“यूपी में बाढ़ का कहर: 15 जिले डूबे संकट में, पौने 3 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित”

यूपी में बाढ़ का कहर दिखाई दे रहा है और लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कई जगह पूरे-पूरे गांव डूबे हुए हैं। करीब पौने तीन लाख लोग प्रभावित हैं।

उत्तर प्रदेश में लगातार हो रही बारिश और नदियों के उफान ने हालात बेहद गंभीर बना दिए हैं। राज्य के 15 जिले बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं और करीब पौने 3 लाख लोग सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं। कई गांव पानी में डूबे हुए हैं, खेत-खलिहान बर्बाद हो चुके हैं और हजारों परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है। गंगा, घाघरा, शारदा और राप्ती जैसी नदियाँ खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, जिसके कारण प्रशासन अलर्ट पर है।

"यूपी में बाढ़ का कहर: 15 जिले डूबे संकट में, पौने 3 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित"
“यूपी में बाढ़ का कहर: 15 जिले डूबे संकट में, पौने 3 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित”

हालात बेहद नाजुक

मौसम विभाग के अनुसार पिछले हफ्ते से लगातार हो रही बारिश ने गंगा और उसकी सहायक नदियों में जलस्तर बढ़ा दिया है। लखीमपुर खीरी, गोंडा, बहराइच, बलरामपुर, गोरखपुर, आज़मगढ़, वाराणसी, प्रयागराज, गाजीपुर, मऊ, देवरिया, कुशीनगर, बलिया, सीतापुर और अयोध्या जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। इन जिलों के निचले इलाकों में पानी घुस गया है और कई सड़कें जलमग्न हो गई हैं।

प्रशासन की कोशिशें

राज्य सरकार ने बाढ़ राहत कार्यों को तेज़ कर दिया है। आपदा प्रबंधन विभाग, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें प्रभावित जिलों में तैनात की गई हैं। प्रशासन ने अब तक 50 से ज्यादा राहत शिविर स्थापित किए हैं, जहां विस्थापित लोगों को अस्थायी आश्रय, भोजन और चिकित्सा सुविधा दी जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि किसी भी हालत में राहत कार्यों में ढिलाई नहीं होनी चाहिए।

फसल और संपत्ति को भारी नुकसान

फसल और संपत्ति को भारी नुकसान
फसल और संपत्ति को भारी नुकसान

बाढ़ से न सिर्फ लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त हुआ है बल्कि कृषि फसलों को भी भारी नुकसान हुआ है। धान, गन्ना और सब्जियों की फसलें पूरी तरह डूब चुकी हैं। किसानों का कहना है कि इस आपदा ने उनकी सालभर की मेहनत पर पानी फेर दिया है। अनुमान लगाया जा रहा है कि प्रभावित जिलों में सैकड़ों करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है।

स्वास्थ्य संकट का खतरा

बाढ़ के पानी के कारण संक्रामक बीमारियों के फैलने का भी खतरा बढ़ गया है। प्रभावित इलाकों में स्वच्छ पेयजल और शौचालय की सुविधा ठप पड़ गई है। डॉक्टरों का कहना है कि डेंगू, मलेरिया और हैजा जैसी बीमारियों का प्रकोप बढ़ सकता है। प्रशासन ने मेडिकल टीमों को गांव-गांव भेजने का फैसला किया है ताकि समय रहते लोगों का इलाज किया जा सके।

स्कूली बच्चों पर असर

बाढ़ की वजह से कई जिलों के स्कूल बंद कर दिए गए हैं। जहां स्कूल बचे हैं, वहां भी बच्चों का पहुंचना मुश्किल हो गया है। कई स्कूलों को अस्थायी राहत शिविर में तब्दील कर दिया गया है। शिक्षा विभाग का कहना है कि पढ़ाई पर असर पड़ना तय है लेकिन बच्चों की सुरक्षा प्राथमिकता है।

लोगों की मुश्किलें

गांवों में रहने वाले लोग बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। कई परिवार छतों और ऊँचे स्थानों पर शरण लिए हुए हैं। मवेशियों को सुरक्षित ले जाना मुश्किल हो रहा है। कई जगहों पर लोग नावों और ट्रैक्टरों के सहारे घर से बाहर निकल रहे हैं। बिजली व्यवस्था भी बुरी तरह प्रभावित हुई है, जिससे संचार और पानी की सप्लाई पर असर पड़ा है।

केंद्र और राज्य सरकार की मदद

केंद्र सरकार ने भी राज्य को हर संभव सहायता का भरोसा दिया है। गृह मंत्रालय की ओर से आपदा राहत कोष से अतिरिक्त राशि देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। वहीं, राज्य सरकार ने घोषणा की है कि बाढ़ प्रभावित परिवारों को मुआवज़ा और किसानों को फसल हानि पर सहायता दी जाएगी।

आगे क्या?

मौसम विभाग ने अगले 72 घंटों में पूर्वी और मध्य उत्तर प्रदेश में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। इसका मतलब है कि हालात और बिगड़ सकते हैं। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे अफवाहों से बचें और ज़रूरत पड़ने पर ही घरों से बाहर निकलें।

निष्कर्ष

उत्तर प्रदेश में बाढ़ ने इस समय आम आदमी की जिंदगी को संकट में डाल दिया है। लाखों लोग प्रभावित हैं और प्रशासन लगातार राहत कार्यों में जुटा हुआ है। हालांकि पानी का स्तर लगातार बढ़ रहा है, जिससे चिंता और बढ़ गई है। यह आपदा एक बार फिर दिखाती है कि प्राकृतिक संकटों से निपटने के लिए राज्य को और मजबूत रणनीति बनाने की जरूरत है।

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