यूपी गौ आयोग और पतंजलि ने गौ संरक्षण को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है। इसके तहत यूपी के 75 जिलों में 2 से 10 गौशालाओं को बड़े मॉडल केंद्रों के रूप में विकसित किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश में गौ संरक्षण और संवर्धन को लेकर एक बड़ा कदम उठाया गया है। उत्तर प्रदेश गौ सेवा आयोग और पतंजलि योगपीठ ने मिलकर राज्य के सभी जिलों में मॉडल गौ केंद्र स्थापित करने का निर्णय लिया है। इस पहल का उद्देश्य न केवल आवारा और बेसहारा गौवंश की देखभाल करना है, बल्कि डेयरी, जैविक खेती और गो आधारित उत्पादों के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करना है।

पहल का महत्व
उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है और यहां पर आवारा पशुओं, खासकर गौवंश की समस्या लंबे समय से चिंता का विषय रही है। सड़कों पर घूमते मवेशी यातायात और किसानों दोनों के लिए परेशानी का कारण बनते रहे हैं। ऐसे में आयोग और पतंजलि की इस संयुक्त पहल से उम्मीद की जा रही है कि इन गौवंशों की उचित देखभाल होगी और उन्हें सुरक्षित आश्रय मिलेगा।

इन मॉडल केंद्रों को इस तरह विकसित किया जाएगा कि वे न सिर्फ गौशाला की तरह हों, बल्कि आधुनिक गौ अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र के रूप में भी कार्य करें।
- हर जिले में कम से कम एक बड़ा केंद्र बनेगा।
- गौवंश के पालन-पोषण, चारे और चिकित्सा की आधुनिक व्यवस्था होगी।
- गोबर और गौमूत्र से जैविक खाद, बायोगैस और औषधीय उत्पाद तैयार किए जाएंगे।
- युवाओं और किसानों को गो आधारित उद्यमिता की ट्रेनिंग दी जाएगी।
पतंजलि की भूमिका
योगगुरु बाबा रामदेव के नेतृत्व में पतंजलि पहले से ही गो आधारित उत्पादों के शोध और प्रचार-प्रसार पर काम कर रहा है। अब यह अनुभव उत्तर प्रदेश के मॉडल केंद्रों को और प्रभावी बनाएगा। पतंजलि के विशेषज्ञ किसानों को बताएंगे कि कैसे गायों से मिलने वाले उत्पादों का सही उपयोग कर आर्थिक लाभ लिया जा सकता है।
आयोग का बयान
उत्तर प्रदेश गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष ने कहा,
“यह कदम राज्य में गौवंश के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। हम चाहते हैं कि हर जिले में ऐसा केंद्र बने, जो न केवल गायों की सुरक्षा सुनिश्चित करे बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती दे।”
किसानों को मिलेगा लाभ
इन मॉडल केंद्रों के माध्यम से किसानों को यह सिखाया जाएगा कि किस प्रकार जैविक खेती में गोबर और गौमूत्र का उपयोग कर उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। इससे रासायनिक खादों पर निर्भरता कम होगी और लागत घटेगी। साथ ही दूध उत्पादन और उससे बने उत्पादों के माध्यम से किसानों की आमदनी भी बढ़ सकती है।
रोजगार के नए अवसर
गो आधारित उद्योगों के बढ़ने से ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। केंद्रों पर दुग्ध उत्पाद, जैविक खाद, बायोगैस, अगरबत्ती और औषधीय वस्तुएं बनाने की इकाइयाँ लगाई जाएंगी। इससे न केवल स्थानीय स्तर पर रोज़गार मिलेगा बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी सशक्त होगी।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
हालांकि विपक्षी दलों ने इस पहल पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि गौ संरक्षण के नाम पर कई बार योजनाएँ बनीं लेकिन वे जमीन पर पूरी तरह लागू नहीं हो सकीं। विपक्ष का आरोप है कि यह कदम चुनावी फायदा उठाने के लिए उठाया गया है।
वहीं, सरकार और आयोग का कहना है कि यह योजना पूरी तरह व्यावहारिक है और इसका असर जल्दी दिखेगा।
जनता की उम्मीदें
ग्रामीण इलाकों में इस खबर का स्वागत किया गया है। किसानों का मानना है कि अगर यह योजना सही तरीके से लागू हुई तो आवारा पशुओं की समस्या काफी हद तक कम हो जाएगी और साथ ही किसानों को अतिरिक्त आमदनी भी होगी।
निष्कर्ष
यूपी गौ आयोग और पतंजलि की यह साझेदारी राज्य में गौ संरक्षण, जैविक खेती और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में नई दिशा देने वाली है। हर जिले में बनने वाले मॉडल केंद्र न केवल गायों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे बल्कि किसानों और युवाओं के लिए नई संभावनाओं के द्वार भी खोलेंगे। अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि यह महत्वाकांक्षी योजना कितनी जल्दी और कितनी प्रभावी तरीके से ज़मीन पर उतरती है।
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