजे गए बैंक ड्राफ्ट और चेक तक शामिल हैं। मंदिर की संपत्तियों में आभूषण, अनुदान, योगदान, हुंडी संग्रह सहित श्री बांके बिहारी जी मंदिर की सभी चल एवं अचल संपत्तियां सम्मिलित मानी जाएंगी।
क्यों किया गया न्यास का गठन?
सरकार ने कहा है कि न्यास का गठन स्वामी हरिदास की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए किया गया है। स्वामी हरिदास के समय से चली आ रही रीति-रिवाज, त्योहार, समारोह और अनुष्ठान बिना किसी हस्तक्षेप या परिवर्तन के जारी रहेंगे। न्यास दर्शन का समय तय करेगा, पुजारियों की नियुक्ति करेगा और वेतन, भत्ते/प्रतिकर निर्धारित करेगा. साथ ही भक्तों और आगंतुकों की सुरक्षा तथा मंदिर के प्रभावी प्रशासन और प्रबंधन की जिम्मेदारी भी न्यास पर होगी।
धार्मिक परंपराओं की रक्षा
सरकार ने स्पष्ट किया है कि स्वामी हरिदास जी की परंपराओं, पूजा- रीति, त्योहार और अनुष्ठान में कोई बदलाव नहीं होगा। धर्म-संबंधी अधिकार सुरक्षित रखे जाएंगे, और ट्रस्ट का मुख्य उद्देश्य इन्हीं को मजबूत बनाना एवं श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं प्रदान करना है।
चर्चाएँ, विरोधाभास और कानूनी स्थिति
- सुप्रीम कोर्ट द्वारा अध्यादेश पर रोक लगाई गई है और कोर्ट ने ट्रस्ट विधेयक को अस्थायी रूप से लागू नहीं करने का निर्देश दिया है।
- इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी सुनवाई निर्धारित है—अगस्त 26, 2025 को अगली सुनवाई है, जहां संविधान के आर्टिकल 25 (धर्म की स्वतंत्रता) और अन्य धार्मिक अधिकारों के उल्लंघन के दावे पर चर्चा होगी।
- कुछ गोस्वामी परिवार और स्थानीय पुजारी इसका विरोध कर रहे हैं, उनका कहना है कि सरकार पूजा- सेवायतों से परंपरागत अधिकार छीनने की कोशिश कर रही है।
निष्कर्ष
यह विधेयक एक प्रशासनिक प्रयास है, जो मंदिर के चढ़ावे, संपत्ति और प्रशासन पर एक आधिकारिक न्यासन के माध्यम से संस्थागत नियंत्रण सुनिश्चित करता है। हालांकि, धार्मिक परंपराओं का संरक्षण इसकी पहली प्राथमिकता बनी हुई है। इस कदम को भक्त-केन्द्रित सुविधाओं और संगठनात्मक सुधार के रूप में पेश किया जा रहा है, लेकिन न्यायालयीन रोक अभी भी इसे लागू करने की राह में सबसे बड़ा अवरोध है।