“बिहार चुनाव 2025: राजपुर में जेडीयू की वापसी या कांग्रेस की सीट बचाने की जंग”!

राजपुर विधानसभा क्षेत्र में भी चुनावी माहौल गरम है। इस सीट पर कांग्रेस और जेडीयू के बीच आमतौर पर कड़ी टक्कर देखी जाती है।

राजपुर विधानसभा क्षेत्र (आरक्षित – अनुसूचित जाति) बक्सर जिले के अंतर्गत आता है और यह बक्सर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के विश्वनाथ राम ने जेडीयू के संतोष कुमार निराला को लगभग 21,204 वोटों की भारी बढ़त से हराया था।

"बिहार चुनाव 2025: राजपुर में जेडीयू की वापसी या कांग्रेस की सीट बचाने की जंग"!
“बिहार चुनाव 2025: राजपुर में जेडीयू की वापसी या कांग्रेस की सीट बचाने की जंग”!

विश्वनाथ राम 2020 में विजयी रहे, जबकि निराला बीते दो चुनावों (2010 और 2015) में लगातार दो बार चुनाव जीत चुके थे—2015 में एक बार फिर भारी मतों से । इस प्रकार राजपुर क्षेत्र पर जेडीयू और कांग्रेस दोनों की राजनीतिक छवि मजबूत है, जिससे यह क्षेत्र जानबूझकर चुनावी दौर का एक प्रमुख संघर्ष स्थल बन जाता है।

राजपुर सीट का चुनावी इतिहास

राजपुर (SC) सीट मौजूदा समय में कांग्रेस के पास है। साल 2020 में यह निर्वाचन क्षेत्र कांग्रेस ने जीता था। कांग्रेस के विश्वनाथ राम ने जनता दल (यूनाइटेड) के संतोष कुमार निराला को 21204 मतों के अंतर से हराकर यह सीट जीती थी।

साल 2015 में यह सीट जेडीयू के टिकट पर संतोष कुमार निराला ने जीती थी। उस समय बीजेपी के टिकट पर विश्वनाथ राम लड़े थे लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। वह दूसरे स्थान पर थे। 2010 में भी यह सीट जेडीयू के खाते में गई थी। जेडीयू के संतोष कुमार निराला ने एलजेपी के छेदी राम को 10 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। वहीं, 2005 में भी यह सीट जेडीयू ने जीती थी। साल 2000 में राजपुर सीट बसपा जीत गई थी। वहीं, 1995 में यह सीट सीपीआई ने जीत थी। 

जेडीयू की वापसी की संभावना

जेडीयू की वापसी की संभावना
जेडीयू की वापसी की संभावना

जेडीयू के संतोष कुमार निराला, पूर्व MLA और बक्सर-राजपुर के भरोसेमंद नेता, अपने राजनीतिक करियर की लंबी पैठ के साथ फिर मैदान में उतरे हैं। उन्होंने पिछले दो चुनावों (2010 और 2015) में जीत हासिल की थी और मंत्री के रूप में भी कार्यरत रहे। उनकी वापसी से जेडीयू की वहां मजबूत पकड़ बरकरार रहने की उम्मीद है, ख़ासतौर पर यदि पार्टी अपना वोट बैंक जुटा पाए।

विपक्षी महागठबंधन—पूर्व में RJD और कांग्रेस—के बीच सीटों का बंटवारा और गठबंधन संबंधी रणनीतियाँ भी निर्णायक हो सकती हैं

कांग्रेस: क्या डिजिटला पकड़ बनाए रख पाएगी?

विश्वनाथ राम, जो 2020 में एक मजबूत जीत में विजयी हुए, कांग्रेस की कॉर्नर स्टोन बन चुके हैं । 2025 में उनकी स्थिरता इस बात पर निर्भर करेगी कि क्या महागठबंधन (INDIA ब्लॉक) में तालमेल बना रहेगा। यदि वहीं टूट हुआ, तो कांग्रेस अकेले संघर्ष करेगी, जिसमें RJD की तुलना में उसे मुश्किलें हो सकती हैं।

रणनीतिक मार्जिन और मतदाता संरचना

राजपुर क्षेत्र ग्रामीण, जमीनी आधार वाला और विशेषकर SC समुदाय से संबंधित है—जहाँ जनगणना (2011) के अनुसार आबादी और साक्षरता दर दोनों ग्रामीण और मध्यम श्रेणी के हैं । पिछले चुनावों में जीत का मार्जिन भी काफी स्पष्ट रहा है—2015 में निराला की जीत लगभग 32,788 वोटों की बढ़त से थी, जबकि 2020 में कांग्रेस ने 21,204 वोट से पलटन मारा ।

इसका मतलब है कि मतदाताओं का झुकाव इस क्षेत्र में कभी भी एक पक्ष से दूसरे की ओर बदल सकता है—यह चुनाव अधिकतर प्रशासनिक सफलता, स्थानीय नीति, और संघीय गठबंधन की राजनीतिक स्थिरता पर निर्भर रहेगा।

कौन पलड़ा भारी रहेगा?

  • जेडीयू (संतोष कुमार निराला): पार्टी की स्थापित नीचे से उठी पहचान, संगठनात्मक ताकत और पिछला रिकॉर्ड—अगर गठबंधन प्रभावी रहा तो वापसी संभव है।
  • कांग्रेस (विश्वनाथ राम): पिछले चुनाव में बरकरार विजय ने मजबूत संकेत दिए; लेकिन गठबंधन टूटने की स्थिति में स्वतंत्र रूप से खड़े होने में चुनौती होगी।

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