दिल्ली में जन्माष्टमी की सुरक्षा व्यवस्था में चूक को लेकर 8 पुलिसकर्मी सस्पेंड किए गए हैं और कई के खिलाफ जांच के आदेश जारी किए गए हैं। इस कार्रवाई से दिल्ली पुलिस में हड़कंप मच गया है।
दिल्ली में जन्माष्टमी पर्व के दौरान सुरक्षा व्यवस्था में हुई चूक को लेकर दिल्ली पुलिस पर सवाल खड़े हो गए हैं। राजधानी में लाखों की संख्या में श्रद्धालु मंदिरों और पंडालों में पहुंचे थे, ऐसे में सुरक्षा इंतज़ामों की कसौटी पर लापरवाही साफ नज़र आई। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई की है।
जानकारी के अनुसार, 8 पुलिसकर्मियों को निलंबित (सस्पेंड) कर दिया गया है, जबकि कई अन्य के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश जारी किए गए हैं। इस कार्रवाई से दिल्ली पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है।

क्या था मामला?
जन्माष्टमी के मौके पर राजधानी के प्रमुख मंदिरों – इस्कॉन, झंडेवालान, कालकाजी और द्वारका जैसे इलाकों में भारी भीड़ उमड़ी। श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने और सुरक्षा व्यवस्था संभालने के लिए पुलिस की तैनाती की गई थी। बावजूद इसके, कई जगहों पर अव्यवस्था फैल गई।
कुछ इलाकों में श्रद्धालुओं को घंटों जाम में फंसा रहना पड़ा। वहीं, सुरक्षा घेराबंदी और भीड़ नियंत्रण में हुई लापरवाही के चलते भगदड़ जैसे हालात बनने की खबरें भी सामने आईं। हालांकि कोई बड़ी अनहोनी नहीं हुई, लेकिन सुरक्षा चूक का मामला तुरंत उच्च अधिकारियों के संज्ञान में आया।
तत्काल जांच और कार्रवाई
जैसे ही लापरवाही की रिपोर्ट सामने आई, दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने सख्ती दिखाते हुए संबंधित अधिकारियों से विस्तृत रिपोर्ट तलब की। प्रारंभिक जांच में यह पाया गया कि कुछ पुलिसकर्मी ड्यूटी के दौरान लापरवाह पाए गए। कई अपने निर्धारित प्वाइंट पर मौजूद नहीं थे और भीड़ नियंत्रण की उचित तैयारी नहीं की गई थी।

इसके बाद शीर्ष स्तर पर बैठक हुई और दोषी पाए गए 8 पुलिसकर्मियों को तुरंत निलंबित कर दिया गया। साथ ही, कई अन्य पुलिस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं।
पुलिस महकमे में हड़कंप
इस कार्रवाई से दिल्ली पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है। आमतौर पर धार्मिक आयोजनों पर पुलिस पर विशेष जिम्मेदारी होती है, क्योंकि जरा सी चूक बड़े हादसे का कारण बन सकती है। निलंबन की कार्रवाई यह संकेत देती है कि शीर्ष नेतृत्व अब किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है।
अधिकारियों की सफाई
पुलिस के कुछ अधिकारियों ने यह दलील दी है कि इस बार जन्माष्टमी पर भीड़ का दबाव उम्मीद से कहीं अधिक था। कई मंदिरों और पंडालों में अनुमान से दोगुने लोग पहुंच गए, जिससे हालात नियंत्रण से बाहर होने लगे। हालांकि, वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा के लिए contingency plans पहले से तैयार होने चाहिए थे, इसलिए बहाना स्वीकार्य नहीं है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
इस मामले पर राजनीतिक हलकों में भी चर्चा शुरू हो गई है। विपक्षी दलों ने दिल्ली पुलिस पर आरोप लगाया कि राजधानी जैसे संवेदनशील शहर में अगर जन्माष्टमी जैसे बड़े त्योहार पर सुरक्षा इंतज़ाम ढीले पड़ सकते हैं, तो आम जनता की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। वहीं, कुछ नेताओं ने पुलिस प्रशासन की त्वरित कार्रवाई की सराहना भी की और कहा कि जवाबदेही तय होना लोकतंत्र और सुरक्षा व्यवस्था के लिए ज़रूरी है।
जनता की नाराज़गी
श्रद्धालुओं और स्थानीय निवासियों ने भीड़ प्रबंधन की कमी पर नाराज़गी जताई। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर वीडियो और तस्वीरें साझा कर पुलिस की तैयारियों पर सवाल उठाए। लोगों का कहना था कि ट्रैफिक पुलिस और लोकल पुलिस के बीच समन्वय की कमी साफ दिखाई दी, जिसके चलते जाम और अव्यवस्था का सामना करना पड़ा।
आगे क्या?
दिल्ली पुलिस ने घोषणा की है कि विभागीय जांच पूरी होने तक और भी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जा सकती है। साथ ही, भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए विशेष मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार की जाएगी। इसके तहत धार्मिक आयोजनों और त्योहारों के दौरान भीड़ प्रबंधन, ट्रैफिक कंट्रोल और सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत बनाने की योजना है।
निष्कर्ष
जन्माष्टमी पर्व पर हुई सुरक्षा चूक ने एक बार फिर दिखा दिया कि बड़े आयोजनों में पुलिस और प्रशासन को और अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है। भले ही कोई बड़ी दुर्घटना नहीं हुई, लेकिन इस घटना ने प्रशासनिक लापरवाही को उजागर कर दिया। 8 पुलिसकर्मियों का निलंबन और जांच के आदेश यह संकेत हैं कि जिम्मेदारी तय होगी और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। अब देखना यह होगा कि आगे इस मामले में और किस पर गाज गिरती है और क्या वाकई भविष्य में राजधानी में सुरक्षा व्यवस्था बेहतर हो पाती है।
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