SCO समिट में PM मोदी की भागीदारी, चीन दौरे पर जाएंगे NSA डोभाल !

चीनी विदेश मंत्री के साथ बैठक में अजीत डोभाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए जल्द ही चीन का दौरा करेंगे।

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का शिखर सम्मेलन इस बार भारत और चीन दोनों देशों के लिए काफ़ी अहम माना जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसमें भारत का नेतृत्व करेंगे, जबकि दूसरी ओर भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने संकेत दिए हैं कि वे आने वाले दिनों में चीन का दौरा करेंगे। हाल ही में डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई बैठक के बाद यह जानकारी सामने आई। इस घटनाक्रम ने एक बार फिर भारत-चीन संबंधों को सुर्खियों में ला दिया है।

SCO समिट में PM मोदी की भागीदारी, चीन दौरे पर जाएंगे NSA डोभाल !
SCO समिट में PM मोदी की भागीदारी, चीन दौरे पर जाएंगे NSA डोभाल !

SCO शिखर सम्मेलन में भारत की भूमिका

SCO, जिसमें रूस, चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान सदस्य हैं, क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद के खिलाफ सहयोग और आर्थिक साझेदारी जैसे मुद्दों पर केंद्रित एक प्रमुख संगठन है। इस बार के शिखर सम्मेलन में आतंकवाद, क्षेत्रीय स्थिरता, ऊर्जा सुरक्षा और कनेक्टिविटी जैसे विषय प्रमुख रहेंगे। प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी भारत की सक्रिय भूमिका को दर्शाती है और यह भी संकेत देती है कि भारत अपने पड़ोसी देशों और मध्य एशियाई देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए तत्पर है।

अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री की मुलाकात

अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री की मुलाकात
अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री की मुलाकात

समिट से इतर हुई मुलाकात में भारत के NSA अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच सीमा विवाद, व्यापार और द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा हुई। जानकारी के मुताबिक, इस बैठक के दौरान डोभाल ने स्पष्ट कहा कि भारत सीमा पर शांति चाहता है, क्योंकि यही दोनों देशों के रिश्तों को सामान्य बनाने की बुनियादी शर्त है। वहीं चीन की ओर से भी संबंध सुधारने की इच्छा जताई गई। इसी क्रम में NSA डोभाल ने कहा कि वे जल्द ही चीन का दौरा करेंगे ताकि उच्चस्तरीय संवाद को आगे बढ़ाया जा सके।

भारत-चीन रिश्तों की पृष्ठभूमि

2017 का डोकलाम विवाद और 2020 की गलवान घाटी की झड़पों के बाद से भारत-चीन संबंधों में तनाव बना हुआ है। दोनों देशों ने कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक बातचीत की है, लेकिन पूर्ण समाधान अभी तक नहीं निकला है। हालांकि व्यापारिक स्तर पर दोनों के बीच लेन-देन में कमी नहीं आई है। ऐसे में डोभाल का चीन दौरा दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली और रिश्तों को पटरी पर लाने का प्रयास माना जा रहा है।

भारत की रणनीतिक प्राथमिकताएं

भारत SCO को केवल सुरक्षा के दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि आर्थिक और ऊर्जा सहयोग के लिए भी अहम मानता है। रूस-यूक्रेन युद्ध और पश्चिमी देशों के बदलते रुख के बीच भारत अपने विकल्प मजबूत करना चाहता है। चीन के साथ संवाद, रूस के साथ ऊर्जा सहयोग और मध्य एशिया के साथ कनेक्टिविटी भारत के लिए दीर्घकालिक रणनीतिक लाभ ला सकते हैं।

समिट से जुड़ी संभावनाएं

PM मोदी की भागीदारी इस बात का संकेत है कि भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सक्रिय उपस्थिति दर्ज कराना चाहता है। SCO में भारत आतंकवाद के मुद्दे को लगातार उठाता रहा है और इस बार भी इसकी संभावना है। वहीं, भारत यह भी स्पष्ट कर सकता है कि क्षेत्रीय सहयोग तभी संभव है जब सभी सदस्य देश परस्पर सम्मान और संप्रभुता के सिद्धांतों का पालन करें।

डोभाल के दौरे से उम्मीदें

डोभाल के दौरे से उम्मीदें
डोभाल के दौरे से उम्मीदें

NSA अजीत डोभाल के चीन दौरे से उम्मीद की जा रही है कि सीमा विवाद को लेकर नए रास्ते निकल सकते हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत-चीन रिश्तों में तनाव कम करना दोनों देशों के लिए लाभकारी होगा, क्योंकि दोनों उभरती अर्थव्यवस्थाएं हैं और क्षेत्रीय स्थिरता उनके लिए जरूरी है। हालांकि, यह भी सच है कि विश्वास की कमी और सीमा पर लगातार विवाद की वजह से यह प्रक्रिया आसान नहीं होगी।

निष्कर्ष

SCO समिट और NSA डोभाल के प्रस्तावित चीन दौरे ने भारत-चीन संबंधों को एक नए मोड़ पर ला खड़ा किया है। जहां एक ओर PM मोदी का शिखर सम्मेलन में शामिल होना भारत की वैश्विक और क्षेत्रीय प्रतिबद्धता को दर्शाता है, वहीं डोभाल का दौरा यह संकेत देता है कि भारत संबंधों में सुधार और संवाद के रास्ते को बंद नहीं करना चाहता। अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में यह पहल कितनी सफल रहती है और क्या इससे सीमा विवाद और अन्य जटिल मुद्दों पर कोई ठोस प्रगति हो पाती है या नहीं।

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