130वें संविधान संशोधन बिल को लेकर आज संसद के अंदर और बाहर दोनों जगह हंगामा जारी रहने की संभावना है, साथ ही विपक्ष बिहार में वोटर रिविजन का विरोध करने के लिए भी प्रदर्शन जारी रख सकता है।
संसद के मानसून सत्र में सोमवार का दिन कई अहम फैसलों और हलचलों का गवाह बना। एक ओर जहां राज्यसभा ने बहुप्रतीक्षित ऑनलाइन गेमिंग विनियमन बिल को पास कर दिया, वहीं दूसरी ओर लोकसभा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। इस घटनाक्रम ने सियासी और सामाजिक हलकों में व्यापक चर्चा को जन्म दे दिया है।

ऑनलाइन गेमिंग बिल पर जोरदार बहस
राज्यसभा में पेश किए गए इस बिल का उद्देश्य ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर को नियमित करना और इससे जुड़े अवैध गतिविधियों, लत और वित्तीय शोषण पर अंकुश लगाना है। बिल पर चर्चा के दौरान सत्तारूढ़ दल के सदस्यों ने इसे “नए भारत की डिजिटल सुरक्षा कवच” बताया। उनका तर्क था कि अनियंत्रित ऑनलाइन गेमिंग युवाओं के भविष्य के लिए खतरा बन सकती है, और इस पर कानून के तहत सख्त निगरानी जरूरी है।

विपक्षी दलों ने हालांकि इस बिल का स्वागत करते हुए कुछ संशोधन की मांग की। उनका कहना था कि कानून बनाना तो जरूरी है, लेकिन इसमें गेमिंग इंडस्ट्री को बढ़ावा देने और युवाओं के रोजगार की संभावनाओं को भी ध्यान में रखना होगा। साथ ही, कई विपक्षी सांसदों ने यह भी सवाल उठाया कि सरकार किस तरह से तकनीकी आधारभूत ढांचे को मजबूत करेगी, ताकि इस कानून का प्रभावी रूप से पालन कराया जा सके।
बिल के मुख्य प्रावधान
इस बिल में कुछ अहम प्रावधान शामिल हैं:
- लाइसेंस प्रणाली – ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म को कानूनी तौर पर चलाने के लिए लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा।
- कड़ी निगरानी – अवैध गेमिंग और जुए की गतिविधियों में शामिल पाए जाने वाले प्लेटफॉर्म्स पर भारी जुर्माना और लाइसेंस रद्द करने का प्रावधान।
- सुरक्षा उपाय – नाबालिगों की पहुंच पर रोक और यूजर्स के लिए खर्च सीमा तय करने की सुविधा।
- डेटा सुरक्षा – गेमिंग कंपनियों को खिलाड़ियों की निजी जानकारी सुरक्षित रखने के लिए सख्त प्रावधानों का पालन करना होगा।
लोकसभा स्थगन ने बढ़ाई बेचैनी
जहां राज्यसभा में बिल पास हुआ, वहीं लोकसभा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। बताया जा रहा है कि विपक्ष और सरकार के बीच कई मुद्दों पर गतिरोध के चलते कार्यवाही सामान्य रूप से नहीं चल पा रही थी। विपक्ष लगातार सरकार से महंगाई, बेरोजगारी और हालिया घोटालों पर चर्चा की मांग कर रहा था, जबकि सत्ता पक्ष ऑनलाइन गेमिंग बिल और कुछ अन्य विधेयकों पर फोकस करना चाहता था।
लोकसभा अध्यक्ष ने बढ़ते शोर-शराबे और गतिरोध को देखते हुए आखिरकार सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया। इससे विपक्षी नेताओं ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह असुविधाजनक सवालों से बचने के लिए संसद का सत्र समय से पहले खत्म कर रही है।
समाज और युवाओं पर असर
विशेषज्ञों का मानना है कि ऑनलाइन गेमिंग बिल से जहां युवाओं को ऑनलाइन ठगी, लत और जुए जैसी प्रवृत्तियों से बचाव मिलेगा, वहीं यह इंडस्ट्री को भी एक वैधानिक ढांचा प्रदान करेगा। भारत में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग तेज़ी से बढ़ रहा है और इसका बाजार हजारों करोड़ का हो चुका है। ऐसे में इसे नियमित करना सरकार और समाज दोनों के लिए एक अहम कदम माना जा रहा है।
दूसरी ओर, लोकसभा का अनिश्चितकालीन स्थगन जनता में निराशा पैदा करता है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, संसद लोकतंत्र का सबसे अहम मंच है और यहां संवाद टूटना लोकतांत्रिक परंपरा के लिए सही संकेत नहीं है।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, राज्यसभा से ऑनलाइन गेमिंग बिल का पास होना डिजिटल भारत की दिशा में एक बड़ी पहल माना जा रहा है, लेकिन लोकसभा के अनिश्चितकालीन स्थगन ने संसद की कार्यशैली और लोकतांत्रिक मूल्यों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना होगा कि लोकसभा में यह बिल कब पेश होकर पास होता है और सरकार विपक्ष की चिंताओं का समाधान किस तरह करती है।
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