बी. सुदर्शन रेड्डी होंगे INDIA ब्लॉक के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार”
लोकसभा चुनाव 2024 के बाद देश की राजनीति का अगला बड़ा पड़ाव उपराष्ट्रपति चुनाव है। इस बार विपक्षी गठबंधन INDIA ब्लॉक ने एक ऐसा चेहरा मैदान में उतारा है, जो राजनीति से सीधे तौर पर नहीं जुड़े रहे, लेकिन न्यायपालिका में अपनी निष्पक्षता और प्रगतिशील फैसलों के लिए पहचाने जाते हैं। विपक्ष ने पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज बी. सुदर्शन रेड्डी को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है। इस घोषणा के बाद सियासी हलकों में हलचल तेज हो गई है।

कौन हैं बी. सुदर्शन रेड्डी?
बी. सुदर्शन रेड्डी का जन्म 1948 में तेलंगाना (तत्कालीन आंध्र प्रदेश) के एक छोटे से गांव में हुआ। उन्होंने हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया और उसके बाद क़ानून की पढ़ाई की। कानून में पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने वकालत शुरू की और जल्द ही आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में एक नामी वकील के तौर पर अपनी पहचान बनाई।

1988 में उन्हें आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट का जज नियुक्त किया गया। बाद में 2007 में वे सुप्रीम कोर्ट के जज बने और 2011 तक इस पद पर रहे। सुप्रीम कोर्ट में रहते हुए उन्होंने कई अहम फैसले सुनाए, जिनमें पारदर्शिता, पर्यावरण संरक्षण और नागरिक अधिकारों से जुड़े मुद्दे खास तौर पर शामिल रहे। वे अपने स्पष्ट और ईमानदार रुख के लिए जाने जाते हैं।
विपक्ष की रणनीति
INDIA ब्लॉक ने बी. सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाकर यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह राजनीति से ऊपर उठकर एक निष्पक्ष और मर्यादित चेहरा देश के सामने लाना चाहता है। विपक्ष के नेताओं का कहना है कि उपराष्ट्रपति का पद सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि संवैधानिक गरिमा से जुड़ा हुआ है, इसलिए उनका उम्मीदवार भी ऐसा होना चाहिए जिसे हर वर्ग में सम्मान मिले।
चुनाव की घोषणा के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, एनसीपी प्रमुख शरद पवार और टीएमसी की नेता ममता बनर्जी ने संयुक्त बयान जारी किया। इसमें कहा गया कि बी. सुदर्शन रेड्डी एक प्रगतिशील न्यायविद हैं और उनका अनुभव भारतीय लोकतंत्र की मजबूती में अहम योगदान देगा।
उनके प्रमुख फैसले
सुप्रीम कोर्ट में रहते हुए बी. सुदर्शन रेड्डी ने कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा बने। उन्होंने खनन माफियाओं पर सख्त टिप्पणी की और अवैध खनन के खिलाफ कड़े आदेश दिए। इसके अलावा, स्वास्थ्य और शिक्षा से जुड़े मामलों में भी उनके विचार हमेशा जनहितकारी रहे। वे न्यायपालिका की स्वतंत्रता के प्रबल समर्थक माने जाते हैं।
राजनीतिक समीकरण
हालांकि उपराष्ट्रपति चुनाव में संख्या बल के लिहाज से NDA मजबूत स्थिति में दिखाई दे रहा है, क्योंकि संसद में उनकी संख्यात्मक बढ़त साफ है। लेकिन विपक्ष ने इस चुनाव को वैचारिक लड़ाई के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। बी. सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाने से विपक्ष यह जताना चाहता है कि उसके लिए यह चुनाव सिर्फ सत्ता की होड़ नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक संस्थाओं की मर्यादा की रक्षा का प्रतीक है।
क्या होगी चुनौतियां?
बी. सुदर्शन रेड्डी के सामने सबसे बड़ी चुनौती है NDA के उम्मीदवार का संख्या बल। उपराष्ट्रपति का चुनाव सांसदों द्वारा किया जाता है और इस समय NDA को बहुमत हासिल है। हालांकि विपक्ष मानता है कि इस चुनाव के नतीजे से ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि देश के सामने एक ईमानदार और निष्पक्ष उम्मीदवार खड़ा किया जाए।
जनता और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर भी बी. सुदर्शन रेड्डी का नाम सामने आते ही चर्चा शुरू हो गई। कई लोगों ने विपक्ष के इस फैसले को सराहनीय बताया और कहा कि यह राजनीति से हटकर एक स्वच्छ छवि वाले व्यक्ति को आगे लाने का कदम है। वहीं कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि उनकी उम्मीदवारी विपक्ष के लिए नैतिक आधार मजबूत कर सकती है, भले ही संख्याबल में उन्हें फायदा न मिले।
निष्कर्ष
बी. सुदर्शन रेड्डी का नाम विपक्ष के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में सामने आना भारतीय राजनीति में एक अहम संदेश देता है। यह संदेश है कि राजनीति में भी ऐसे चेहरों को जगह दी जा सकती है जो न्यायपालिका, संविधान और लोकतंत्र के मूल्यों से सीधे जुड़े रहे हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि यह चुनावी मुकाबला किस दिशा में जाता है, लेकिन इतना तय है कि बी. सुदर्शन रेड्डी की उम्मीदवारी ने इस चुनाव को और भी चर्चा का विषय बना दिया है।