नोएडा में साइबर सुरक्षा को लेकर वर्कशॉप का आयोजन किया गया। इस मौके पर एडीजी जीके गोस्वामी ने साइबर सुरक्षा से जुड़े टिप्स बताए। उन्होंने बताया कि इससे बचने के लिए क्या-क्या उपाय करने चाहिए।
नोएडा में तेजी से बढ़ते साइबर अपराधों को देखते हुए एक विशेष वर्कशॉप का आयोजन किया गया, जिसमें आम नागरिकों, छात्रों, बैंक कर्मचारियों और साइबर सुरक्षा से जुड़े विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। इस वर्कशॉप का उद्देश्य लोगों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सुरक्षित रहने और ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचने के तरीकों के बारे में जागरूक करना था। कार्यक्रम की अध्यक्षता उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त महानिदेशक (ADG) ने की और उन्होंने साइबर सुरक्षा से जुड़े कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए।

साइबर अपराधों का बढ़ता खतरा

ADG ने अपने संबोधन में कहा कि आज के डिजिटल युग में हर नागरिक इंटरनेट और स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर रहा है। चाहे ऑनलाइन शॉपिंग हो, डिजिटल पेमेंट, सोशल मीडिया या फिर बैंकिंग सेवाएं—हर जगह इंटरनेट का दायरा बढ़ चुका है। लेकिन इसके साथ ही साइबर अपराधी भी लगातार नए-नए तरीकों से लोगों को निशाना बना रहे हैं। फिशिंग ईमेल, लिंक के जरिए ठगी, OTP फ्रॉड, फर्जी कस्टमर केयर नंबर और सोशल मीडिया हैकिंग जैसे मामले रोज़ाना दर्ज हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में साइबर क्राइम के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है, जिससे बचाव के लिए जागरूकता बेहद जरूरी है।
वर्कशॉप का उद्देश्य
इस वर्कशॉप का मुख्य मकसद यही था कि आम जनता को साइबर अपराधों के पैटर्न के बारे में जानकारी दी जाए और यह समझाया जाए कि किस तरह सतर्क रहकर खुद को ठगी से बचाया जा सकता है। वर्कशॉप में साइबर सेल के अधिकारियों ने कई केस स्टडी भी साझा किए। उन्होंने बताया कि अधिकतर अपराधी नकली कॉल सेंटर, फर्जी ऐप्स और लिंक का इस्तेमाल करके लोगों से पैसे ठगते हैं।
ADG के खास सुझाव
ADG ने नागरिकों को साइबर सुरक्षा से जुड़े कुछ अहम टिप्स दिए—
- OTP और बैंक डिटेल साझा न करें – किसी भी परिस्थिति में अपना OTP, डेबिट/क्रेडिट कार्ड नंबर, CVV या नेट बैंकिंग पासवर्ड किसी के साथ साझा न करें।
- असली और नकली वेबसाइट की पहचान करें – ऑनलाइन शॉपिंग या लेन-देन के लिए हमेशा भरोसेमंद और सुरक्षित वेबसाइट का ही इस्तेमाल करें।
- फर्जी कॉल से सतर्क रहें – अगर कोई व्यक्ति खुद को बैंक अधिकारी या सरकारी संस्था का कर्मचारी बताकर जानकारी मांगे, तो उसकी पुष्टि किए बिना कोई जानकारी न दें।
- सोशल मीडिया सुरक्षा – फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप पर अज्ञात लोगों की फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार न करें और अपनी निजी जानकारी साझा करने से बचें।
- साइबर हेल्पलाइन का इस्तेमाल करें – अगर कोई ऑनलाइन फ्रॉड होता है, तो तुरंत 1930 नंबर पर कॉल करें या cybercrime.gov.in पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराएं।
युवाओं और छात्रों की भूमिका
वर्कशॉप में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं ने भी हिस्सा लिया। ADG ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि वे डिजिटल प्लेटफॉर्म के सबसे ज्यादा सक्रिय उपयोगकर्ता हैं, इसलिए उनकी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। उन्होंने छात्रों से अपील की कि वे न केवल खुद सतर्क रहें बल्कि अपने परिवार और समाज को भी साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक करें।
बैंकिंग सेक्टर की जागरूकता
बैंकिंग और फाइनेंशियल सर्विस से जुड़े कर्मचारियों को भी साइबर क्राइम से निपटने के लिए प्रशिक्षित किया गया। उन्हें बताया गया कि ग्राहकों को कैसे समय-समय पर साइबर सुरक्षा से जुड़े अलर्ट और दिशा-निर्देश भेजने चाहिए। ADG ने बैंकों को सलाह दी कि वे ग्राहकों को OTP या संवेदनशील जानकारी कभी साझा न करने के लिए लगातार जागरूक करें।
निष्कर्ष
वर्कशॉप के अंत में ADG ने दोहराया कि साइबर अपराधियों से बचने का सबसे बड़ा हथियार “जागरूकता” है। तकनीक ने जहां हमारी जिंदगी आसान की है, वहीं यह खतरे भी लेकर आई है। इसलिए जरूरत है कि हर नागरिक डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सावधानी बरते और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत सूचना साइबर सेल को दे।
इस वर्कशॉप ने लोगों को न केवल साइबर क्राइम के खतरों से आगाह किया, बल्कि उन्हें इससे बचने के व्यावहारिक तरीके भी सिखाए। उम्मीद की जा रही है कि ऐसे कार्यक्रम आगे भी होते रहेंगे, ताकि लोग साइबर अपराधियों के जाल में फंसने से बच सकें और सुरक्षित डिजिटल भारत की ओर कदम बढ़ा सकें।
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