गणेश चतुर्थी 27 अगस्त से आरंभ: पहले दिन क्या करें और किन बातों से बचें !

गणेश चतुर्थी का पर्व भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में बसे भारतीय समुदायों के लिए आस्था और उल्लास का विशेष अवसर होता है। इस वर्ष गणेश चतुर्थी का शुभारंभ 27 अगस्त से हो रहा है। इसे दस दिनों तक मनाया जाता है और अनंत चतुर्दशी को गणपति विसर्जन के साथ इसका समापन होता है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, बुद्धिदाता और मंगलकर्ता कहा जाता है। मान्यता है कि गणेश चतुर्थी पर पूरे विधि-विधान से गणपति की स्थापना करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है।

गणेश चतुर्थी 27 अगस्त से आरंभ: पहले दिन क्या करें और किन बातों से बचें !
गणेश चतुर्थी 27 अगस्त से आरंभ: पहले दिन क्या करें और किन बातों से बचें !

पर्व का महत्व

गणेश चतुर्थी को खासतौर पर महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और उत्तर भारत के कई राज्यों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इन दिनों गणेशोत्सव केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप भी ले चुका है। घर-घर और सार्वजनिक पंडालों में गणपति बप्पा की स्थापना होती है। भक्तगण ढोल-नगाड़ों के साथ उनका स्वागत करते हैं और दस दिनों तक भक्ति, संगीत, नृत्य और सामूहिक आयोजनों के बीच वातावरण उत्सवमय हो जाता है।

पर्व का महत्व
पर्व का महत्व

धार्मिक मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इसी कारण इस दिन उन्हें विशेष पूजा और अर्चना अर्पित की जाती है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन की गई पूजा अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य प्रदान करती है।

पहले दिन क्या करें?

  1. व्रत और स्नान: गणेश चतुर्थी के दिन प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. गणेश मूर्ति स्थापना: शुभ मुहूर्त में घर या पंडाल में गणपति की प्रतिमा स्थापित करें। प्रतिमा की स्थापना उत्तर-पूर्व दिशा में करना शुभ माना जाता है।
  3. कलश स्थापना: मूर्ति के सामने कलश स्थापित करें और उसमें जल, सुपारी, अक्षत, आम्रपत्र और नारियल रखें।
  4. संकल्प और पूजन: पूजा प्रारंभ करने से पहले संकल्प लें और भगवान गणेश का ध्यान करें।
  5. मंत्र और आरती: गणपति की पूजा में “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का जाप करें और गणेश आरती गाएं।
  6. भोग अर्पण: गणेश जी को मोदक, लड्डू, दूर्वा और लाल फूल अर्पित करें। मान्यता है कि मोदक उनका प्रिय भोग है।
  7. प्रणाम और आशीर्वाद: परिवार के सभी सदस्य गणपति से आशीर्वाद लें और पूरे दिन सकारात्मक वातावरण बनाए रखें।

क्या नहीं करें?

  1. तुलसी पत्र का प्रयोग न करें: गणेश पूजा में तुलसी पत्र का प्रयोग वर्जित है।
  2. नकारात्मक बातें न करें: इस दिन किसी से झगड़ा या कटु वचन नहीं बोलना चाहिए।
  3. भोजन में मांसाहार और शराब: इनसे परहेज करें क्योंकि यह अपवित्रता मानी जाती है।
  4. मूर्ति की स्थापना में लापरवाही न करें: गणपति की प्रतिमा को कभी भी सीधे जमीन पर नहीं रखना चाहिए। उन्हें किसी चौकी या पाट पर स्थापित करना चाहिए।
  5. भूल से भी अनादर न करें: गणपति की पूजा करते समय अधूरी पूजा या जल्दबाजी से बचें।

वैज्ञानिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण

गणेश उत्सव का आयोजन सामूहिकता और समाज में एकजुटता का प्रतीक है। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने इसे स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान सामाजिक एकता और जागरूकता का माध्यम बनाया था। इसके अलावा, पर्यावरण के दृष्टिकोण से आजकल मिट्टी की मूर्तियों और प्राकृतिक सजावट को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि जल प्रदूषण से बचा जा सके।

निष्कर्ष

गणेश चतुर्थी केवल धार्मिक उत्सव नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति की गहराई और एकता का प्रतीक है। 27 अगस्त से शुरू हो रहे इस पर्व में भक्तजन भगवान गणेश की पूजा-अर्चना कर अपने जीवन में नई ऊर्जा, सफलता और खुशहाली की कामना करेंगे। पहले दिन का सही आचरण और नियमों का पालन करने से गणपति बप्पा की कृपा सहज ही प्राप्त होती है।

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