सपा नेता शिवपाल यादव ने पार्टी से निष्कासित की गई विधायक पूजा पाल पर जमकर निशाना साधा और कहा कि वह आने वाले समय में अब कभी भी चुनाव नहीं जीत पाएंगी।
15 अगस्त 2025 को, स्वतंत्रता दिवस की पृष्ठभूमि में इटावा में वरिष्ठ सपा नेता शिवपाल सिंह यादव ने पार्टी से निष्कासित विधायक पूजा पाल पर आग उगला। उन्होंने कहा कि अब पूजा पाल कभी विधायक नहीं बन पाएंगी और उनका राजनीतिक भविष्य बीजेपी उप-सीएम केशव प्रसाद मौर्य जैसा होगा। केशव प्रसाद मौर्य को 2022 में उनकी विधानसभा सीट से चुनाव हारने के संदर्भ में शिवपाल ने यह संदर्भ दिया, जो एक तंज और भविष्यवाणी दोनों था।

उन्होंने आगे आरोप लगाया कि पूजा पाल को सपा में अनुशासन का पालन करना चाहिए था, लेकिन विफल रहने के कारण उनका राजनीतिक पतन सजा की तरह होगा। शिवपाल ने साथ ही भाजपा सरकार पर भी तीखा हमला किया, जिसमें उन्होंने कहा कि पिछले आठ सालों में एक भी वादा पूरा नहीं हुआ, किसानों की स्थिति खराब रही, बिजली और बेरोज़गारी समस्याएँ पलीं, और सरकार सिर्फ चार दिन के विधानसभा सत्रों में मौजूदा नीरस भाषणों से काम चला रही है।

पूजा पाल का निष्कासन
पूजा पाल, जो सपा विधायक थीं और न्यायार्थ संघर्ष में एक पहचान बन चुकी थीं, ने 14–15 अगस्त 2025 के विधानसभा सत्र में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ‘ज़ीरो-टॉलरेंस’ नीतियों की तारीफ़ की, विशेषकर उस समय जब उनके पति राजू पाल की हत्या के आरोपियों में से एक, गैंगस्टर-राजनेता अतीक अहमद, पुलिस गिरफ्त में रहते हुए मारा गया।
इसके कुछ ही घंटों बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पूजा पाल को “अराजीन कार्रवाई और अनुशासनहीनता” के आरोप में पार्टी से निष्कासित कर दिया। साथ ही उन्हें पार्टी के किसी भी कार्यक्रम या बैठक में भाग लेने से रोका गया।
बीजेपी का जवाब: पूजा पाल की “आवाज़” को समर्थन
भाजपा ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और पूजा पाल के बयान को “पीछड़े-दलित-अल्पसंख्यक (PDA)” समूह से जुड़े नेताओं द्वारा रोका जाना बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि पूजा पाल की निष्कासन के साथ, सपा का असली चेहरा—यानी दलितों और पिछड़े वर्गों के खिलाफ—उभर कर सामने आया है।
टिप्पणी देते हुए भाजपा नेताओं ने भाजपा सरकार की “कानून का राज” स्थापित करने की क्षमता की तारीफ़ की और कहा कि अपराधियों को दंडित किया गया, जिससे पीड़ितों को न्याय मिला। ब्रजेश पाठक ने भी कहा कि उनका निष्कासन सपा की “महिला-विरोधी मानसिकता” का प्रमाण है।
राजनीतिक विश्लेषण: दल और परिवारवाद
पूजा पाल और शिवपाल यादव—दोनों के बयानों में गहरी राजनीतिक अंतर्दृष्टि है:
- शिवपाल यादव का बयान: पार्टी छोड़ने के बाद पूजा पाल को “केशव प्रसाद मौर्य बनना” बताकर भविष्य के लिए चेतावनी दी, उनका राजनीतिक पतन संभवतः तय है—इसमें परिवारवाद और अनुशासन पर हमला झलका।
- पूजा पाल की प्रतिक्रिया: उन्होंने निर्दोषों की लड़ाई लड़ते हुए न्याय पाने का संदर्भ देते हुए कहा कि जब कुछ सही होता है, उसे सही कहना जरूरी है—जो सपा की शाब्दिक लाइन-अनुगामी सोच को तोड़ता है।
- भाजपा की प्रतिक्रिया: भाजपा ने इसे सपा का PDA (यानी पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक) के प्रति अवहेलना मानते हुए पूजा पाल को “वह आवाज़ जो पीड़ितों की” है, कहकर अपने कानून-व्यवस्था व दक्षिण-पक्ष की छवि को प्रमोट किया।